प्री-स्कूल में 3 साल से कम उम्र के बच्चों का एडमिशन कराना अवैध है: गुजरात हाईकोर्ट

गुजरात हाईकोर्ट ने शैक्षणिक वर्ष 2023-24 में कक्षा 1 में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु छह वर्ष निर्धारित करने वाली राज्य सरकार की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को ख़ारिज करते हुए कहा है कि तीन साल से कम उम्र के बच्चों को प्री-स्कूल में दाख़िला दिलाने वाले माता-पिता एक ‘ग़ैर-क़ानूनी कृत्य’ कर रहे हैं.

गुजरात हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक)

गुजरात हाईकोर्ट ने शैक्षणिक वर्ष 2023-24 में कक्षा 1 में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु छह वर्ष निर्धारित करने वाली राज्य सरकार की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को ख़ारिज करते हुए कहा है कि तीन साल से कम उम्र के बच्चों को प्री-स्कूल में दाख़िला दिलाने वाले माता-पिता एक ‘ग़ैर-क़ानूनी कृत्य’ कर रहे हैं.

गुजरात हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: गुजरात हाईकोर्ट ने शैक्षणिक वर्ष 2023-24 में कक्षा 1 में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु छह वर्ष निर्धारित करने वाली राज्य सरकार की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा है कि तीन साल से कम उम्र के बच्चों को प्री-स्कूल में दाखिला दिलाने वाले माता-पिता एक ‘गैरकानूनी कृत्य’ कर रहे हैं.

1 जून तक छह साल से कम उम्र के अपने बच्चों का एडमिशन कराने की चाह रखने वाले अभिभावकों के एक समूह ने 31 जनवरी, 2020 की अधिसूचना को चुनौती दी थी.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और जस्टिस एनवी अंजरिया की पीठ ने बीते 11 अगस्त को यह आदेश दिया था, जिसकी प्रति बीते मंगलवार (5 सितंबर) को ऑनलाइन उपलब्ध कराई गई.

आदेश में कहा गया है , ‘बच्चे स्कूल के लिए तैयार हैं, क्योंकि उन्होंने प्री-स्कूल में 3 साल की प्रारंभिक शिक्षा पूरी कर ली है और उन्हें शैक्षणिक सत्र 2020-21 में दाखिला दिया गया है, यह तर्क हमें बिल्कुल भी प्रभावित नहीं करता है.’

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि 1 जून की कटऑफ तारीख लगभग 9,00,000 बच्चों को संविधान के अनुच्छेद 21ए और शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत शिक्षा के अधिकार से वंचित कर देगी. उन्होंने अदालत से तीन साल की प्री-स्कूली शिक्षा वाले बच्चों को इससे छूट देने का अनुरोध किया था.

अदालत ने आरटीई अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि छह साल की उम्र का बच्चा प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने तक मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के लिए पास के स्कूल में दाखिला लेने के लिए पात्र है. इसमें अनुच्छेद 21ए के तहत प्रदत्त अधिकार को जोड़ा गया है और आरटीई अधिनियम बच्चे के छह साल का होने के बाद शुरू होता है.

अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भी छह साल से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा के महत्व को पहचानती है, क्योंकि बच्चे के मस्तिष्क का 85 प्रतिशत से अधिक विकास इन प्रारंभिक वर्षों में होता है.

अदालत ने कहा, ‘आरटीई अधिनियम के नियम 8 के अवलोकन से पता चलता है कि प्री-स्कूल में ऐसे बच्चे के दाखिले पर प्रतिबंध है, जिसने शैक्षणिक वर्ष के 1 जून तक 3 वर्ष की आयु पूरी नहीं की है. प्री-स्कूल में तीन साल की प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा एक बच्चे को औपचारिक स्कूल में पहली कक्षा में दाखिला लेने के लिए तैयार करती है.’

याचिकाकर्ताओं ने अपने बच्चों का एडमिशन तीन साल का होने से पहले ही प्री-स्कूल में करा दिया था.

अदालत ने कहा कि आरटीई के तहत न्यूनतम आयु की आवश्यकता गुजरात में लागू की गई है. आरटीई अधिनियम के नियम 8 को चुनौती देने वाली एक याचिका 2013 में खारिज कर दी गई थी.

हाईकोर्ट ने कहा, ‘याचिकाकर्ता (बच्चों के माता-पिता), जिन्होंने अपने बच्चों के वर्ष 2023 के 1 जून तक 6 वर्ष का होने का ध्यान नहीं रखा, किसी भी तरह की रियायत या छूट की मांग नहीं कर सकते, क्योंकि वे आरटीई नियम, 2012 के जनादेश के उल्लंघन के दोषी हैं, जो आरटीई अधिनियम, 2009 के अनुरूप है.’

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