हरदीप निज्जर की हत्या पर विदेश मंत्री ने कहा, कनाडा को बताया गया है कि यह भारत की ‘नीति’ नहीं

केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि हमने कनाडा से कहा है कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या जैसे कृत्यों में शामिल होना भारत सरकार की नीति नहीं है. भारत ने यह भी कहा था कि अगर कनाडा कोई विशेष जानकारी प्रदान करता है तो वह इस पर विचार करने के लिए तैयार है.

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विदेश मंत्री एस. जयशंकर. (फाइल फोटो: पीटीआई)

केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि हमने कनाडा से कहा है कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या जैसे कृत्यों में शामिल होना भारत सरकार की नीति नहीं है. भारत ने यह भी कहा था कि अगर कनाडा कोई विशेष जानकारी प्रदान करता है तो वह इस पर विचार करने के लिए तैयार है.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: न्यूयॉर्क में अमेरिकी थिंक टैंक काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बीते मंगलवार (26 सितंबर) को कहा कि भारत सरकार ने कनाडा को बता दिया है कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या जैसे कृत्यों में शामिल होना ‘भारत सरकार की नीति नहीं’ है.

इस कार्यक्रम का संचालन भारत में पूर्व अमेरिकी राजदूत केनेथ जस्टर ने किया.

जयशंकर ने कहा, ‘हमने कनाडा से कहा है कि यह भारत सरकार की नीति नहीं है.’ उन्होंने कहा कि भारत ने यह भी कहा था कि अगर कनाडा कोई विशेष जानकारी प्रदान करता है तो वह ‘इस पर विचार करने के लिए तैयार है’.

इससे पहले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा था कि भारत को सभी आवश्यक जानकारी और दस्तावेज उपलब्ध कराए गए हैं.

जयशंकर से बाद में न्यूयॉर्क मैगजीन के एक पत्रकार ने पूछा कि क्या उन्हें कनाडाई सरकार द्वारा इस मामले पर, विशेष रूप से इंटरसेप्ट किए गए संचार के सबूत प्रदान किया गया था (जिसके बारे में कनाडा ने कहा है वह इस मामले को भारत सरकार से जोड़ता है).

इस पर जयशंकर ने पूछा, ‘क्या आप कह रहे हैं कि कनाडा ने हमें दस्तावेज दिए है?’ तो रिपोर्टर ने जवाब दिया, ‘मैं पूछ रहा हूं’ और फिर पूछा कि क्या भारत को इंटरसेप्ट किए गए राजनयिक संचार के संबंध में कोई दस्तावेज प्रदान किया गया था. जयशंकर ने जवाब दिया, ‘मैंने कहा है कि अगर कोई हमें विशिष्ट या प्रासंगिक जानकारी देता है, तो हम उस पर गौर करने के लिए तैयार हैं.’

यह सवाल कि क्या भारत को इंटरसेप्ट किए गए संचार के संबंध में सबूत मिले थे, फिर से पूछा गया, जिस पर जयशंकर ने कहा, ‘अगर मुझे मिला होता, तो क्या मैं इसे नहीं देख रहा होता?’

केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से फिर से ‘हां’ या ‘नहीं’ जवाब देने ​के लिए कहा गया कि क्या भारत को ऐसे दस्तावेज प्राप्त हुए हैं, इस बीच कार्यक्रम के संचालक रहे भारत में पूर्व अमेरिकी राजदूत केनेथ जस्टर ने हस्तक्षेप कर दिया. इसके बाद जयशंकर ने उसी पत्रकार के दूसरे सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया.

जयशंकर ने उस जानकारी पर एक अलग प्रश्न का उत्तर देने से भी इनकार कर दिया, जो कथित तौर पर निज्जर की हत्या पर फाइव आइज़ (Five Eyes) के बीच साझा की गई थी, साथ ही खतरे की धारणाएं भी थीं, जिनके बारे में एफबीआई ने कथित तौर पर अमेरिका स्थित सिखों को बताया था.

उन्होंने कहा, ‘मैं फाइव आइज़ का हिस्सा नहीं हूं, मैं निश्चित रूप से एफबीआई का हिस्सा नहीं हूं, इसलिए मुझे लगता है कि आप गलत व्यक्ति से पूछ रहे हैं.’

फाइव आइज़ एक खुफिया गठबंधन है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, यूनाइटेड किंगडम (यूके) और संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) शामिल हैं.

सबसे पहले कनाडा के आरोपों के बारे में बात करते हुए जयशंकर ने आरोप लगाया कि ‘महत्वपूर्ण संदर्भ’ यह था कि कनाडा में अलगाववादी गतिविधि के लिए ‘बहुत ही अनुमतिपूर्ण’ वातावरण था. उन्होंने कहा कि कनाडा ने पिछले कुछ वर्षों में ‘अलगाववादी ताकतों से संबंधित संगठित अपराध’ की बड़ी संख्या देखी है.

उन्होंने कहा, ‘वास्तव में हम कनाडाई लोगों को बार-बार इस संबंध में कदम उठाने को कहा है. हमने उन्हें संगठित अपराध के बारे में बहुत सारी जानकारी दी है, जो कनाडा से संचालित होता है. इसके साथ ही बड़ी संख्या में प्रत्यर्पण अनुरोध भी किए गए हैं.’

यह पहली बार है जब केंद्रीय विदेश मंत्री जयशंकर ने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान कनाडा मामले को लेकर सीधे तौर पर बातचीत की है. संयुक्त राष्ट्र महासभा में बोलते हुए उन्होंने कनाडा का नाम नहीं लिया, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद और उग्रवाद से ‘राजनीतिक सुविधा’ के अनुसार नहीं लड़ा जा सकता है.

