असम: नाबालिग घरेलू सहायिका को ‘अमानवीय यातना’ देने के आरोप में मेजर और पत्नी गिरफ़्तार

पुलिस ने बताया कि असम के ​दीमा हसाओ ज़िले से आदिवासी कुकी समुदाय की नाबालिग लड़की को मेजर और उनकी पत्नी दो साल पहले ट्रांसफर होने के बाद हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में अपने साथ ले गए थे. लड़की को पूरे एक साल तक अमानवीय यातना से गुज़रना पड़ा. उसके पूरे शरीर पर तमाम तरह की चोटों के निशान हैं. उसकी स्थिति गंभीर बनी हुई है.

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(फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स)

पुलिस ने बताया कि असम के ​दीमा हसाओ ज़िले से आदिवासी कुकी समुदाय की नाबालिग लड़की को मेजर और उनकी पत्नी दो साल पहले ट्रांसफर होने के बाद हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में अपने साथ ले गए थे. लड़की को पूरे एक साल तक अमानवीय यातना से गुज़रना पड़ा. उसके पूरे शरीर पर तमाम तरह की चोटों के निशान हैं. उसकी स्थिति गंभीर बनी हुई है.

(फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स)

नई दिल्ली: भारतीय सेना के एक मेजर और उनकी पत्नी को पुलिस ने असम के दीमा हसाओ में एक नाबालिग आदिवासी लड़की को कथित तौर पर ‘अमानवीय यातना’ देने के आरोप में गिरफ्तार किया है, जिसे उन्होंने हिमाचल प्रदेश में घरेलू नौकर के रूप में रखा था.

पुलिस को 24 सितंबर को नाबालिग लड़की के साथ कथित तौर पर किए गए व्यवहार के बारे में जानकारी मिलने के बाद 25 सितंबर को हाफलोंग में दंपति को गिरफ्तार किया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उन पर गंभीर चोट पहुंचाने, गैरकानूनी अनिवार्य श्रम, आपराधिक धमकी, शील भंग करने और तस्करी से संबंधित आईपीसी की धाराओं के अलावा यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत भी केस दर्ज किया गया है.

पुलिस ने कहा कि पॉक्सों की धाराएं लगाई गई हैं, क्योंकि आरोप है कि दंपति ने लड़की को निर्वस्त्र भी किया था और उसका वीडियो भी लिया था.

पुलिस के अनुसार, पत्नी हाफलोंग की मूल निवासी हैं और उन्होंने सेना के मेजर से तब शादी की थी, जब वह जिले में तैनात थे. कुकी समुदाय की लड़की को वे दो साल पहले हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में अपने साथ ले गए थे, जब उनका स्थानांतरण हो गया था.

दीमा हसाओ के पुलिस अधीक्षक (एसपी) मयंक कुमार ने कहा कि इस महीने की शुरुआत में उनकी पत्नी ने नाबालिग लड़की को अस्वस्थ और बुरी शारीरिक स्थिति में उसके परिवार को सौंप दिया था.

उसने कहा, ‘मामला हमारे संज्ञान में सोशल मीडिया के माध्यम से आया. लड़की के परिवार वाले बहुत गरीब हैं और उन्होंने खुद कभी हमसे संपर्क नहीं किया. वह चार-पांच दिनों से अस्पताल में थी, तभी किसी को उसकी दुर्दशा रिकॉर्ड करने और उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करने का विचार आया. जब यह बात हमारे संज्ञान में आई तो हम उनके पास गए और पीड़ित से एफआईआर ली.’

उस समय पत्नी हाफलोंग में थी और उनके पति को हिमाचल प्रदेश की पुलिस ने वहां बुलाया था. दोनों 25 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था. कुमार ने कहा कि लड़की की हालत गंभीर बनी हुई है.

उन्होंने आगे कहा, ‘लड़की को पूरे एक साल तक अमानवीय यातना से गुजरना पड़ा. वह अभी भी अस्पताल में है और उसके पूरे शरीर पर तमाम तरह की चोटों के निशान हैं. उसके शरीर पर नए और पुराने दोनों प्रकार के जले हुए निशान हैं. उसकी जीभ समेत पूरे शरीर पर कटने के निशान हैं. उसके दांत टूट गए हैं, नाक टूट गई है, चेहरा सूज गया है. वह अब ठीक से बोल भी नहीं पा रही है.’

मंगलवार (26 सितंबर) को जिला प्रशासन द्वारा किशोर न्याय कोष से 50,000 रुपये लड़की के परिवार को सौंपे गए और अधिकारियों ने कहा कि पॉक्सो अधिनियम और एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के प्रावधान के तहत परिवार को अतिरिक्त मुआवजा प्रदान करने के प्रयास चल रहे हैं.

एक अधिकारी ने कहा, ‘बुधवार को पुलिस और जिला प्रशासन की बाल कल्याण, सामाजिक कल्याण, जिला बाल संरक्षण इकाइयों जैसी कई एजेंसियों के साथ एक बैठक हुई, जिसमें लड़की का पुनर्वास कैसे किया जाए, उसे कानूनी सहायता कैसे दी जाए और कैसे उसे समाज में वापस लाने में मदद की जाए – पर चर्चा हुई.’

दंपति को अदालत ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.

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