मणिपुर हिंसा के कारण पढ़ाई जारी रखने में असमर्थ छात्रों ने प्रदर्शन किया

मणिपुर के चुराचांदपुर शहर में आदिवासी छात्रों ने अपनी शिक्षा पर पड़ रहे हिंसा के कुप्रभाव को लेकर धरना दिया. छात्रों ने राज्य और केंद्र पर कुकी और ज़ो समुदाय के छात्रों की शिक्षा के प्रति लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि वे अपनी पढ़ाई जारी रखने में असमर्थ हैं, क्योंकि सरकार उनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने में विफल रही है.

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(फाइल फोटो: द वायर)

मणिपुर के चुराचांदपुर शहर में आदिवासी छात्रों ने अपनी शिक्षा पर पड़ रहे हिंसा के कुप्रभाव को लेकर धरना दिया. छात्रों ने राज्य और केंद्र पर कुकी और ज़ो समुदाय के छात्रों की शिक्षा के प्रति लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि वे अपनी पढ़ाई जारी रखने में असमर्थ हैं, क्योंकि सरकार उनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने में विफल रही है.

(फाइल फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: मणिपुर में हजारों आदिवासी छात्रों ने अपनी शिक्षा पर चल रहे हिंसा के प्रभाव को लेकर शनिवार (11 नवंबर) एक विरोध प्रदर्शन में भाग लिया. जॉइंट स्टूडेंट बॉडी (जेएसबी) के बैनर तले विरोध प्रदर्शन चुराचांदपुर में आयोजित किया गया, जो उन दो स्थानों में से एक है, जहां मई में हिंसा भड़की थी.

बीते मई महीने से जारी हिंसा ने 180 से अधिक लोगों की जान ले ली है और हजारों परिवार विस्थापित हो गए हैं. जो लोग अपने घरों से भाग गए थे, उनमें से कई सुरक्षा चिंताओं के कारण वापस नहीं लौटे हैं.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, हाथों में तख्तियां लिए छात्रों ने चुराचांदपुर में एक विशाल रैली निकाली. विरोध करने वालों में मणिपुर के जवाहरलाल नेहरू इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और रीजनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में मेडिकल पाठ्यक्रम कर रहे छात्र भी शामिल थे. दोनों परिसर इंफाल में स्थित हैं.

नगालैंड पोस्ट के अनुसार, रैली में जिले के विभिन्न निजी और सरकारी कॉलेजों और स्कूलों के हजारों छात्रों ने भाग लिया, विस्थापित मेडिकल, इंजीनियरिंग, नर्सिंग और अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के छात्रों ने आरोप लगाया कि वे अपनी पढ़ाई जारी रखने में असमर्थ हैं, क्योंकि सरकार उनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने में विफल रही है.

छह महीने से अधिक समय से चली आ रही जातीय हिंसा के कारण विस्थापित हुए छात्र सरकार से नजदीकी राज्यों में वैकल्पिक व्यवस्था की मांग कर रहे हैं, ताकि वे अपनी पढ़ाई जारी रख सकें.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदर्शनकारी छात्रों ने कहा कि राज्य की राजधानी में उनके सहपाठी कक्षाओं में भाग ले रहे हैं, लेकिन हिंसा भड़कने के बाद पहाड़ियों पर चले गए आदिवासी छात्रों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है. छात्र अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की मांग कर रहे हैं.

उन्होंने राज्य और केंद्र पर कुकी और ज़ो समुदाय के छात्रों की शिक्षा के प्रति लापरवाही का आरोप लगाया है. छात्रों ने प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए ऑनलाइन टेस्ट फिर से शुरू करने की भी मांग की है.

प्रदर्शनकारियों में से एक ने कहा कि छात्र अपनी परीक्षा देने के लिए तैयार हैं और उन्होंने परीक्षा शुल्क और आवश्यक दस्तावेज जमा कर दिए हैं, लेकिन उन्हें अभी तक अपने संस्थानों से यह नहीं पता है कि वे परीक्षा कब दे सकते हैं.

एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा कि वे छात्रों की समस्याओं के प्रति राज्य और केंद्र सरकारों के ‘अन्याय’ और ‘उदासीनता’ के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने राज्य में अशांति के दौरान पाठ्यक्रम सामग्री और प्रमाण-पत्रों सहित शैक्षिक दस्तावेजों को जलाने की भी निंदा की.

उन्होंने कहा, ‘आज तक हमारे समुदाय के छात्रों के खिलाफ अपराध करने वाले किसी भी व्यक्ति पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है, कोई जवाबदेही तय नहीं की गई है.’

जेएसबी ने चुराचांदपुर जिले में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना, पहाड़ी जिलों में तकनीकी और अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों की स्थापना, पहाड़ी जिलों में स्थित और आदिवासियों के नेतृत्व वाले संगठनों को आदिवासी सशक्तिकरण के लिए जनजातीय मामलों के मंत्रालय और अन्य मंत्रालयों के तहत धन और लाभों के वितरण की भी मांग की.