मणिपुर में दो महिलाओं के साथ हुए यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज होने और इससे संबंधित वीडियो सामने आने के बीच के 62 दिनों में राज्य में हिंसा के बीच सुरक्षा इंतज़ामों को लेकर कई उच्च स्तरीय बैठकें हुई थीं जहां बड़े अधिकारियों समेत केंद्रीय गृह मंत्री और असम के मुख्यमंत्री भी राज्य में पहुंचे थे.
नई दिल्ली: मणिपुर में जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाने और उनके साथ हुए बलात्कार का वीडियो सामने आने के बाद घटना को लेकर बरती हुई प्रशासनिक लापरवाही सामने आ रही है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट बताती है कि दो महिलाओं के साथ हुए यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज होने और इससे संबंधित वीडियो सामने आने के बीच के 62 दिनों में राज्य में सुरक्षा इंतजामों और सुरक्षा की स्थिति को लेकर कई उच्च स्तरीय बैठकें हुई थीं जहां बड़े अधिकारियों समेत केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री भी राज्य में पहुंचे थे.
अख़बार के अनुसार, उक्त घटना तीन मई को हिंसा शुरू होने के अगले दिन थौबल में हुई थी, जिसके बारे में 18 मई को एक सर्वाइवर के पति द्वारा शिकायत दर्ज करवाई गई थी. हालांकि, बीते बुधवार को घटना का वीडियो सामने आने के बाद पुलिस कार्रवाई हुई और चार आरोपियों को गिरफ्तार करने की पुष्टि की गई.
शिकायत दर्ज होने से लेकर वीडियो वायरल होने के दौरान राज्य में कई हाईप्रोफाइल नेता और अधिकारी पहुंचे थे और राज्य में जारी हिंसा की और स्थिति पर बैठकें हुई थी:
– 27 मई को सेनाध्यक्ष मनोज पांडे ने सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए राज्य का दौरा किया.
– 29 मई को गृह मंत्री अमित शाह चार दिवसीय दौरे पर मणिपुर पहुंचे थे, जिस दौरान कई दौर में सुरक्षा समीक्षा बैठकें हुईं. साथ ही कई हितधारकों के साथ बैठकें हुई थीं.
– 4 जून को केंद्र सरकार ने गौहाटी हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अजय लांबा की अध्यक्षता में एक जांच आयोग का गठन किया गया.
– 10 जून को नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (नेडा) के प्रमुख और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा इंफाल के दौरे पर पहुंचे थे, जहां उन्होंने मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और अन्य हितधारकों से मुलाकात की थी. बाद में वे असम में कुकी हितधारकों से भी मिले थे.
– 24 जून को दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह द्वारा मणिपुर हिंसा को लेकर सर्वदलीय बैठक आयोजित की गई थी.
– 26 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की जिसमें शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी कई वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मौजूद थे.
अख़बार के अनुसार, सीएम बीरेन सिंह, डीजीपी राजीव सिंह और मणिपुर यूनिफाइड कमांड के प्रमुख कुलदीप सिंह ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि क्या इन राज्य स्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठकों में यौन उत्पीड़न के उक्त मामले को उठाया गया था.
अख़बार के पुलिस कार्रवाई में दो महीने से अधिक समय की देरी के सवाल पर थौबल एसपी सचिदानंद ने कहा कि पुलिस ‘सबूतों की कमी’ के कारण अब तक ‘कोई कार्रवाई नहीं कर सकी.’
उन्होंने कहा, ‘हमें कल (19 जुलाई को) ही वीडियो के बारे में पता चला. अब जब हमारे पास वीडियो के तौर पर सबूत हैं, तो हम कार्रवाई शुरू कर चुके हैं और गिरफ्तारियां हुई हैं.’
उनके अनुसार, इस देरी की वजह घटना के पीड़ितों का थौबल में न होना भी था.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, एफआईआर को संबंधित थाने में स्थानांतरित करने में एक महीने से अधिक समय लग गया क्योंकि पीड़ित अपने घरों से भाग गए थे और उन्होंने दूसरे जिले की पुलिस से संपर्क कर जीरो एफआईआर दर्ज करवाई थी.
वीडियो सामने आने के बाद मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने पुलिस कार्रवाई में देरी को लेकर कहा, ‘हिंसा जारी रहने के बावजूद 6,000 से अधिक एफआईआर हुईं. वीडियो सामने आने पर पुलिस मामले की पहचान करने की कोशिश कर रही थी. जैसे ही हमारे पास वीडियो आया, हम दोषियों की पहचान कर सके और तुरंत कार्रवाई की गई.’
पुलिस शिकायत में कहा गया है कि जब भीड़ ने महिलाओं को जबरन पकड़ा था, तब वे थौबल के नोंगपोक सेकमाई थाने के पुलिसकर्मियों के साथ थीं.
यह पूछे जाने पर कि पुलिसकर्मियों ने किसी भी अपराधी की पहचान कैसे नहीं की, थौबल एसपी ने कहा कि शिकायत में लगाया गया आरोप झूठा है और पुलिस घटनास्थल पर मौजूद नहीं थी. उनका कहना था, ‘उसी दिन नोंगपोक सेकमाई थाने में हथियार लूटने की कोशिश कर रहे लोगों की भीड़ थी. पुलिस थाने की सुरक्षा में व्यस्त थी.’
गौरतलब है कि यह बात सर्वाइवर महिला के बयान के बिल्कुल उलट है, जिनका कहना था कि पुलिस उन्हें उठाने वाली भीड़ के साथ थी.
अख़बार के दौरान, थानों के बीच मामले के ट्रांसफर में भी देरी हुई. शिकायत सबसे पहले कांगपोकपी जिले के सैकुल थाने में दर्ज की गई थी, जिसके आधार पर एक जीरो एफआईआर दर्ज की गई थी. लेकिन, आखिरकार 21 जून को एफआईआर नोंगपोक सेकमाई के संबंधित थाने में ट्रांसफर हुई. इसमें बलात्कार, अपहरण और हत्या सहित कई धाराओं में ‘लगभग 900-1,000 की संख्या में अज्ञात बदमाशों’ को नामजद किया गया है.