निखिल गुप्ता के अमेरिका को प्रत्यर्पण का मामला भारतीय अदालतों के अधिकारक्षेत्र में नहीं: चेक गणराज्य

खालिस्तानी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साज़िश रचने के केस में अमेरिकी अभियोजकों द्वारा आरोपी बनाए गए भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता प्राग में गिरफ़्तारी के बाद जेल में हैं. बीते हफ्ते उनके परिवार ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि वह भारत सरकार को गुप्ता के प्रत्यर्पण की कार्रवाई में हस्तक्षेप करने के निर्देश दे.

(इलस्ट्रेशन: द वायर)

खालिस्तानी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साज़िश रचने के केस में अमेरिकी अभियोजकों द्वारा आरोपी बनाए गए भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता प्राग में गिरफ़्तारी के बाद जेल में हैं. बीते हफ्ते उनके परिवार ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि वह भारत सरकार को गुप्ता के प्रत्यर्पण की कार्रवाई में हस्तक्षेप करने के निर्देश दे.

(इलस्ट्रेशन: द वायर)

नई दिल्ली: चेक गणराज्य के न्याय मंत्रालय ने कहा है कि निखिल गुप्ता का मामला भारतीय न्यायिक अधिकरणों के ‘अधिकार क्षेत्र’ में नहीं आता है. वह पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में निखिल गुप्ता के परिवार द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के संबंध में इंडियन एक्सप्रेस के सवालों के जवाब दे रहे थे.

अमेरिकी अधिकारियों द्वारा गुप्ता पर एक भारतीय खुफिया अधिकारी के इशारे पर न्यूयॉर्क में खालिस्तानी अलगाववादी अमेरिकी नागरिक गुरपतवंत सिंह पन्नू को मारने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है. 29 नवंबर को न्यूयॉर्क की जिला अदालत में दाखिल किए गए अमेरिकी अभियोग में खुफिया अधिकारी के नाम का उल्लेख नहीं किया गया है और उन्हें सीसी-1 के रूप में संदर्भित किया गया है

गुप्ता वर्तमान में प्राग की पैंक्रैक जेल में बंद हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पिछले हफ्ते उनके परिवार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए मांग की थी कि केंद्र सरकार को निर्देश दिए जाएं कि वह अमेरिका के अनुरोध पर चेक गणराज्य में हो रही गुप्ता के खिलाफ प्रत्यर्पण की कार्रवाई में हस्तक्षेप करे.

सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर 4 जनवरी को सुनवाई करने के लिए तैयार हो गया है.

इंडियन एक्सप्रेस के सवालों के जवाब में, जिनमें बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में गुप्ता के परिवार द्वारा उठाए गए आरोप शामिल थे कि प्रत्यर्पण कार्यवाही प्रक्रियात्मक विफलताओं के कारण प्रभावित हुई है, चेक न्याय मंत्रालय के प्रवक्ता व्लादिमीर रेपका ने लिखा, ‘भारतीय गणराज्य के किसी भी न्यायाधिकरण के पास उक्त मामले में कोई क्षेत्राधिकार नहीं है, मामला चेक गणराज्य के सक्षम अधिकारियों के अधिकारक्षेत्र मे आता है.’

पिछले हफ्ते, जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ, जिन्होंने शुरू में याचिका को स्वीकार किया था, ने पहले तो याचिकाकर्ता को चेक गणराज्य की ‘संबंधित अदालत’ से संपर्क करने के लिए कहा था.

जस्टिस खन्ना ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सी. आर्यमा सुंदरम से कहा था, ‘आपको संबंधित अदालत में जाना होगा… हम इस सबमें नहीं जाएंगे. हम यहां कोई फैसला नहीं सुनाएंगे. यह विदेश मंत्रालय या किसी भी मंत्रालय के लिए बेहद संवेदनशील मामला है. इस पर उन्हें फैसला करना है.’

हालांकि, बाद में पीठ इस मामले पर 4 जनवरी को सुनवाई करने पर सहमत हो गई.

