द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा में निजी क्षेत्र की नौकरियों में राज्य के निवासियों के लिए 75% आरक्षण अनिवार्य करने वाले कानून को रद्द कर दिया है. टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, जस्टिस जीएस संधावालिया और जस्टिस हरप्रीत कौर जीवन की खंडपीठ ने हरियाणा के विभिन्न औद्योगिक निकायों द्वारा दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इस कानून को असंवैधानिक करार दिया. 2020 में पारित हुए इस कानून को लेकर औद्योगिक निकायों की मुख्य शिकायत यह थी कि कानून नियोक्ताओं के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है क्योंकि निजी क्षेत्र की नौकरियां पूरी तरह से कौशल पर आधारित हैं और वो लोग, जो भारत के नागरिक हैं, उन्हें अपनी शिक्षा के आधार पर भारत के किसी भी हिस्से में नौकरी करने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है. हाईकोर्ट ने फरवरी 2022 में इस अधिनियम पर रोक लगा दी थी, लेकिन कुछ दिनों बाद हरियाणा सरकार की अपील के बादसुप्रीम कोर्ट ने इसके आदेश को रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से उक्त याचिकाओं पर जल्द फैसला लेने को कहा था.
देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि किसी पार्टी के सदस्य के रूप में विचार रखने वाले लोगों को न्यायाधीश नियुक्त करने पर कोई रोक नहीं है. द हिंदू के अनुसार, मद्रास हाईकोर्ट की न्यायाधीश के रूप में जस्टिस विक्टोरिया गौरी की सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश के बारे में किए गए एक सवाल के जवाब में सीजेआई ने कहा कि किसी व्यक्ति को उनके ‘किसी राजनीतिक दल का सदस्य रहने के दौरान व्यक्त किए गए विचारों या जिन मुवक्किलों के लिए वह एक वकील के रूप में पेश हुए हों, उसके चलते उच्च न्यायिक कार्यालय में नियुक्त किए जाने से ‘अक्षम’ नहीं किया जाना चाहिए. हार्वर्ड लॉ स्कूल में हुए एक कार्यक्रम में सीजेआई ने यह भी जोड़ा कि न्यायिक नियुक्ति एक ‘व्यापक सहयोगात्मक प्रक्रिया’ होती है, जिसमें सरकार की निर्णायक भूमिका नहीं होती.’ कॉलेजिम द्वारा गौरी की पदोन्नति की सिफारिश के बाद कुछ वकीलों ने इस साल जनवरी में राष्ट्रपति से इस निर्णय को बदलने की मांग की थी. शीर्ष अदालत में याचिकाकर्ताओं ने जस्टिस गौरी पर आरोप लगाया था कि उन्होंने सोशल मीडिया पर सार्वजनिक रूप से आक्रोश व्यक्त किया था जो अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हेट स्पीच के समान था.
दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में सीएए विरोधी प्रदर्शनों के वीडियो की मांग लेकर एक्टिविस्ट देवांगना कलीता ने हाईकोर्ट का रुख किया है. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, दंगों की आरोपी बनाई गईं देवांगना ने अदालत से कहा है कि उन्हें मामले में अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए वीडियो और एक ग्रुप से संबंधित वॉट्सऐप चैट की ज़रूरत है. उन्होंने अदालत से इन्हें उपलब्ध कराने के लिए दिल्ली पुलिस को निर्देश देने की मांग की है. हाईकोर्ट ने उनकी याचिकाओं पर नोटिस जारी कर जांच एजेंसी को अपना जवाब दाखिल करने को कहा है, हालांकि ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.
मणिपुर सरकार ने कुकी-जो आदिवासियों का प्रतिनिधित्व करने वाले इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) के राज्य के कुछ ज़िलों में ‘स्वशासन’ की घोषणा को लेकर कानूनी कार्रवाई करने की बात कही है. आईटीएलएफ ने सरकार से कोई उम्मीद न होने की बात कहते हुए तेंगनौपाल, कांगपोकपी और चूड़ाचांदपुर ज़िलों में आदिवासी शासन लाने की घोषणा की थी. द हिंदू के मुताबिक, गुरुवार शाम जारी एक बयान में मणिपुर सरकार ने कहा कि आईटीएलएफ के बयान का कोई कानूनी या संवैधानिक आधार नहीं है. यह प्रेरित लगता है और संगठन और संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई शुरू की जा रही है.
बिहार में नीतीश सरकार ने धार्मिक जुलूसों में हथियारों और हाई-डेसीबल माइक के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है. द टेलीग्राफ के अनुसार, सभी जिलों के डीएम और एसपी को जारी एक आदेश में बताया गया है कि अगर किसी धार्मिक जुलूस में किसी विशेष कारण से तलवार या कोई अन्य हथियार ले जाना ज़रूरी हो तो इसे ले जाने वाले व्यक्ति को प्रशासन से पहले अनुमति लेनी होगी. इसके अलावा माइक और सार्वजनिक संबोधन प्रणाली का उपयोग केवल भीड़ नियंत्रित करने के लिए किया जाएगा.
हरियाणा के नूंह में पूजा के लिए जा रही महिलाओं पर पथराव की घटना के बाद शहर में तनाव उत्पन्न हो गया. नवभारत टाइम्स के अनुसार, गुरुवार की रात करीब साढ़े आठ बजे महिलाओं का एक समूह कुआं पूजन के लिए जा रहा था, जब एक मस्जिद से कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने महिलाओं पर पथराव किया, जिसमें तीन महिलाएं घायल हो गईं . इस घटना की खबर फैलते ही शुक्रवार को सैकड़ों लोगों ने प्रदर्शन किया. डीएसपी नूंह वीरेंद्र सिंह ने बताया है कि मामले में एफआईआर दर्ज कर ली गई है और जांच जारी है.