एमफिल पाठ्यक्रम में एडमिशन को लेकर यूजीसी की चेतावनी समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विश्वविद्यालयों को एमफिल पाठ्यक्रम चलाने को लेकर चेतावनी जारी की है. द टेलीग्राफ के अनुसार, यूजीसी ने कहा है कि एमफिल कोई मान्यता प्राप्त डिग्री नहीं है और छात्रों को ऐसे कार्यक्रमों में प्रवेश नहीं लेना चाहिए. यूजीसी सचिव मनीष जोशी ने कहा कि आयोग के संज्ञान में आया है कि कुछ विश्वविद्यालय एमफिल कार्यक्रम के लिए नए आवेदन आमंत्रित कर रहे हैं. इस संबंध में, यह ध्यान में लाना है कि एमफिल डिग्री एक मान्यता प्राप्त डिग्री नहीं है. यूजीसी (पीएचडी डिग्री प्रदान करने के लिए न्यूनतम मानक और प्रक्रियाएं) विनियम, 2022 के विनियमन संख्या 14 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कोई उच्च शिक्षण संस्थान एमफिल कार्यक्रम शुरू नहीं कर सकता. आयोग ने विश्वविद्यालयों से 2023-24 शैक्षणिक वर्ष के लिए ऐसे किसी भी एमफिल कार्यक्रम में प्रवेश रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने को कहा है.

कर्नाटक के बेंगलुरु में कर्नाटक रक्षणा वेदिके (केआरवी) ने बुधवार को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया और मांग की कि कर्नाटक में सभी व्यवसायों के साइनबोर्ड और नेमप्लेट कन्नड़ भाषा में लिखे जाने चाहिए. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, इसने यह मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू किया कि सभी व्यवसाय सरकार के नेमप्लेट 60 प्रतिशत कन्नड़ होने के नियम को पूरा करें. केआरवी के प्रदेश अध्यक्ष टीए नारायण गौड़ा के नेतृत्व में आयोजित ‘जन जागरूकता विरोध’ कथित तौर पर हिंसक हो गया क्योंकि कुछ कार्यकर्ताओं ने अंग्रेजी में लिखे साइनबोर्ड को तोड़ दिया. संगठन  के सदस्यों ने बेंगलुरु में मॉल ऑफ एशिया के बाहर गमले तोड़ और अंग्रेजी में लिखे साइनबोर्ड भी तोड़ दिए और उनमें से कुछ पर काली स्याही छिड़की. गौड़ा ने बुधवार को यह भी कहा कि दूसरे राज्यों के जो लोग कर्नाटक में अपना कारोबार चलाना चाहते हैं, उन्हें अंग्रेजी साइनबोर्ड हटाना होगा. द न्यूज़ मिनट के मुताबिक, केआरवी के प्रदर्शनों के चलते बेंगलुरु के दो सबसे बड़े मॉल- हेब्बाल में फीनिक्स मॉल ऑफ एशिया और ह्वाइटफील्ड में फीनिक्स मार्केटसिटी- को बुधवार शाम को बंद करना पड़ा.

कर्नाटक में भाजपा के असंतुष्ट विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने कहा है कि अगर उन्हें पार्टी से निकाला गया तो वे भाजपा सरकार के राज में हुए 40,000 करोड़के घोटाले का पर्दाफाश कर देंगे. द टेलीग्राफ के मुताबिक, पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा और उनके परिवार, खासकर उनके बेटे बीवाई विजयेंद्र के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद से यतनाल पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. अब यतनाल ने कहा है कि भाजपा सरकार के दौरान कोरोनो वायरस प्रबंधन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ था. उनका दावा है, ‘ ‘एक मास्क की कीमत 45 रुपये है, येदियुरप्पा जी आपकी सरकार ने कोविड के दौरान प्रत्येक मास्क पर कितना खर्च किया? उन्होंने प्रत्येक मास्क की कीमत 485 रुपये रखी थी…’ उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर उन्हें नोटिस मिला और पार्टी से निकालने की कोशिश हुई तो वे ‘उन्हें बेनकाब कर देंगे.’ उनके दावों पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री रहने के दौरान हुई अनियमितताओं के बारे में यतनाल के आरोप कांग्रेस के उन दावों को प्रमाणित करते हैं कि भाजपा शासन के दौरान राज्य में ’40 प्रतिशत कमीशन सरकार’ थी. वहीं, कई भाजपा नेता यतनाल के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. कर्नाटक भाजपा के महासचिव पी. राजीव ने बुधवार को कहा कि पार्टी ने हाल के कुछ घटनाक्रमों पर ध्यान दिया है और वह ऐसी किसी भी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करेगी जो उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाती हो.

केंद्र सरकार द्वारा दिए गए आंकड़ों में सामने आया है कि बीते तीन सालों में जैविक खेती योजना के लिए मिले धन में से हरियाणा, गुजरात ने कुछ ख़र्च नहीं किया. रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने हाल ही में संसद में बताया कि परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) के तहत पिछले तीन वर्षों में इस योजना के तहत हरियाणा और गुजरात को क्रमशः 5.05 लाख रुपये और 10.10 लाख रुपये मिले थे. जिन राज्यों ने पिछले तीन वर्षों में योजना के तहत प्राप्त धनराशि में से एक भी पैसा खर्च नहीं किया, वे कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पंजाब और तेलंगाना हैं. मुंडा द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, इनमें से पंजाब को सबसे अधिक 18.03 करोड़ रुपये मिले. मंत्री ने यह भी बताया कि उत्तराखंड को सबसे अधिक राशि 180 करोड़ रुपये प्राप्त हुई और उसने 143 करोड़ रुपये का उपयोग किया.

अयोध्या में होने वाले राम मंदिर समारोह को लेकर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने मोदी सरकार को निशाने पर लिया है. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, भाजपा पर परोक्ष हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि वह धर्म को एक व्यक्तिगत पसंद के तौर पर देखते हैं न कि राजनीतिक इस्तेमाल के लिए. उन्होंने ट्विटर (अब एक्स) पर लिखा कि मीडिया जानना चाहता है कि क्या मैं 22 जनवरी को अयोध्या जाऊंगा. मैंने उन्हें बताया कि मुझे आमंत्रित नहीं किया गया था, लेकिन मैं धर्म को एक व्यक्तिगत विशेषता के रूप में देखता, न कि राजनीतिक दुरुपयोग के तौर पर. उन्होंने भाजपा का नाम लिए बिना यह भी जोड़ा कि मीडिया उन लोगों के हाथों में खेल रहा है जो मंदिर आयोजन से राजनीतिक फायदा लेना चाहते हैं. उन्होंने आगे लिखा, ‘मैंने यह भी बताया कि इस घटना की इतनी बड़ी खबर बनाकर… मीडिया उन लोगों के हाथों में खेल रहा था जो जनता का ध्यान उनके शासन की विफलताओं से भटकाते हुए राम मंदिर से राजनीतिक लाभ उठाना चाहते हैं. मंदिर सरकार का कामकाज नहीं है; बेरोजगारी, महंगाई, लोक कल्याण और राष्ट्रीय सुरक्षा हैं. लेकिन मीडिया मंदिर को उन मुद्दों से ध्यान हटाने की इजाज़त देता है.’

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa pkv games pkv games bandarqq bandarqq dominoqq dominoqq bandarqq pkv games dominoqq