महिला कर्मचारी वैवाहिक कलह की स्थिति में पेंशन के लिए संतान को नामित कर सकती हैं: केंद्र

पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग के आदेश में कहा गया है कि उन सभी मामलों में जहां महिला ने तलाक़ की याचिका या घरेलू हिंसा या आईपीसी के कोई मामले दायर किए हैं, उनमें नया संशोधन एक महिला सरकारी कर्मचारी की पारिवारिक पेंशन को उनके पति के बजाय पात्र संतान को देने की अनुमति देता है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Pixabay/jatinderjeetu)

पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग के आदेश में कहा गया है कि उन सभी मामलों में जहां महिला ने तलाक़ की याचिका या घरेलू हिंसा या आईपीसी के कोई मामले दायर किए हैं, उनमें नया संशोधन एक महिला सरकारी कर्मचारी की पारिवारिक पेंशन को उनके पति के बजाय पात्र संतान को देने की अनुमति देता है.

नई दिल्ली: केंद्र ने मंगलवार को कहा कि कोई महिला कर्मचारी अब वैवाहिक कलह के स्थिति में अपने पति पर अपनी संतान को प्राथमिकता देते हुए उसे पारिवारिक पेंशन के लिए नामित कर सकती हैं.

केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम- 2021 का नियम 50 सरकारी कर्मचारी या सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के बाद पारिवारिक पेंशन देने की अनुमति देता है.

नियमों के अनुसार, यदि किसी मृत सरकारी कर्मचारी या पेंशनभोगी के जीवनसाथी जीवित हैं तो पारिवारिक पेंशन सबसे पहले उन्हें ही यानी पति या पत्नी को दी जाती है. परिवार के अन्य सदस्य पारिवारिक पेंशन के लिए तभी पात्र बनते हैं, जब मृत सरकारी कर्मचारी/पेंशनभोगी का जीवनसाथी पारिवारिक पेंशन के लिए अयोग्य हो जाता है या उसकी मृत्यु हो जाती है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीपीडब्ल्यू) ने अब नियमों में संशोधन किया है और एक महिला कर्मचारी को पारिवारिक पेंशन के लिए अपने पति के बजाय अपने बच्चे/बच्चों को नामित करने की अनुमति दी है.

डीओपीपीडब्ल्यू सचिव वी. श्रीनिवास ने कहा, ‘उन सभी मामलों में जहां महिला ने तलाक की याचिका या घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम के तहत याचिका या भारतीय दंड संहिता के तहत मामले दायर किए हैं, उनमें नया संशोधन एक महिला सरकारी कर्मचारी की पारिवारिक पेंशन को उसके पति के बजाय पात्र संतान को देने की अनुमति देता है.’

डीओपीपीडब्ल्यू के आदेश में कहा गया है कि एक महिला कर्मचारी संबंधित कार्यालय प्रमुख को लिखित रूप में अनुरोध कर सकती है कि उसकी मृत्यु की स्थिति में ‘उपरोक्त किसी भी कार्यवाही के लंबित रहने के दौरान, उसके पति के बजाय उसके पात्र बच्चे/बच्चों को पारिवारिक पेंशन दी जाए.’

श्रीनिवासन ने कहा कि संशोधन को प्राप्त अभ्यावेदनों पर विचार करते हुए डीओपीपीडब्ल्यू द्वारा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के परामर्श से तैयार किया गया है. उन्होंने कहा, ‘संशोधन प्रगतिशील प्रकृति का है और पारिवारिक पेंशन मामलों में महिला कर्मचारियों को सशक्त बनाता है.’

आदेश में डीओपीपीडब्ल्यू ने कहा कि उसे मंत्रालयों और विभागों से बड़ी संख्या में संदर्भ प्राप्त हुए थे, जिनमें सलाह मांगी गई थी कि क्या एक महिला सरकारी कर्मचारी/महिला पेंशनभोगी को वैवाहिक कलह के चलते अदालत में तलाक की सुनवाई की स्थिति में पारिवारिक पेंशन के लिए अपने पति के स्थान पर अपने बच्चे/बच्चों को नोमिनेट (नामित) करने की अनुमति दी जा सकती है.

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