मणिपुर के चुराचांदपुर ज़िले के तोरबुंग बाज़ार में सशस्त्र उपद्रवियों ने कम से कम 10 ख़ाली घरों और एक स्कूल को जला दिया. हमले के दौरान कथित तौर पर मानव ढाल के रूप में काम करने वाली सैकड़ों महिलाओं के नेतृत्व में भीड़ ने कई राउंड फायरिंग की और देसी बम फेंके थे.
नई दिल्ली: मणिपुर के चुराचांदपुर जिले के तोरबुंग बाजार इलाके में सशस्त्र उपद्रवियों ने कम से कम 10 खाली घरों और एक स्कूल को जला दिया.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने सोमवार को कहा कि बिष्णुपुर जिले की सीमा से लगे चुराचांदपुर जिले के तोरबुंग बाजार में सशस्त्र उपद्रवियों ने कम से कम 10 खाली घरों और एक स्कूल को जला दिया.
पुलिस ने कहा कि शनिवार (22 जुलाई) शाम को हुए हमले के दौरान कथित तौर पर मानव ढाल के रूप में काम करने वाली सैकड़ों महिलाओं के नेतृत्व में भीड़ ने कई राउंड फायरिंग की और देसी बम फेंके.
खाली घरों के अलावा जिस स्कूल को जलाया गया है, उसका नाम चिल्ड्रेन ट्रेजर हाई स्कूल है.
नाम न छापने की शर्त पर एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया, ‘जब हमने हमलावरों को आते देखा तो जवाबी कार्रवाई करने से झिझके, क्योंकि भीड़ का नेतृत्व सैकड़ों महिलाएं कर रही थीं. हालांकि जब हमने उन्हें बीएसएफ का एक वाहन छीनने और हमारे घरों को जलाने की कोशिश करते देखा, तो हमें जवाबी कार्रवाई की जरूरत का एहसास हुआ.’
बाद में भीड़ ने बीएसएफ के एक कैस्पर वाहन को छीनने की भी कोशिश की, लेकिन बल और क्षेत्र में तैनात स्थानीय स्वयंसेवकों की जवाबी कार्रवाई से प्रयास विफल हो गया.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, चुराचांदपुर जिले में पिछले 48 घंटों से संदिग्ध उग्रवादियों और सुरक्षा बलों के बीच भीषण गोलीबारी हो रही है, जिसमें एक महिला घायल हो गई.
सूत्रों ने बताया कि शनिवार देर रात शुरू हुई गोलीबारी आज सुबह तक जारी रही.
चुराचांदपुर में जातीय झड़पों के बीच दो आदिवासी कुकी महिलाओं को भीड़ द्वारा नग्न घुमाने और दुर्व्यवहार करने का एक वीडियो सामने आने के बाद से बड़े पैमाने पर विरोध रैलियां हो रही हैं.
मालूम हो कि बीते 3 मई से कुकी और मेईतेई समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग घायल हुए हैं. लगभग 50,000 लोग विस्थापित हुए हैं.
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेईतेई समुदाय की मांग के विरोध में बीते 3 मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें हुई थीं, हिंसा में बदल गई और अब भी जारी हैं.
मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेईतेई समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासियों- नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं.
लगभग 3 महीने से जारी हिंसा के दौरान महिलाओं के साथ क्रूर और भयावह तरीके से सामूहिक बलात्कार किया गया. इसके बाद कई महिलाओं की हत्या कर दी गई.
मणिपुर में कुकी समुदाय की दो महिलाओं को मेईतेई समुदाय के लोगों के एक समूह द्वारा निर्वस्त्र करके घुमाने का एक वीडियो वायरल होने के बाद देश में आक्रोश का माहौल है. यह घटना चार मई की है, जिसका वीडियो 19 जुलाई को वायरल हुआ. इन महिलाओं में से एक के साथ सामूहिक बलात्कार भी किया गया था और इसका विरोध करने पर उनके पिता और भाई की भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई थी.
बीते 4 मई को ही इंफाल में कार धोने का काम करने वाली कांगपोकपी की दो महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार और बुरी तरह से मारपीट की गई, जिससे उनकी मौत हो गई. बीते 6 मई को एक महिला को जिंदा जलाकर मार डाला गया था.
इसी तरह बीते 15 मई को मणिपुर के इंफाल पूर्व में अपहरण, मारपीट और सामूहिक बलात्कार की शिकार एक 18 वर्षीय युवती ने 21 जुलाई को पुलिस से संपर्क किया, जिसके बाद जीरो एफआईआर दर्ज की गई.