कोविड वैक्सीन संबंधी तकनीक खोजने वाले वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार मिलने समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

कोविड वैक्सीन की एमआरएनए तकनीक को ईजाद करने वाले वैज्ञानिकों- डॉ. कैटालिन कारिको और डॉ. ड्रियू वाइसमैन को मेडिसिन का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई  है. बीबीसी के अनुसार, एमआरएनए यानी मैसेंजर रायबोन्यूक्लिक एसिड शरीर को प्रोटीन बनाने का तरीका बताती है. नोबेल पुरस्कार की वेबसाइट ने कहा कि आधुनिक समय में मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक के दौरान पुरस्कार विजेताओं ने टीका विकसित करने में अभूतपूर्व योगदान दिया है. डॉ. कैटालिन हंगरी मूल की अमेरिकी और बायोकेमिस्ट हैं. डॉ. ड्रू वाइसमैन पेन्न इंस्टिट्यूट ऑफ आरएनए इनोवेशन के निदेशक और यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिल्वेनिया के पेरेलमैन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिसिन में प्रोफेसर हैं.  परंपरागत रूप से टीके में मानव शरीर में मृत या कमजोर वायरस डाले जाते हैं, ताकि यह उनके खिलाफ एंटीबॉडी विकसित कर सके. ताकि जब असल वायरस किसी को संक्रमित करे, तो उनका शरीर उससे लड़ने के लिए तैयार हो. हालांकि, एमआरएनए तकनीक में आनुवंशिक रूप से इंजीनियर किया गया एमआरएनए, कोशिकाओं को किसी विशेष वायरस से लड़ने के लिए जरूरी प्रोटीन बनाने का निर्देश दे सकता है. कोविड-19 के लिए विकसित की गईं मॉडर्ना और फाइजर वैक्सीन में इसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया था.

बिहार के खासे विवादों में रहे जाति आधारित सर्वेक्षण की रिपोर्ट सोमवार को जारी कर दी गई. टाइम्स ऑफ इंडिया  बताती है कि सर्वे के अनुसार, राज्य की कुल आबादी 13 करोड़ से ज़्यादा है, जिसमें पिछड़ा वर्ग 27.13 फीसदी, अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01 फीसदी और सामान्य वर्ग 15.52 फीसदी है. सर्वे में शामिल कुल आबादी में 19.65% अनुसूचित जाति (एससी), 1.68% अनुसूचित जनजाति (एसटी) शामिल हैं, जबकि कुशवाह और कुर्मी की आबादी का प्रतिशत क्रमशः  4.27% और 2.87% है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुर्मी समुदाय से आते हैं. जनसंख्या के मामले में यादव राज्य की कुल आबादी का 14.27 प्रतिशत हैं. बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव इसी समुदाय से आते हैं. आबादी में हिंदू 81.99 फीसदी, मुस्लिम 17.7 फीसदी, ईसाई 0.05 फीसदी, सिख 0.01 फीसदी, बौद्ध 0.08 फीसदी और अन्य धर्म के लोग 0.12 फीसदी हैं.

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा है कि भाजपा को अगले 10 साल तक मिया वोटों की ज़रूरत नहीं है. ‘मिया’ मूल रूप से एक अपमानजनक शब्द है, जिसे असम में बंगाली मूल के मुसलमानों के लिए इस्तेमाल किया जाता था. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने रविवार (1 अक्टूबर) को कहा कि ‘चार’ (नदी के रेतीले) क्षेत्र के ‘मिया’ लोगों के वोटों की जरूरत नहीं है, जब तक कि वे बाल विवाह जैसी प्रथाओं को छोड़कर खुद में सुधार नहीं कर लेते. ‘चार’ क्षेत्र में बांग्लाभाषी मुस्लिम आबादी अधिक है. उन्होंने जोड़ा कि ‘मिया’ लोग उनका, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा का समर्थन करते हैं और वे उन्हें वोट दिए बिना उनके पक्ष में नारे लगाना जारी रख सकते हैं. शर्मा ने कहा कि उनके और भाजपा के पक्ष में मतदान करने वालों को दो या तीन से अधिक बच्चे नहीं पैदा करने चाहिए, अपनी बेटियों को स्कूल भेजना चाहिए, बाल विवाह नहीं करना चाहिए और कट्टरवाद छोड़कर सूफीवाद अपनाना चाहिए. ‘जब ये शर्तें पूरी हो जाएंगी तो मैं वोट मांगने ‘चार’ क्षेत्र में जाऊंगा.’