याचिका में गुप्ता के परिवार ने गिरफ्तारी वॉरंट न होने, अदालत में निष्पक्ष प्रतिनिधित्व का अभाव और बुनियादी अधिकारों तथा काउंसलर एक्सेस से इनकार किए जाने का आरोप लगाते हुए मुकदमा निष्पक्ष न होने की बात कही थी. याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि गुप्ता को मांस खाने के लिए मजबूर किया गया, जबकि वह पूरी तरह से शाकाहारी हैं.

इन आरोपों पर प्रवक्ता ने लिखा, ‘चेक गणराज्य के न्याय मंत्रालय के पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है, न ही उसे निखिल गुप्ता या उनके वकील से ऐसी कोई शिकायत मिली कि उन्हें भारतीय दूतावास से संपर्क करने की अनुमति (यदि उन्होंने इसका अनुरोध किया था) नहीं दी गई थी. इसी तरह, चेक गणराज्य के न्याय मंत्रालय के पास भी कोई जानकारी नहीं है, न ही ऐसा कोई शिकायत मिली है कि निखिल गुप्ता को अनुचित आहार दिया गया. ‘

हालांकि, रेपका ने आगे कहा कि चेक कानून के अनुसार, ‘एक गिरफ्तार विदेशी नागरिक अपनी सरकार के दूतावास कार्यालय से संपर्क करने का अधिकार रखता है.’

प्रवक्ता ने चेक सरकार की पहले की पुष्टि को दोहराया कि गुप्ता को ‘यूएसए के सक्षम प्राधिकारण’ के अनुरोध पर 30 जून को प्राग में उतरते ही गिरफ्तार कर लिया गया था और और बाद में अस्थायी हिरासत में ले लिया गया था. अमेरिका ने बाद में अगस्त में प्रत्यर्पण के लिए अनुरोध प्रस्तुत किया था.

रेपका ने लिखा, ‘गुप्ता के प्रत्यर्पण का अनुरोध ‘पैसों के लिए हत्या’ की साजिश रचने के अपराध में किया गया था.’

बता दें कि 29 नवंबर को अमेरिकी संघीय अभियोजकों ने ऐलान किया था कि न्यूयॉर्क में एक सिख कार्यकर्ता की हत्या की विफल साजिश में ‘पैसों के लिए हत्या’ और ‘साजिश’ रचने के प्रमाण मिले हैं. उनका दावा था कि इसके पीछे एक अनाम मगर ‘पहचाना जा चुका भारत सरकार का कर्मचारी था’, जिसने निखिल गुप्ता को एक ‘हत्यारे’ (हिटमैन) को भाड़े पे रखने की ज़िम्मेदारी दी थी. जिस व्यक्ति को गुप्ता ने ‘हिटमैन’ समझकर काम पर रखा था, वह वास्तव में एक अमेरिका का सीक्रेट कानून प्रवर्तन अधिकारी था.

गुप्ता को अमेरिकी अधिकारियों के अनुरोध पर प्राग में उस समय गिरफ्तार किया गया था जब वह 30 जून 2023 को भारत से वहां पहुंचे थे.

अभियोग में कहा गया कि गुप्ता ने 30 जून को भारत से चेक गणराज्य की यात्रा की थी. इसमें कहा गया है, ‘वहां पहुंचने पर गुप्ता को पीड़ित की हत्या की साजिश में उनकी भागीदारी के संबंध में अमेरिका के अनुरोध पर चेक कानून प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार किया गया था.’ 15 पन्नों के दस्तावेज़ में गुप्ता के चेक गणराज्य में रहने के बारे में अधिक जानकारी नहीं दी गई है.

अभियोग में यह भी कहा गया है कि गुप्ता भारत में एक आपराधिक मामले का सामना कर रहा था, जिसको लेकर भारत सरकार के अधिकारी ने उससे वादा किया था कि अगर हत्या की व्यवस्था हो जाती है तो यह मामला खारिज कर दिया जाएगा. यह मामला गुजरात में दर्ज होना बताया गया. हालांकि, गुजरात पुलिस ने गुप्ता के खिलाफ राज्य में कोई मामला दर्ज होने की जानकारी से इनकार किया है.

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