द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
पुणे के तालेगांव दाभाड़े इलाके के एक स्कूल में कथित इसे प्रार्थना को लेकर प्रिंसिपल की पिटाई का मामला सामने आया है. रिपोर्ट के अनुसार, बजरंग दल के सदस्यों के साथ अभिभावकों का एक समूह मंगलवार को स्कूल के परिसर में घुस गया और कथित तौर पर ‘डिअर गॉड’ शब्दों से शुरू होने वाली प्रार्थना गाने के लिए स्कूल प्रिंसिपल अलेक्जेंडर कोट्स रीड पर हमला किया. सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में 25-30 से अधिक लोगों की भीड़ शिक्षक का पीछा कर रही है और लोग ‘हर हर महादेव’ के नारे लगा रहे हैं. वीडियो में प्रिंसिपल के कपड़े फटे नजर आ रहे हैं. मामले को देख रहे तालेगांव एमआईडीसी थाने के एक अधिकारी ने द वायर को बताया कि रीड एक ‘सख्त शिक्षक’ हैं और कुछ अभिभावक उनसे मिलना चाह रहे थे. उन्होंने बिना बात का मुद्दा बनाया और स्थानीय विजिलेंट समूहों को शामिल कर और प्रिंसिपल पर हमला करने की सोची.’ पुलिस ने जोड़ा कि स्कूल का दौरा करने और सबूतों को देखने से यह स्पष्ट है कि प्रिंसिपल को उनकी ईसाई पहचान के कारण निशाना बनाया गया था.
झारखंड के सरायकेला खरसावां जिले की अदालत ने जून, 2019 में चोरी के आरोप में भीड़ द्वारा तबरेज अंसारी की लिंचिंग के मामले में दस लोगों को दस-दस साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, घटना के चार साल बाद पिछले महीने अदालत ने 10 लोगों को आईपीसी की धारा 304 (गैर-इरादतन हत्या) के तहत दोषी पाया. मामले के दो आरोपियों को बरी कर दिया गया और एक अन्य की मुकदमे के दौरान मृत्यु हो गई थी.
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह क़दम एक धोखा है, जो हिंदू राष्ट्र से जुड़ा है. द हिंदू के अनुसार, उन्होंने सवाल किया कि इस तरह की कवायद से किसे फायदा होगा. यह अभ्यास निश्चित रूप से ‘हिंदू राष्ट्र’ के विचार से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि ‘हिंदू राष्ट्र’ ही एकमात्र तरीका नहीं हो सकता, जिससे देश प्रगति कर सकता है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि यूसीसी लागू करने की कोशिश उस मुद्दे को खुल्लमखुल्ला सामान्य बताने का प्रयास है, जो जटिल है और जिसे लेकर लोगों के बीच कई सारे मतभेद हैं.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड विधि आयोग को पत्र लिखकर समान नागरिक संहिता को लेकर अपना विरोध दोहराया है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, 100 पन्नों के ज्ञापन में बोर्ड ने लिखा कि बहुसंख्यकवादी नैतिकता को संहिता के नाम पर व्यक्तिगत क़ानून, धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक अधिकारों का हनन नहीं करना चाहिए. एआईएमपीएलबी ने यह तर्क भी दिया है कि संविधान स्वयं एक समान नहीं है, क्योंकि यह कुछ समूहों के लिए विशेष अधिकार सुरक्षित करता है. इसने जोड़ा कि भारत में मुसलमान इस पहचान को खोने के लिए सहमत नहीं होंगे, जिसकी हमारे देश के संवैधानिक ढांचे में जगह है. अगर हम अल्पसंख्यकों और आदिवासी समुदायों को अपने व्यक्तिगत कानूनों द्वारा शासित होने की अनुमति देकर अपने देश की विविधता को बनाए रखते हैं.
मणिपुर में दो महीने से जारी हिंसा के बीच नॉर्थ ईस्ट क्रिश्चियन काउंसिल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राज्य में शांति के लिए हस्तक्षेप का आग्रह किया है. टेलीग्राफ के मुताबिक, क्षेत्र में 55 ईसाई संप्रदायों के प्रभावशाली एकीकृत संगठन ने कहा है कि हिंसक संघर्षों का इतने लंबे समय तक जारी रहना राज्य प्रशासन और केंद्र सरकार के लिए भी शर्म की बात है. काउंसिल ने लोगों और पूजा स्थलों की सुरक्षा के लिए तैनात सैनिकों की संख्या बढ़ाने की मांग करते हुए मेईतेई और कुकी समुदायों के सह-अस्तित्व के इतिहास पर जोर दिया है. अपील में संगठन ने कहा है कि इस समय राहत, पुनर्वास और पुनर्स्थापन का कार्य प्रभावी ढंग से करना बेहद महत्वपूर्ण है, यह ध्यान में रखते हुए कि सबसे बड़ी चुनौती हिंसक झड़पों से प्रभावित लोगों के मन से भय और अविश्वास को दूर करना है.’
मध्य प्रदेश में एक महिला को बोनट पर बिठाकर कार चलाने के आरोप में तीन पुलिसकर्मी निलंबित किए गए हैं. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, यह घटना नरसिंहपुर जिले में कथित तौर पर सोमवार (3 जुलाई) शाम को हुई. मंगलवार को घटना से संबंधित कथित वीडियो ने तूल पकड़ा तो एसपी ने कार्रवाई की. बताया गया है कि ड्रग तस्करी के मामले में एक कथित तस्कर के यहां छापे के लिए पहुंची थी, जब आरोपी की मां (उक्त महिला) बेटे की गिरफ्तारी का विरोध किया और पुलिसकर्मियों की गाड़ी के बोनट पर लटक गईं. इसके बाद महिला को समझाने में विफल रहे पुलिसकर्मियों ने गाड़ी चला दी और महिला समेत कार को कुछ मीटर दूर पुलिस थाने तक ले गए.
यूजीसी ने उच्च शिक्षा संस्थानों में सहायक प्रोफेसरों के लिए पीएचडी अनिवार्य करने के अपने फैसले को उलट दिया है. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, नेट, राज्य पात्रता, सेट और राज्य स्तरीय पात्रता परीक्षा (एसएलईटी) प्रवेश स्तर के पदों पर भर्ती का आधार बने रहेंगे. आयोग ने सभी विश्वविद्यालयों को जुलाई 2021 से भर्ती के लिए 2018 में इसके द्वारा विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में एंट्री-लेवल के पदों पर भर्ती के लिए निर्धारित मानदंड निर्धारित लागू करना शुरू करने के लिए कहा था. विभिन्न विश्वविद्यालयों के फैकल्टी सदस्यों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा था कि कई उम्मीदवार कोविड-19 महामारी के चलते अपनी पीएचडी पूरी नहीं कर सके हैं. उन्होंने केंद्र सरकार से पात्रता में ढील देने की अपील भी की थी.
राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि वह सोचें कि सत्ता खोने के बाद उनका क्या होगा. उन्होंने यह भी जोड़ा कि विपक्ष उनकी सरकार को ‘उखाड़’ फेंकेगा. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, राजद के 26वें स्थापना दिवस समारोह में ज़मीन के बदले नौकरी मामले में सीबीआई की चार्जशीट का सीधे तौर पर ज़िक्र किए बिना लालू प्रसाद यादव ने कहा कि ज़्यादा अन्याय और ज़ुल्म ठीक नहीं है, ज़ुल्म करने वाला ज़्यादा ठहरा नहीं है. जिस दिन आप (नरेंद्र मोदी) सत्ता में नहीं रहेंगे उस दिन आपका क्या होगा.