सुरक्षा बलों के ख़िलाफ़ मणिपुर सरकार का बयान उसकी पुलिस के बयान का विरोधाभासी है: रिपोर्ट

8 सितंबर को हुई एक सशस्त्र समूह और सुरक्षा बलों के बीच गोलीबारी की घटना को लेकर मणिपुर की एन. बीरेन सिंह सरकार ने 'केंद्रीय सुरक्षा बलों' की निंदा की है, वहीं पुलिस द्वारा प्रेस को दिए बयान में इसे 'संयुक्त अभियान' बताया गया है. 

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: ट्विटर/@manipur_police)

8 सितंबर को हुई एक सशस्त्र समूह और सुरक्षा बलों के बीच गोलीबारी की घटना को लेकर मणिपुर की एन. बीरेन सिंह सरकार ने ‘केंद्रीय सुरक्षा बलों’ की निंदा की है, वहीं पुलिस द्वारा प्रेस को दिए बयान में इसे ‘संयुक्त अभियान’ बताया गया है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: ट्विटर/@manipur_police)

नई दिल्ली: मणिपुर में बीते चार महीनों से जातीय संघर्ष जारी है और इस बीच पुलिस और राज्य में तैनात बलों के बीच तनावपूर्ण स्थिति देखी गई है. अब द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट हिंसा की एक हालिया घटना को लेकर मणिपुर राज्य सरकार और केंद्रीय बलों के बीच गहराते अविश्वास की ओर इशारा करती है.

रिपोर्ट में 8 सितंबर को कुकी-बहुल क्षेत्र में मेईतेई समुदाय के लोगों के एक सशस्त्र समूह और सुरक्षा बलों के बीच गोलीबारी की घटना का उल्लेख किया गया है. बताया गया है कि इसकी जानकारी मिलने पर मेईतेई लोगों की एक भीड़ उक्त सशस्त्र समूह का साथ देने के मकसद से प्रभावित गांव में पहुंचने के लिए तेंगनौपाल जिले के पल्लेल में जमा हुई.

सूत्रों ने अखबार को बताया कि इस भीड़ ने सुरक्षा बलों पर गोलीबारी की, जिन्होंने कथित तौर पर जवाबी कार्रवाई की. इसमें तीन नागरिक मारे गए और एक सैन्य अधिकारी सहित कई घायल हो गए.

हालांकि एक दिन बाद मणिपुर सरकार ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि एन. बीरेन सिंह कैबिनेट ने पिछले दिन पल्लेल में नागरिकों पर ‘केंद्रीय सुरक्षा बलों की अवांछित कार्रवाई की निंदा की’ है और कहा कि वह इस घटना के बारे में केंद्र सरकार को अवगत कराएगी.

अख़बार के अनुसार, कैबिनेट का बयान उक्त घटना के सिलसिले में  प्रेस को दिए गए राज्य पुलिस के बयान का खंडन करता है.

मीडिया को दिए पुलिस के बयान में कहा गया था, ‘आत्मरक्षा और अनियंत्रित भीड़ को नियंत्रित करने के लिए एक संतुलित प्रतिक्रिया में सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए न्यूनतम बल का इस्तेमाल किया, जिसमें भीड़ का हिस्सा रहे कुछ लोगों को चोटें आईं, जिनमें से कथित तौर पर दो की मौत हो गई.’

पुलिस ने कहा था कि गोलीबारी ‘सशस्त्र उपद्रवियों के खिलाफ की गई थी, जिन्होंने गांव में आगजनी और हिंसा का प्रयास किया था.’

अख़बार का कहना है कि पुलिस के बयान बताता है कि पुलिस सुरक्षा बलों के साथ मिलकर काम कर रही है और इसे ‘संयुक्त अभियान’ कहा जा रहा है. फिर भी, मणिपुर सरकार के घटना की निंदा करने वाले बयान में केवल केंद्रीय सुरक्षा बलों का उल्लेख किया गया है.’

ज्ञात हो कि पुलिस राज्य के गृह मंत्रालय के अधिकारक्षेत्र में आती है, जो फ़िलहाल मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह संभाल रहे हैं.

अख़बार ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि सुरक्षाकर्मियों ने 8 सितंबर की घटना में भारी भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सभी विकल्पों- वहां से हटने का अनुरोध, लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोले, रबर की गोलियां चलाना, कमर से नीचे गोली चलाने- का इस्तेमाल करने के बाद फायरिंग का सहारा लिया था.

मणिपुर सरकार और राज्य में शांति सुनिश्चित करने के लिए तैनात सुरक्षा बलों के बीच बढ़ती दरार उस पत्र के जरिये भी नजर आती है, जिसे सेना ने एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया को लिखा था. इसमें कहा गया था कि स्थानीय मीडिया द्वारा एक समुदाय का समर्थन किया जा रहा है जिससे राज्य में जारी संघर्ष बद से बदतर होता जा रहा है.

यह पत्र गिल्ड के खिलाफ राज्य की स्थिति पर जारी की गई फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट को लेकर हुई एफआईआर के सिलसिले में सामने आया है. उक्त रिपोर्ट में कहा गया था कि मणिपुर से आ रही संघर्ष की कई ख़बरें और रिपोर्ट्स ‘एकतरफा’ थीं और इंफाल का मीडिया ‘मेईतेई मीडिया में तब्दील हो गया था.’