असम: व्यापारी से जबरन वसूली के मामले में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों समेत नौ लोग गिरफ़्तार

असम के बजाली ज़िले के एक व्यवसायी रबीउल इस्लाम ने आरोप लगाया है कि उन्हें पुलिस ने ग़लत तरीके से हिरासत में लिया और 2.5 करोड़ रुपये देने के लिए कहा, ऐसा नहीं करने पर उन्हें एनकाउंटर में मारने की धमकी दी और उनकी हत्या को ‘जिहादी तत्वों के साथ संबंध’ बताकर उचित ठहराने की बात कही थी.

(फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स)

असम के बजाली ज़िले के एक व्यवसायी रबीउल इस्लाम ने आरोप लगाया है कि उन्हें पुलिस ने ग़लत तरीके से हिरासत में लिया और 2.5 करोड़ रुपये देने के लिए कहा, ऐसा नहीं करने पर उन्हें एनकाउंटर में मारने की धमकी दी और उनकी हत्या को ‘जिहादी तत्वों के साथ संबंध’ बताकर उचित ठहराने की बात कही थी.

(फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स)

नई दिल्ली: असम के बजाली जिले में एक व्यवसायी ने जबरन वसूली का आरोप लगाया है. इस संबंध में राज्य अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने सोमवार (4 सितंबर) को वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों सहित नौ लोगों को गिरफ्तार किया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, व्यवसायी रबीउल इस्लाम ने आरोप लगाया कि उन्हें पुलिस ने गलत तरीके से हिरासत में लिया और 2.5 करोड़ रुपये देने के लिए कहा, ऐसा नहीं करने पर उन्हें एनकाउंटर में मारने की धमकी देते हुए उनकी हत्या को ‘पाकिस्तानी या बांग्लादेशी जिहादी तत्वों के साथ संबंध’ बताकर उचित ठहराने की बात कही
थी.

अपनी शिकायत में रबीउल इस्लाम ने कहा कि धमकियां एक ऐसे व्यक्ति ने दी थीं, जिसने खुद के ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ होने का दावा किया था.

सोमवार को असम पुलिस ने 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी सिद्धार्थ बुरागोहन को गिरफ्तार कर लिया, जो दो दिन पहले असम पुलिस मुख्यालय में स्थानांतरित होने से पहले बजाली के पुलिस अधीक्षक (एसपी) थे.

इसके अलावा पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी-मुख्यालय) पुष्कल गोगोई, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) गायत्री सोनोवाल, उनके पति सुभाष चंदर, सब-इंस्पेक्टर देबजीत गिरि और कॉन्स्टेबल इंजमामुल हसन को भी गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तार किए गए तीन अन्य लोगों में एक किशोर बरुआ, पुलिस ड्राइवर नबीर अहमद और दीपजॉय कलीता शामिल हैं.

असम के डीजीपी जीपी सिंह ने बीते शुक्रवार (1 सितंबर) को कहा था कि पुलिस को बजाली पुलिस अधिकारियों द्वारा पैसे की मांग की शिकायत मिलने के बाद ‘सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय को जाल बिछाने का निर्देश दिया गया था, लेकिन पुलिस अधिकारियों (आरोपी) के कारण इसमें सफलता नहीं मिली’. हालांकि, उन्होंने कहा कि एफआईआर इसलिए दर्ज की गई, क्योंकि शिकायत ‘प्रथमदृष्टया सही’ पाई गई.

बीते 31 अगस्त को व्यवसायी रबीउल इस्लाम की शिकायत के आधार पर असम सीआईडी ने आईपीसी की कई धाराओं के तहत एक एफआईआर दर्ज की, जिसमें हत्या का प्रयास, जबरन वसूली के लिए मौत का डर पैदा करना, आपराधिक धमकी, गलत कारावास और आपराधिक साजिश शामिल थी.

एफआईआर में नामित छह आरोपियों में बुरागोहेन, सोनोवाल, गोगोई, गिरि और दो अन्य पुलिसकर्मी – अर्नब ज्योति पाटीर (पटाचारकुची थाने के प्रभारी अधिकारी) और भवानीपुर चौकी के एएसआई शशांक दास शामिल हैं.

