अडानी-हिंडनबर्ग मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसला सुरक्षित रखने समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

सुप्रीम कोर्ट ने अमेरिका की शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह की कंपनियों के खिलाफ शेयर बाज़ार के नियमों उल्लंघन के आरोपों की अदालत की निगरानी में जांच की मांग की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. लाइव लॉ के अनुसार, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने शुक्रवार (24 नवंबर) को दोपहर करीब दो घंटे तक चली मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने मौखिक रूप से कहा कि सेबी को शेयर बाजार को शॉर्ट-सेलिंग जैसी घटनाओं से होने वाली अस्थिरता से बचाने के लिए कदम उठाने चाहिए. सीजेआई ने शीर्ष अदालत द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति के सदस्यों की निष्पक्षता पर याचिकाकर्ताओं द्वारा लगाए गए आरोपों पर असहमति जाहिर की. जनवरी में हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट में अडानी समूह पर धोखाधड़ी के आरोप लगाते हुए कहा था कि अडानी समूह दशकों से ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है.

कर्नाटक के मंत्रिमंडल ने उपमुख्यमंत्री और राज्य कांग्रेस प्रमुख डीके शिवकुमार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले की जांच के लिए पिछली भाजपा सरकार द्वारा सीबीआई को दी गई मंजूरी वापस ले ली है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, कैबिनेट के निर्णय का आधार यह बताया है कि भाजपा सरकार द्वारा सितंबर 2019 में दी गई मंजूरी ‘कानून के अनुरूप नहीं थी और पूर्व सीएम द्वारा एकतरफा तरीके से लिया गया था. इस निर्णय से करीब एक महीने पहले कर्नाटक हाईकोर्ट ने 19 अक्टूबर को शिवकुमार के खिलाफ जांच को रद्द करने से इनकार कर दिया था और सीबीआई को 2020 में शुरू हुई जांच को तीन महीने के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया था. उससे पहले इसी अदालत ने अप्रैल महीने में शिवकुमार की उनके खिलाफ सीबीआई जांच के लिए 2019 की मंजूरी को रद्द करने की एक विशेष याचिका खारिज की थी.

ओडिशा सरकार ने राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासी भूमि को गैर-आदिवासियों को बेचने की अनुमति देने के अपने फैसले को पलट दिया है. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, बीते 14 नवंबर को ओडिशा कैबिनेट ने उड़ीसा अनुसूचित क्षेत्र अचल संपत्ति हस्तांतरण (अनुसूचित जनजातियों द्वारा) विनियम, 1956 में संशोधन की अनुमति दी थी, जिससे आदिवासियों के लिए अपनी भूमि का कुछ हिस्सा गैर-आदिवासियों को गिरवी रखना या बेचना संभव हो गया. हालांकि, इस फैसले को लेकर फ़ौरन विरोध शुरू हो गया, जहां विपक्षी दलों ने सरकार पर गरीब आदिवासियों को अपनी जमीन बेचने के लिए मजबूर करने और खनिज समृद्ध क्षेत्रों में कॉरपोरेट को जमीन हड़पने को सक्षम करने का आरोप लगाया था. शुक्रवार को संसदीय कार्य मंत्री निरंजन पुजारी ने कैबिनेट की बैठक के बाद विधानसभा में फैसले की घोषणा की और बदलाव को मंजूरी दे दी. मंत्री ने कहा कि प्रस्ताव भेजने वाली जनजातीय सलाहकार समिति को इस पर पुनर्विचार करने के लिए कहा गया है.

ईडी ने 100 करोड़ रुपये के पोंजी स्कीम मामले में अभिनेता प्रकाश राज को पूछताछ के लिए बुलाया है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, ईडी की यह जांच आर्थिक अपराध शाखा (तिरुचि) द्वारा एक आभूषण फर्म और अन्य के ख़िलाफ़ दर्ज की गई एफ़आईआर पर आधारित है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उच्च रिटर्न के वादे के साथ सोने की निवेश योजना की आड़ में लोगों से लगभग 100 करोड़ रुपये एकत्र किए गए थे. प्रकाश राज कथित तौर पर फर्म के ब्रांड एंबेसडर थे. राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता अभिनेता प्रकाश राज ने अब तक इस संबंध में कोई बयान जारी नहीं किया है.

क़तर के कोर्ट ऑफ अपील ने आठ पूर्व भारतीय नौसैनिकों को दी गई मौत की सजा के खिलाफ भारत सरकार के आवेदन को स्वीकार कर लिया है. बीते अक्टूबर में क़तर में एक साल से अधिक समय से हिरासत में रखे गए आठ पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद भारत ने अपील की थी. रिपोर्ट के अनुसार, अब घटनाक्रम से वाकिफ सूत्रों ने बताया है कि भारत की अपील स्वीकार कर ली गई है और आवेदन पर सुनवाई तय कार्यक्रम के मुताबिक शुरू होगी. इसके अतिरिक्त कोई अन्य विवरण उपलब्ध नहीं कराया गया है. अगस्त 2022 में बिना किसी आरोप के हिरासत में लिए गए पूर्व नौसैनिक एक निजी फर्म के लिए काम कर रहे थे, जो कतर के सशस्त्र बलों को प्रशिक्षण और उससे संबंधित सर्विस दिया करती थी. ख़बरों के अनुसार, उन पर जासूसी का आरोप लगाया गया था.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्यपाल विधेयकों को अनिश्चितकाल तक लंबित नहीं रख सकते. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पंजाब सरकार की राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित, जिन्होंने राज्य सरकार द्वारा उन्हें भेजे गए विधेयकों को लंबित रखा था, के ख़िलाफ़ याचिका पर अपने फैसले में यह स्पष्ट किया. अदालत ने कहा कि राज्यपाल ‘एक प्रतीकात्मक प्रमुख हैं और वे राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर कार्रवाई नहीं रोक सकते’. इससे पहले 10 नवंबर की सुनवाई में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्यपाल के विधायी प्रक्रिया का सम्मान करने के महत्व पर जोर दिया. सीजेआई ने राज्यपाल को संबोधित करते हुए कहा था, ‘आप आग से खेल रहे हैं. राज्यपाल ऐसा कैसे कह सकते हैं…’