पांच महीने से जातीय संघर्ष से जूझ रहे मणिपुर की भाजपा इकाई ने पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व को पत्र लिखते हुए सूबे के लोगों की नाराज़गी के बारे में उन्हें अवगत कराया है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पार्टी की राज्य इकाई की अध्यक्ष शारदा देवी, उपाध्यक्ष चौधरी चिदानंद सिंह और छह अन्य लोगों द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से कहा गया है कि लोग गुस्से में हैं, क्योंकि राज्य सरकार अब तक जातीय संघर्ष को रोकने में विफल रही है. उन्होंने पत्र में विभिन्न हाईवे पर निर्बाध संचालन, लोगों को उनके मूल स्थान पर फिर बसाने, हिंसा में घर खोने वालों को मुआवज़ा और जान गंवाने वालों के परिजनों के लिए अनुग्रह राशि देने की मांगें भी रखी हैं.

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने ‘एक देश, एक शिक्षा बोर्ड’ की मांग का विरोध किया है. द लीफलेट के अनुसार, बोर्ड ने ऐसा भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा देशभर के स्कूलों में एक पाठ्यक्रम की मांग वाली जनहित याचिका के जवाब में दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा है. उक्त याचिका ख़ारिज करने की मांग करते हुए सीबीएसई ने कहा है कि कोई बच्चा ऐसे पाठ्यक्रम से बेहतर ढंग से जुड़ सकता है जो स्कूल के बाहर उसकी जिंदगी से ज़्यादा करीब से जुड़ा हो. इसलिए, मुख्य सामान्य तत्व के अलावा पाठ्यक्रम और अन्य शैक्षणिक संसाधनों में बहुलता जरूरी है. सीबीएसई ने जोड़ा कि समान बोर्ड या पाठ्यक्रम का आह्वान करते हुए स्थानीय संदर्भ, संस्कृति और भाषा को ध्यान में नहीं रखा गया है.

पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली की मांग को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों के कई लाख कर्मचारियों ने रविवार (1 अक्टूबर) को राष्ट्रीय राजधानी के रामलीला मैदान में प्रदर्शन किया. द टेलीग्राफ के मुताबिक, प्रदर्शन में शामिल हुए नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम नामक संगठन की ओर से कहा गया है ​वह अगले कुछ दिनों तक सरकार की प्रतिक्रिया का इंतज़ार करेगा. अगर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिलती है, तो संगठन सभी राज्यों में भाजपा के ख़िलाफ़ अभियान चलाएगी और लोगों से 2024 के आम चुनाव में पार्टी को वोट न देने के लिए कहेगी.

हिंसा से जूझ रहे मणिपुर में दोबारा लगाए गए इंटरनेट प्रतिबंध को 6 अक्टूबर तक बढ़ा दिया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, तीन मई को राज्य में हिंसा शुरू होने के लगभग पांच महीने तक राज्य में बंद रहे इंटरनेट को  ​23 सितंबर को बहाल किया गया था, हालांकि तीन दिन के भीतर ही इंटरनेट पर दोबारा रोक लगाते हुए इसे 1 अक्टूबर तक बढ़ा दिया गया था. रविवार को जारी सरकारी आदेश में कहा गया है कि ऐसी आशंका है कि कुछ असामाजिक तत्व जनता की भावनाएं भड़काने वाली तस्वीरें, नफरत भरे भाषण और नफरत भरे वीडियो मैसेज प्रसारित करने के लिए बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिसका राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर असर हो सकता है. उल्लेखनीय है कि इंटरने बहाली के तीन दिनों में ही इंफाल से लापता हुए दो छात्रों की मौत की पुष्टि करती तस्वीरें सामने आई थीं, जिसके बाद घाटी में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए थे. रविवार को मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने ऐलान किया था कि इस मामले को लेकर चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

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