अपनी शिकायत में रबीउल इस्लाम ने आरोप लगाया कि डराना-धमकाना 16 जुलाई को शुरू हुआ, जब पुलिसकर्मी रात करीब 1:30 बजे उनके घर में घुस आए, उन्हें घर से बाहर खींच लिया और उनसे ‘ड्रग्स और नकदी’ के बारे में पूछने लगे, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि उन्हें कुछ नहीं पता.

उन्होंने शिकायत में कहा कि पुलिस अधिकारियों ने उन्हें ‘कम से कम दो से तीन घंटे’ तक मुक्का और लात मारी, बिना वारंट के उनके घर की तलाशी ली और कई सामान ले गए. फिर वे उन्हें और उनके दो रिश्तेदारों को भवानीपुर चौकी ले गए, जहां उन्हें हिरासत में ले लिया गया.

उन्होंने आरोप लगाया कि अगले दिन दोपहर के आसपास उन्हें एसपी के आवास पर ले जाया गया, जहां एसपी ने उनसे पूछताछ की कि उन्होंने ‘अवैध सामान’ कहां रखा है.

आरोप है कि पूछताछ के दौरान कथित तौर पर पुलिस अधिकारी द्वारा उनके साथ कई बार मारपीट की गई. उसके बाद उन्हें वापस पुलिस स्टेशन ले जाया गया, जहां फिर से मारपीट की गई और ‘सहयोग’ करने के लिए कहा गया. पुलिस ने कथित तौर पर उस दिन उनके कार्यालय और उनके ससुर के घर की तलाशी ली.

शिकायत में कहा गया है कि देर रात भवानीपुर थाने के प्रभारी अधिकारी ने उन्हें एक वाहन में बैठा दिया, जिसमें दो व्यक्ति साधारण कपड़े में और एक पुलिस की वर्दी में था, इसके बाद उन्हें एक डिटर्जेंट फैक्ट्री में ले जाया गया.

उन्होंने शिकायत में आरोप लगाया, ‘उन्होंने मुझे भागने के लिए कहा और कहा कि असम के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के निर्देशानुसार वे मुझे अपने हैंडगन से गोली मार देंगे.’

उन्होंने कहा, ‘उसी समय दूसरी कार से एक अन्य व्यक्ति, जो हमारा पीछा कर रहा था, मेरे पास आया और मुझसे हिंदी में कहा कि मैं यह स्वीकार कर लूं कि मेरे जिहादी तत्वों के साथ संबंध हैं और मैंने अपनी सभी संपत्तियां अवैध रूप से हासिल की हैं.’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘जब मैंने ऐसा करने से इनकार कर दिया तो उस व्यक्ति ने एक बंदूक निकाली और मुझे गोली मारने की कोशिश की और मुझसे 2.5 करोड़ रुपये की मांग की. उसने मुझसे कहा कि वह एक एनकाउंटर स्पेशलिस्ट है और अगर मैंने उक्त राशि का भुगतान नहीं किया, तो वह मुझे मार डालेगा और पुलिस यह दिखा देगी कि यह एक एनकाउंटर है और मेरे पाकिस्तानी और बांग्लादेशी जिहादी तत्वों के साथ संबंध हैं.’

उन्होंने आरोप लगाया कि जब उन्होंने पैसों की मांग मान ली तो उन्हें पुलिस स्टेशन ले जाया गया. उन्होंने दावा किया कि उन्होंने 10 लाख रुपये नकद दिए और उनकी मां ने अपने बैंक खाते से 10-10 लाख रुपये के 21 चेक जारी किए.

हालांकि, उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें अभी भी रिहा नहीं किया गया और एएसपी गायत्री सोनोवाल ने उनसे 2.5 करोड़ रुपये और मांगे.

उन्होंने कहा, यह मांग भवानीपुर चौकी के प्रभारी अधिकारी के कक्ष में की गई थी. चौकी के प्रभारी इंस्पेक्टर देबोजीत गिरि हैं.

उन्होंने कहा कि फिर उन्हें जाने दिया गया, लेकिन रकम नहीं चुकाने पर ‘एनकाउंटर’ का खतरा उन पर मंडराता रहा. उन्होंने आरोप लगाया कि 31 जुलाई के बाद से एसपी के करीबी सहयोगी होने का दावा करने वाले दो लोगों ने उनके परिवार के सदस्यों को फोन करना शुरू कर दिया और मांग की कि राशि सीधे एसपी को भेजी जाए.

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