मणिपुर: महिलाओं को भीड़ द्वारा नग्न घुमाने की घटना के बाद यौन उत्पीड़न के और भी मामले सामने आए

बीते 4 मई को कुकी समुदाय की दो महिलाओं को भीड़ द्वारा नग्न घुमाने की घटना का वीडियो हाल ही में सामने आया था. बीते 4 मई को ही इंफाल में कार धोने का काम करने वाली कांगपोकपी की दो महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार और बुरी तरह से मारपीट की गई, जिससे उनकी मौत हो गई. बीते 6 मई को एक महिला को ज़िंदा जलाकर मार डाला गया था.

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मणिपुर में महिलाओं को नग्न घुमाने की घटना का वीडियो स्क्रीनग्रैब.

बीते 4 मई को कुकी समुदाय की दो महिलाओं को भीड़ द्वारा नग्न घुमाने की घटना का वीडियो हाल ही में सामने आया था. बीते 4 मई को ही इंफाल में कार धोने का काम करने वाली कांगपोकपी की दो महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार और बुरी तरह से मारपीट की गई, जिससे उनकी मौत हो गई. बीते 6 मई को एक महिला को ज़िंदा जलाकर मार डाला गया था.

मणिपुर में महिलाओं को नग्न घुमाने की घटना का वीडियो स्क्रीनग्रैब.

नई दिल्ली: मणिपुर में आदिवासी कुकी समुदाय की दो महिलाओं को भीड़ द्वारा नग्न घुमाने का वीडियो वायरल होने के बाद हिंसा प्रभावित राज्य में महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले सामने आ रहे हैं.

बीते 4 मई को कार धोने का काम करने वाली कांगपोकपी की दो महिलाओं के साथ उनके कार्यस्थल पर सामूहिक बलात्कार किया गया और फिर राज्य की राजधानी इंफाल में भीड़ द्वारा मरने के लिए छोड़ दिया गया. यह क्रूर घटना उसी दिन घटी जब 40 किलोमीटर दूर थौबल जिले में दो कुकी महिलाओं को भीड़ द्वारा नग्न घुमाने की घटना घटी थी, जिसका खौफनाक वीडियो बीते 19 जुलाई को सामने आया था.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं का एक पुरुष मित्र, जिसने देखा कि एक एंबुलेंस उन्हें ले जा रही थी, अगले दिन अस्पताल पहुंचा तो उसे बताया गया कि चोटों के कारण उनकी मौत हो गई है.

उन्होंने कहा कि उस भीड़ में महिलाओं ने पुरुषों को कांगपोकपी की दोनों महिलाओं को एक कमरे में ले जाने और उनके साथ मारपीट करने के लिए प्रोत्साहित किया.

उनके अनुसार, ‘उन्होंने उनमें से एक महिला को अंदर खींच लिया, लाइटें बंद कर दीं और बारी-बारी से उसके साथ बलात्कार किया. फिर उन्होंने मेरे साथ काम करने वाली दूसरी महिला के साथ भी ऐसा ही किया. चिल्लाने से रोकने के लिए उन्होंने दोनों का मुंह कपड़ों से बांध दिया था.’

करीब डेढ़ घंटे बाद महिलाओं को कमरे से बाहर लाया गया और पास में ही एक आरा मशीन के पास फेंक दिया गया.

आदिवासी समुदाय से आने वाले इस युवक ने बताया कि उनकी सहकर्मी महिलाओं उनके कपड़े फटे हुए थे, उनके बाल काट दिए गए थे और उनका शरीर खून से लथपथ था.

इसके बाद उन्होंने उन महिलाओं में से एक के चचेरे भाई को इसकी जानकारी दी जो राज्य में जारी झड़पों से बचने के लिए एक चर्च में छिपा हुआ था. जब चचेरे भाई को असम राइफल्स द्वारा कांगपोकपी पहुंचाया गया, तब जाकर महिलाओं के परिवारों को पता चला कि उनकी बेटियों के साथ क्या हुआ था.

