पश्चिम बंगाल के जादवपुर विश्वविद्यालय के प्रथम वर्ष के छात्र की कथित तौर पर रैगिंग के कारण मौत के बाद प्रशासन ने छात्रावास में रहने वाले छात्रों के लिए नियम सख़्त कर दिए हैं. पूर्व छात्रों सहित बाहरी लोगों की मुक्त आवाजाही रोकने के लिए सभी छात्रावासों के प्रवेश द्वार प्रतिदिन रात 10 बजे बंद कर दिए जाएंगे और अगले दिन सुबह 6 बजे ही खोले जाएंगे. छात्रों को अपना पहचान-पत्र हमेशा अपने साथ रखना होगा.
नई दिल्ली:पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता स्थित जादवपुर विश्वविद्यालय के मुख्य छात्रावास में एक कथित रैगिंग पीड़ित छात्र की मौत के एक महीने से अधिक समय बाद विश्वविद्यालय प्रशासन अब अपने सभी छात्रावासों में रहने वाले छात्रों के लिए सख्त नियम और कानून लेकर आया है.
विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा बुधवार (21 सितंबर) को जारी एक नोटिस में रात 10 बजे के बाद बाहर न रहने को कहा गया है. इसमें यह भी कहा गया है कि छात्रावास में न रहने की स्थिति में संबंधित छात्रावास अधीक्षकों से पूर्व अनुमति ली जानी चाहिए.
नोटिस के अनुसार, पूर्व छात्रों सहित बाहरी लोगों के मुक्त रूप से आवाजाही को रोकने के लिए सभी छात्रावासों के मुख्य प्रवेश द्वार प्रतिदिन रात 10 बजे बंद कर दिए जाएंगे और अगले दिन सुबह 6 बजे ही खोले जाएंगे.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, छात्रों को अपना पहचान-पत्र हमेशा अपने साथ रखना होगा और जब भी प्रशासनिक कर्मचारी या अधिकारी मांगे तो उन्हें इन्हें दिखाना होगा.
किसी विशिष्ट आगंतुक कक्ष के अनुपलब्ध होने पर छात्रावास में रह रहे छात्रों को अपने संबंधित आगंतुकों के साथ आगंतुक कक्ष या टीवी-सह-मनोरंजन कक्ष में रहने की अनुमति दी गई है.
नोटिस में कहा गया है, ‘आगंतुकों (Visitors) को अपना आईडी प्रूफ लाना होगा और छात्रावास के प्रवेश द्वार पर तैनात दरबानों/सुरक्षाकर्मियों की देखरेख में रखे गए छात्रावास आगंतुकों के प्रवेश/निकास रजिस्टर में अपना नाम, पता और मोबाइल नंबर दर्ज करना होगा.’
नोटिस में कहा गया है कि मुख्य छात्रावास परिसर क्वार्टर में रहने वाले विश्वविद्यालय छात्रावास/मेस कर्मचारियों को छात्रावास परिसर में प्रवेश/बाहर निकलते समय किसी भी परेशानी से बचने के लिए विश्वविद्यालय का पहचान-पत्र रखना चाहिए.
मालूम हो कि प्रथम वर्ष के एक छात्र की बीते 9 अगस्त की रात को परिसर के पास मुख्य छात्रावास की दूसरी मंजिल की बालकनी से कथित तौर पर गिरने के बाद मौत हो गई थी. उनके परिवार ने आरोप लगाया था कि वह रैगिंग और यौन उत्पीड़न का शिकार थे. प्रारंभिक जांच में छात्र के यौन उत्पीड़न और रैगिंग की बात सामने आई थी.
17 वर्षीय यह छात्रा नादिया जिले के रहने वाले थे.
कैंपस में रैगिंग की घटनाओं की जांच के लिए विश्वविद्यालय द्वारा गठित एक समिति ने पाया था कि लड़कों के छात्रावास में रहने वाले प्रथम वर्ष के छात्रों को कथित तौर पर अपने अंडरगार्मेंट उतारने, दीवार पर अपना चेहरा रगड़ने, मेंढक की तरह कूदने के लिए मजबूर किया जाता है.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, एक आंतरिक जांच समिति ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें उसने परिसर में रैगिंग की एक स्थानिक संस्कृति की ओर इशारा किया है कि कैसे प्रमुख उच्च शिक्षा संस्थान के अधिकारी इस खतरे को रोकने में विफल रहे हैं.
समिति ने 35 वरिष्ठ छात्रों और छह पूर्व छात्रों/अनधिकृत रूप से छात्रावास में रह रहे लोगों की पहचान की है, जो मुख्य छात्रावास में कथित तौर पर ‘रैगिंग में शामिल’ थे. इसने चार वरिष्ठ और छह पूर्व छात्रों को मुख्य आरोपी के रूप में पहचाना है.
विश्वविद्यालय ने अब परिसर में 55 सदस्यीय एंटी-रैगिंग स्क्वाड का गठन किया है. पहले टीम में केवल 18 सदस्य शामिल थे. आपात स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिए इस स्क्वाड के सदस्य विश्वविद्यालय परिसर के 5 किमी के दायरे में रहेंगे.
विश्वविद्यालय के अंतरिम कुलपति बुद्धदेव साव ने कहा, ‘स्क्वाड में सदस्यों की संख्या बढ़ा दी गई है, ताकि आपात स्थिति में एक बड़े क्षेत्र को कवर किया जा सके. जितने अधिक लोग शामिल होंगे, उतनी ही शीघ्रता से हम प्रतिक्रिया दे सकेंगे. वे सक्रिय रूप से काम करेंगे और किसी भी आपात स्थिति का जवाब देंगे.’
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, आंतरिक जांच समिति पहले ही विश्वविद्यालय के चार छात्रों को निष्कासित करने की सिफारिश कर चुकी है, जो 17 वर्षीय छात्र की मौत में भूमिका के लिए गिरफ्तार किए गए 13 छात्रों में से हैं.