एन. बीरेन सिंह जब तक मणिपुर के मुख्यमंत्री रहेंगे, स्थितियां शांति की ओर नहीं बढ़ेंगी: कांग्रेस

कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए क़दम उठाने का समय बहुत पहले चला गया है. उन्हें मणिपुर में तथाकथित डबल-इंजन शासन के पूरी तरह से विफल होने को छिपाने के लिए ध्यान भटकाने, चीज़ों को तोड़-मरोड़कर पेश करने और आक्षेप लगाने में लिप्त होने की बजाय अब कार्रवाई करनी चाहिए.

//
मणिपुर हिंसा के खिलाफ संसद के बाहर विपक्ष का विरोध प्रदर्शन. (फोटो साभार: ट्विटर/@LoPIndia)

कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए क़दम उठाने का समय बहुत पहले चला गया है. उन्हें मणिपुर में तथाकथित डबल-इंजन शासन के पूरी तरह से विफल होने को छिपाने के लिए ध्यान भटकाने, चीज़ों को तोड़-मरोड़कर पेश करने और आक्षेप लगाने में लिप्त होने की बजाय अब कार्रवाई करनी चाहिए.

मणिपुर हिंसा के खिलाफ संसद के बाहर विपक्ष का विरोध प्रदर्शन. (फोटो साभार: ट्विटर/@LoPIndia)

नई दिल्ली: कांग्रेस ने रविवार (23 जुलाई) को दावा किया कि एन. बीरेन सिंह जब तक मणिपुर के मुख्यमंत्री बने रहेंगे, तब तक राज्य में स्थितियां शांति की दिशा में आगे नहीं बढ़ेंगी.

कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि वह अभी कार्रवाई करें और पूर्वोत्तर राज्य में ‘तथाकथित डबल इंजन शासन के असफलता’ को छिपाने के लिए ध्यान न भटकाएं.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, विपक्षी दल का हमला उस मीडिया रिपोर्ट पर आया, जिसमें बताया गया था कि बीते 15 मई को इंफाल पूर्वी जिले में 18 वर्षीय एक युवती का अपहरण और मारपीट करने के बाद उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया. युवती ने 21 जुलाई को पुलिस से संपर्क कर इस मामले की जानकारी दी, जिसके बाद जीरो एफआईआर दर्ज की गई.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक ट्वीट में कहा, ‘हर गुजरते दिन के साथ जैसे-जैसे मणिपुर की भयावहता की सच्चाई सामने आ रही है, यह स्पष्ट है कि राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है. भीड़ और विद्रोही समूह बेलगाम हो रहे हैं. महिलाओं और परिवारों को सबसे खराब, अकल्पनीय अत्याचारों का सामना करना पड़ा है.’

उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन न केवल हिंसा में शामिल है, बल्कि सक्रिय रूप से नफरत को बढ़ावा दे रहा है. जयराम रमेश ने कहा कि राज्य का सामाजिक ताना-बाना नष्ट होने के साथ समुदायों के बीच विश्वास पूरी तरह समाप्त हो गया है.

उन्होंने आगे कहा, ‘जब तक बीरेन सिंह मुख्यमंत्री रहेंगे, तब तक कोई न्याय या शांति की दिशा में कदम नहीं बढ़ाया जाएगा. प्रधानमंत्री के लिए कदम उठाने का समय बहुत पहले चला गया है. उन्हें मणिपुर में तथाकथित डबल-इंजन शासन के पूरी तरह से विफल होने को छिपाने के लिए ध्यान भटकाने, चीजों को तोड़-मरोड़कर पेश करने और आक्षेप लगाने में लिप्त होने की बजाय अब कार्रवाई करनी चाहिए.’

इस बीच ‘इंडिया’ नाम से एकजुट हुए विपक्षी दलों ने सोमवार को संसद में प्रदर्शन किया गया. उन्होंने कहा है कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में जरा भी संवैधानिक मर्यादा बची है तो वह 3 मई के बाद से मणिपुर में हुई हिंसा पर विस्तृत बयान देंगे. मणिपुर हिंसा के मामले में किसी भी तरह की झूठी बातें और झूठी समानताएं काम नहीं करेंगी.

वहीं, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने ट्वीट कर कहा, ‘मणिपुर की खौफनाक कहानी में महिलाओं की दुखद पीड़ा का सत्तारूढ़ दल द्वारा विपक्षी शासित राज्यों में महिलाओं पर हमलों का हवाला देकर प्रचार करने के लिए दुरुपयोग किया जा रहा है. जब भी ऐसी शर्मनाक घटनाएं हुई हैं, राज्य सरकारों ने पीड़ितों के प्रति सहानुभूति रखते हुए तुरंत कार्रवाई की है, जबकि मणिपुर में अधिकारी अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उनके साथ मिलकर सच्चाई को दबाने की कोशिश कर रहे हैं.’

मालूम हो कि बीते 3 मई से कुकी और मेईतेई समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग घायल हुए हैं. लगभग 50,000 लोग विस्थापित हुए हैं.

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेईतेई समुदाय की मांग के विरोध में बीते 3 मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें हुई थीं, हिंसा में बदल गई और अब भी जारी हैं.

मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेईतेई समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासियों- नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं.

लगभग 3 महीने से जारी हिंसा के दौरान महिलाओं के साथ क्रूर और भयावह तरीके से सामूहिक बलात्कार किया गया. इसके बाद कई महिलाओं की हत्या कर दी गई.

मणिपुर में कुकी समुदाय की दो महिलाओं को मेईतेई समुदाय के लोगों के एक समूह द्वारा निर्वस्त्र करके घुमाने का एक वीडियो वायरल होने के बाद देश में आक्रोश का माहौल है. यह घटना चार मई की है, जिसका वीडियो 19 जुलाई को वायरल हुआ. इन महिलाओं में से एक के साथ सामूहिक बलात्कार भी किया गया था और इसका विरोध करने पर उनके पिता और भाई की भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई थी.

बीते 4 मई को ही इंफाल में कार धोने का काम करने वाली कांगपोकपी की दो महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार और बुरी तरह से मारपीट की गई, जिससे उनकी मौत हो गई. बीते 6 मई को एक महिला को जिंदा जलाकर मार डाला गया था.

इसी तरह बीते 15 मई को मणिपुर के इंफाल पूर्व में अपहरण, मारपीट और सामूहिक बलात्कार की शिकार एक 18 वर्षीय युवती ने 21 जुलाई को पुलिस से संपर्क किया, जिसके बाद जीरो एफआईआर दर्ज की गई.