द वायर ने इससे पहले अपनी एक रिपोर्ट में घटना के संबंध में महिलाओं के पिताओं द्वारा विस्तृत ब्योरा प्रकाशित किया था. महिलाओं की उम्र 21 और 24 वर्ष थी. रिपोर्ट 29 मई को प्रकाशित हुई थी, जिसमें अपराध कैसे सामने आया और आगे क्या हुआ, इसका सिलसिलेवार ब्योरा दिया गया था.

इनमें से एक के पिता ने तब कहा था, ‘हो सकता है कि उनके साथ भी यौन दुर्व्यवहार हुआ हो, हालांकि हम अभी तक इसे निश्चित रूप से नहीं कह सकते हैं.’

घटना के दिन इंफाल पूर्वी जिले के पोरोमपट पुलिस स्टेशन में स्वत: संज्ञान लेते हुए एक एफआईआर दर्ज की गई थी. बाद में दोनों महिलाओं में से एक की मां ने काफी झिझक के बाद 16 मई को सैकुल पुलिस स्टेशन में जीरो एफआईआर दर्ज कराई. क्षेत्राधिकार की परवाह किए बिना किसी भी पुलिस स्टेशन में जीरो एफआईआर दर्ज की जाती है. इसके बाद 13 जून को एफआईआर को पोरोमपट पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर कर दिया गया था.

एक महिला के परिवार के एक सदस्य ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्हें अभी भी पुलिस से कोई पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट नहीं मिली है, हालांकि एफआईआर दर्ज हुए एक महीने से अधिक समय हो गया है.

भीड़ ने महिला को जलाकर मार डाला

इस घटना के अलावा बीते 6 मई को इंफाल ईस्ट में एक 45 वर्षीय महिला को निर्वस्त्र कर आग लगा दिया गया था. महिला के जले हुए शरीर की एक तस्वीर अब सोशल मीडिया पर सामने आई है.

द हिंदू के अनुसार, फेइताइचिंग गांव के पादरी थियाना वैफेई सौंतक ने कहा कि उन्हें 7 मई को दो बच्चों की 45 वर्षीय मां का अर्धजला शव मिला था, जिसके एक दिन बाद एक बड़ी भीड़ ने गांव पर हमला किया था. उन्होंने कहा कि वह सेना की सुरक्षा में वहां गए थे.

सौंतक ने कहा, ‘शव आधा जला हुआ था, वह नग्न हालत में थी. शव को इंफाल के एक सरकारी अस्पताल में ले जाया गया, हमें नहीं पता कि अब वह कहां है.’

उन्होंने याद किया कि 6 मई को काली शर्ट पहने हथियारबंद लोग गांव में आए थे. उन्होंने दावा किया कि भीड़ के साथ मणिपुर पुलिस के कमांडो भी थे.

उन्होंने कहा, ‘हमारे घरों को जला दिया गया, अधिकांश ग्रामीण घटनास्थल से भागने में सफल रहे. अकेली रहने वाली महिला भाग नहीं सकी और भीड़ ने उसे पकड़ लिया अरैी मार डाला गया. उसके शरीर को क्षत-विक्षत कर दिया गया.’

सबसे पहले कांगपोकपी में एक जीरो एफआईआर दर्ज की गई थी और बाद में इसे इंफाल पूर्व में स्थानांतरित कर दिया गया.

पादरी ने कहा, ‘हमें हमेशा उम्मीद थी कि पुलिस हमारी मदद करेगी, लेकिन इसके बजाय उन्होंने हम पर गोली चला दी. यह एक भयानक स्थिति है, मैंने पहले कभी ऐसा अनुभव नहीं किया है.’

इस बीच सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सात विधायकों सहित कुकी-ज़ो समुदाय के विधायकों ने एक बयान जारी कर कम से कम चार अन्य घटनाओं का उल्लेख किया, जहां 3 मई के बाद से उनके समुदाय की महिलाओं के साथ या तो बलात्कार किया गया या उनकी हत्या कर दी गई.

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