बीते वर्ष नवंबर में केंद्र सरकार ने ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल तीसरी बार बढ़ाया था, जबकि सुप्रीम कोर्ट पहले ही उन्हें और सेवा विस्तार न देने को कह चुका था. अब कोर्ट ने मिश्रा को 31 जुलाई, 2023 तक पद पर बने रहने की अनुमति दी है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के प्रमुख संजय कुमार मिश्रा को दिए गए सेवा विस्तार को अमान्य करार देते हुए इस पर रोक लगा दी है.
रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने मिश्रा को 31 जुलाई, 2023 तक अपने पद पर बने रहने की अनुमति दी है. ऐसा इस तथ्य पर विचार करते हुए किए गए है कि इससे पहले केंद्र सरकार ने कहा था कि ग्लोबल टेरर फाइनेंसिंग वॉचडॉग- फायनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) द्वारा भारत के पीअर रिव्यू की सबसे अच्छी निगरानी मिश्रा द्वारा की जा सकती है. उस सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र से यह भी पूछा था कि 2023 के बाद एजेंसी का क्या होगा, जब मिश्रा रिटायर हो जाएंगे.
मंगलवार को पीठ कांग्रेस नेताओं रणदीप सिंह सुरजेवाला, जया ठाकुर और तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा और साकेत गोखले द्वारा दायर याचिकाओं समेत कई याचिकाओं को सुन रही थी.
गौरतलब है कि 61 वर्षीय मिश्रा 1984 बैच के आयकर कैडर में भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी हैं और उन्हें पहली बार 19 नवंबर 2018 को एक आदेश द्वारा दो साल की अवधि के लिए ईडी निदेशक नियुक्त किया गया था.
बाद में 13 नवंबर 2020 के एक आदेश द्वारा नियुक्ति पत्र को केंद्र सरकार द्वारा पूर्व प्रभाव से संशोधित किया गया और दो साल के उनके कार्यकाल को तीन साल के कार्यकाल में बदल दिया गया.
केंद्र के 2020 के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई थी, जिसने विस्तार आदेश को बरकरार रखा था, लेकिन साथ ही यह कहा था कि मिश्रा को आगे कोई विस्तार नहीं दिया जा सकता है.
उस समय जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट किया था कि सेवानिवृत्ति की आयु प्राप्त कर चुके अधिकारियों के कार्यकाल का विस्तार दुर्लभ और असाधारण मामलों में किया जाना चाहिए. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया था कि मिश्रा को आगे कोई सेवा विस्तार नहीं दिया जा सकता है.
केंद्र ने उन्हें 17 नवंबर 2021 से 17 नवंबर 2022 तक दूसरा विस्तार दिया था. इसके बाद अदालत में याचिका दायर की गई थी. इस रिट याचिका के लंबित रहने के दौरान, मिश्रा को 18 नवंबर 2022 से 18 नवंबर 2023 तक के लिए तीसरा विस्तार दे दिया गया.
हालांकि, सरकार ने नवंबर 2021 में दो अध्यादेश जारी किए जिसमें कहा गया था कि ईडी और सीबीआई के निदेशकों का कार्यकाल अब दो साल के अनिवार्य कार्यकाल के बाद तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है.
अध्यादेशों में कहा गया है कि दोनों मामलों में, निदेशकों को उनकी नियुक्तियों के लिए गठित समितियों की मंजूरी के बाद तीन साल के लिए एक साल का विस्तार दिया जा सकता है, जिसके बाद मिश्रा को एक साल का सेवा विस्तार दिया गया था.
केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम में संशोधन को भी शीर्ष अदालत में नए सिरे से चुनौती दी गई थी, जिसमें कांग्रेस और टीएमसी नेताओं द्वारा दायर याचिकाएं भी शामिल थीं.
लाइव लॉ के अनुसार, शीर्ष अदालत ने केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम और दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम में किए गए उक्त संशोधनों को बरकरार रखा है, लेकिन साथ ही पर्याप्त सुरक्षा उपायों की मांग भी की है. इसमें कहा गया कि कानून पर न्यायिक समीक्षा का दायरा बहुत सीमित है. पीठ ने कहा, ‘सार्वजनिक हित में और लिखित कारणों के साथ उच्च स्तरीय अधिकारियों को विस्तार दिया जा सकता है.’
रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने माना कि विस्तार स्पष्ट रूप से उसके सामान्य कारण के फैसले के दायरे में थे. जस्टिस गवई ने कहा, ‘हालांकि किसी फैसले का आधार हटाया जा सकता है, लेकिन विधायिका उस विशिष्ट आदेश को रद्द नहीं कर सकती है जो विस्तार पर रोक लगाता है… यह किसी न्यायिक अधिनियम पर अपील करने जैसा होगा.’
बार और बेंच के अनुसार, उन्होंने जोड़ा, ‘इस प्रकार, अदालत के फैसले के बाद दिया गया विस्तार कानूनन अमान्य था.’ इस प्रकार मिश्रा को एक वर्ष की अवधि के लिए विस्तार देने वाले 17 नवंबर, 2021 और 17 नवंबर, 2022 के आदेशों को अवैध माना गया.
बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत कार्य करता है. संजय कुमार मिश्रा विपक्ष के नेताओं के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के कई मामलों को भी देख रहे हैं. 2020 में उनके सेवा विस्तार के समय द वायर ने एक रिपोर्ट में बताया था कि कम से कम ऐसे सोलह मामले, जो विपक्ष के विभिन्न दलों के नेताओं से जुड़े हुए थे, मिश्रा की अगुवाई में ईडी उनकी जांच कर रही थी.