मालूम हो कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने बीते 18 सितंबर को कनाडाई संसद (हाउस ऑफ कॉमन्स) में एक सनसनीखेज बयान में दावा किया था कि उनके देश की सुरक्षा एजेंसियों के पास ‘विश्वसनीय’ खुफिया जानकारी है कि जून 2023 में ब्रिटिश कोलंबिया में खालिस्तान समर्थक नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत सरकार का हाथ था.

उन्होंने कहा था कि उन्होंने इस मुद्दे को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ‘स्पष्ट रूप से’ उठाया था.

खालिस्तान समर्थक संगठन खालिस्तान टाइगर फोर्स और सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) की कनाडाई शाखा के प्रमुख 46 वर्षीय निज्जर भारत में वांछित था और इस साल 19 जून को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर उसकी अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.

बहरहाल, कनाडाई प्रधानमंत्री के आरोपों का भारत ने खंडन किया था. साथ ही दोनों देशों ने अपने राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था.

बीते 21 सितंबर को ट्रूडो ने फिर दोहराया था कि उनके देश की सुरक्षा एजेंसियों के पास यह मानने के ‘विश्वसनीय’ कारण हैं कि भारत सरकार के एजेंट एक कनाडाई नागरिक (निज्जर) की हत्या में शामिल थे.

लोकतंत्र की कमी

जब एक पत्रकार ने पूछा कि क्या भारत विभिन्न अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों के अनुसार देश में ‘लोकतांत्रिक स्थितियों की कमी’ की धारणाओं के बारे में चिंतित है, तो जयशंकर ने कहा कि इस तरह की रिपोर्ट वास्तव में ‘अशुद्धियों से भरी’ हुई हैं.

हालांकि यह भारत सरकार के ऐसे दावों का खंडन करने के उसके पिछले रवैये के अनुरूप है.

जयशंकर ने सवाल पूछने वाले विदेशी मामलों के पत्रकार से कहा, ‘वहां एक वैचारिक एजेंडा है. मुझे नहीं पता कि इसे समझना मुश्किल क्यों है.’

भारत-रूस और भारत-चीन संबंध पर क्या बोले

इसी बातचीत में जयशंकर ने कहा कि भारत-रूस संबंध बहुत स्थिर हैं और दोनों देशों ने यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास किए हैं कि यह ऐसा ही बना रहे.

द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, पिछले 70 वर्षों में अमेरिका-रूस, रूस-चीन और यूरोप-रूस संबंधों में अच्छे और बुरे दौर आए हैं, लेकिन रूस के साथ भारत के संबंध ‘बहुत-बहुत स्थिर’ रहे हैं.

जयशंकर ने आगे कहा कि एशिया में स्थित वैश्विक शक्तियों के रूप में भारत और रूस एक-दूसरे के साथ रहने के महत्व को समझते हैं. ‘और इसलिए हम यह सुनिश्चित करने के लिए बहुत सावधानी बरतते हैं कि यह संबंध ऐसे ही काम करता रहे’.

जयशंकर इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या रूस की चीन से निकटता भारत-रूस संबंधों को प्रभावित कर सकती है.

उन्होंने आगे कहा, यूक्रेन की स्थिति को देखते हुए रूस एशिया में संबंध बनाने पर अधिक ध्यान दे रहा है. उन्होंने कहा, ‘मैं वास्तव में भविष्यवाणी करूंगा कि रूस वैकल्पिक संबंध बनाने के लिए बहुत कड़े प्रयास करेगा, जिनमें से अधिकांश एशिया में होंगे.’

चीन के साथ भारत के संबंधों पर जयशंकर ने कहा कि दोनों देश विभिन्न चरणों से गुजरे हैं और यह कभी आसान नहीं रहा.

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘मैं 2009 में वैश्विक वित्तीय संकट के ठीक बाद 2013 तक चीन का राजदूत था. मैंने वहां सत्ता परिवर्तन देखा और फिर मैं अमेरिका आ गया. यह कभी भी आसान रिश्ता नहीं रहा. इसमें हमेशा समस्याएं रही हैं.’

उन्होंने कहा कि हालांकि संघर्ष के इतिहास के बावजूद 1975 के बाद से सीमा पर किसी सैन्य कार्रवाई या युद्ध में कोई हताहत नहीं हुआ है. उनके अनुसार, ‘1962 में युद्ध हुआ था, उसके बाद सैन्य घटनाएं हुईं, लेकिन 1975 के बाद सीमा पर कभी कोई घातक सैन्य घटना या युद्ध नहीं हुआ.’

यह दावा करते हुए कि 1975 के बाद से ‘युद्ध में कोई मौत’ नहीं हुई है, जयशंकर ने गलवान घाटी में साल 2020 की झड़प का संदर्भ नहीं दिया, जिसमें भारतीय सेना के कम से कम 20 जवानों की मौत हो गई थी.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि, उन्होंने यह कहा कि चीनी सैनिकों के वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की ओर बढ़ने के बाद गलवान घटना के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध ‘असामान्य स्थिति’ में हैं.

जयशंकर के अनुसार, विभिन्न बिंदुओं पर दिए गए चीन के स्पष्टीकरण तर्कसंगत नहीं हैं. ‘और तब से हम अलग होने की कोशिश कर रहे हैं. हम आंशिक रूप से सफल रहे हैं’.

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