भारतीय सेना ने ड्रोन निर्माण में चीनी पुर्ज़ों के इस्तेमाल पर रोक लगाई: रिपोर्ट

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट बताती है कि भारतीय सेना ने घरेलू स्तर पर निर्मित निगरानी ड्रोन में चीनी उपकरणों और पुर्ज़ों के इस्तेमाल पर रोक लगाते हुए कहा कि ऐसे पुर्ज़ों में 'सुरक्षा ख़ामियां' होती हैं जो महत्वपूर्ण भारतीय सैन्य डेटा को ख़तरे में डाल सकती हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स)

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट बताती है कि भारतीय सेना ने घरेलू स्तर पर निर्मित निगरानी ड्रोन में चीनी उपकरणों और पुर्ज़ों के इस्तेमाल पर रोक लगाते हुए कहा कि ऐसे पुर्ज़ों में ‘सुरक्षा ख़ामियां’ होती हैं जो महत्वपूर्ण भारतीय सैन्य डेटा को ख़तरे में डाल सकती हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स)

नई दिल्ली: समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बताया है कि सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए भारतीय सेना ने घरेलू स्तर पर निर्मित निगरानी ड्रोन में चीनी उपकरणों और पुर्जों के उपयोग पर रोक लगा दी है.

रॉयटर्स द्वारा समीक्षा किए गए बैठक के मिनटों के अनुसार,सेना ने संभावित बोलीदाताओं से कहा कि ‘भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों में बने पुर्जे सुरक्षा कारणों से स्वीकार्य नहीं होंगे.’

एक सैन्य निविदा दस्तावेज़ में यह भी कहा गया है कि ऐसे पुर्जों में ‘सुरक्षा खामियां’ होती हैं जो महत्वपूर्ण भारतीय सैन्य डेटा को खतरे में डाल सकती हैं.

एक अनाम वरिष्ठ रक्षा अधिकारी ने समाचार एजेंसी को बताया कि ‘भूमि सीमा साझा करने वाले देश’ शब्द वास्तव में चीन के संदर्भ में है, जो इसके साइबर हमलों में शामिल होने के आरोपों को लेकर चिंता दर्शाता है.

भारतीय सेना के फैसले का एक तात्कालिक परिणाम यह होगा कि घरेलू ड्रोन निर्माण महंगा हो जाएगा.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि लागत 50 फीसदी बढ़ जाएगी. एक राष्ट्र के रूप में हमें तैयार रहने की जरूरत है.

लेकिन जब भारत अपने ड्रोन के पुर्जों के लिए कहीं और जाना चाहेगा तो उसे इस बारे में भी सोचना होगा कि ड्रोन आपूर्ति श्रृंखला में 70 फीसदी से अधिक सामान चीन में निर्मित होता है.

बेंगलुरु की एक ड्रोन आपूर्तिकर्ता कंपनी के संस्थापक समीर जोशी ने रॉयटर्स को बताया कि कुछ निर्माता तो चीन से सामग्री आयात करते हैं और उन पर उनकी मैन्युफैक्चरिंग का लेबल लगा देते हैं.

रॉयटर्स के मुताबिक, भारतीय सेना ने भारतीय सेना ने भी विक्रेताओं से उनके पुर्जों के मूल जगह के बारे में खुलासा करने के लिए कहा है.

इस साल जून में भारत ने घोषणा की थी कि वह अमेरिका स्थित कंपनी जनरल एटॉमिक्स से 31 एमक्यू-9बी ड्रोन खरीदेगा. इस खरीद को भारत की चीनी सीमा पर निगरानी मजबूत करने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है.

लद्दाख क्षेत्र में झड़प के बाद दोनों एशियाई दिग्गजों के बीच तनाव बढ़ गया था, जिसमें 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे और दोनों देशों ने तब से अपनी निगरानी क्षमताओं को बढ़ा दिया है.

भारत ने एमक्यू-9बी ड्रोन की खरीद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका की हालिया यात्रा के दौरान की थी. अमेरिका भी एक ऐसा देश है जिसने चीन के साथ रक्षा सामग्री के लेन-देन को सीमित कर दिया है.

रॉयटर्स ने बताया कि 2019 में अमेरिकी कांग्रेस ने पेंटागन को चीनी ड्रोन पुर्जों को खरीदने या इस्तेमाल करने से रोक दिया था.

क्वार्ट्ज़ की रिपोर्ट के अनुसार, इसके सालभर बाद इसने देश में महत्वपूर्ण रक्षा सुविधाओं को बिजली देने वाली यूटिलिटी कंपनियों द्वारा चीनी उपकरणों की खरीद पर भी प्रतिबंध लगा दिया था.

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