बांग्लादेश: अमेरिका और पश्चिमी देशों की चुप्पी के बीच पीएम मोदी ने शेख़ हसीना को जीत की बधाई दी

बांग्लादेश के संसदीय चुनावों में प्रधानमंत्री शेख़ हसीना की पार्टी अवामी लीग ने जीत हासिल कर ली है. विपक्ष ने इस चुनावों का बहिष्कार किया था. अवामी लीग ने 300 सीटों वाली संसद में 222 सीटों पर जीत हासिल की है. अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों की ओर से उन्हें अब तक बधाई नहीं दी गई है.

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बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फोटो साभार: पीआईबी)

बांग्लादेश के संसदीय चुनावों में प्रधानमंत्री शेख़ हसीना की पार्टी अवामी लीग ने जीत हासिल कर ली है. विपक्ष ने इस चुनावों का बहिष्कार किया था. अवामी लीग ने 300 सीटों वाली संसद में 222 सीटों पर जीत हासिल की है. अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों की ओर से उन्हें अब तक बधाई नहीं दी गई है.

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फोटो साभार: पीआईबी)

नई दिल्ली: भारत ने बांग्लादेश चुनावों का समर्थन किया है. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को संसदीय चुनावों में जीत के लिए बधाई दी, जिसका वहां के विपक्ष ने बहिष्कार किया था.

बीते रविवार (7 जनवरी) को शेख हसीना को 12वें संसदीय चुनाव का विजेता घोषित किया गया, जिसमें आधिकारिक तौर पर लगभग 40 प्रतिशत मतदान हुआ था. हालांकि मतदान बंद होने से एक घंटे पहले बांग्लादेश के चुनाव आयोग ने कहा था कि मतदान केवल 27 प्रतिशत हुआ है.

अपने आधिकारिक एक्स एकाउंट से पोस्ट किए गए एक ट्वीट में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शेख हसीना को उनके लगातार चौथे कार्यकाल के लिए बधाई दी है.

उन्होंने लिखा, ‘प्रधानमंत्री शेख हसीना से बात की और संसदीय चुनावों में लगातार चौथी बार ऐतिहासिक जीत पर उन्हें बधाई दी. मैं बांग्लादेश के लोगों को भी सफल चुनाव के लिए बधाई देता हूं. हम बांग्लादेश के साथ अपनी स्थायी और जन-केंद्रित साझेदारी को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.’

मोदी ने प्रधानमंत्री हसीना को एक पत्र भी भेजा है.

सोमवार (8 जनवरी) सुबह भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा राजधानी ढाका में शेख हसीना से मुलाकात करने वाले पहले विदेशी राजदूत थे. उनके बाद चीन, रूस, भूटान, फिलीपींस, सिंगापुर और श्रीलंका के राजदूतों ने उनसे मुलाकात की.

हालांकि अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों की ओर से किसी भी बधाई का स्पष्ट अभाव था.

इस बीच कनाडाई उच्चायोग ने ट्वीट कर कहा कि उसने बांग्लादेश में कोई चुनाव पर्यवेक्षक नहीं भेजा है. उसने एक पोस्ट में स्पष्ट किया, ‘कोई भी व्यक्ति जो खुद को कनाडाई पर्यवेक्षक के रूप में बता रहा है, वह स्वतंत्र रूप से कार्य कर रहा है. उनके विचारों का कनाडा सरकार ने समर्थन नहीं किया है.’

कनाडा ने यह ​स्पष्टीकरण बांग्लादेश से आईं खबरों को लेकर दिया है.

बांग्लादेश मीडिया के अनुसार, भारतीय मूल के कनाडाई सांसद चंद्रा आर्य और उनके सहयोगी सीनेटर विक्टर ओएच सहित विदेशी पर्यवेक्षकों के एक वर्ग ने ‘सफलतापूर्वक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए बांग्लादेश चुनाव आयोग को बधाई दी है’. रूसी चुनाव निगरानी प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख एंड्री वाई शुवोट ने चुनावों को ‘वैध’ करार दिया है.

भारत के चुनाव आयोग से तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भेजा गया था, जिसने सोमवार को एक बयान जारी किया था.

आयोग की ओर से कहा गया, ‘हमने कई मतदान केंद्रों का दौरा किया है और मतदान प्रक्रिया को प्रत्यक्ष रूप से देखा है. हमने बांग्लादेश के नागरिकों को इन स्टेशनों पर शांतिपूर्वक अपने चुनावी अधिकारों का प्रयोग करते देखा.’

बयान में ‘बांग्लादेश के चुनाव आयोग के प्रयासों और चुनाव प्रक्रिया के संचालन तथा इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए की गई उसकी सावधानीपूर्वक व्यवस्था’ की भी सराहना की गई.

हालांकि, यूरोपीय यूनियन के चुनाव विशेषज्ञ मिशन अंतरराष्ट्रीय रिपब्लिकन इंस्टिट्यूट और नेशनल डेमोक्रेटिक इंस्टिट्यूट की संयुक्त तकनीकी मूल्यांकन टीम तथा राष्ट्रमंडल के चुनाव पर्यवेक्षकों ने अभी तक अपना आकलन जारी नहीं किया है.

बांग्लादेशी मीडिया में बेहद कम मतदान को लेकर बड़ी मात्रा में निराशा थी, जिससे संकेत मिलता है कि अधिकांश मतदाताओं को लगा कि उनके पास कोई विकल्प नहीं है.

द डेली स्टार ने एक संपादकीय में लिखा, ‘जो 60 प्रतिशत मतदाता मतदान से दूर रहे, वे अनुपस्थित नहीं हैं. वे आज के बांग्लादेश में मताधिकार से वंचित होने का चेहरा हैं.’

बहरहाल प्रधानमंत्री के तौर पर शेख हसीना का यह लगातार चौथा कार्यकाल होगा. पहली बार 1996 में प्रधानमंत्री बनीं 76 वर्षीय हसीना का कुल मिलाकर यह पांचवां कार्यकाल होगा. उनकी पार्टी अवामी लीग ने 300 सीटों वाली संसद में 222 सीटों पर जीत हासिल की है.

चुनाव से पहले देश के मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने इसका बहिष्कार किया था.

बीएनपी ने शेख हसीना की सरकार पर अपने समर्थकों और विपक्षी राजनेताओं को निशाना बनाते हुए एक बड़ी कार्रवाई करने का आरोप लगाया था. पार्टी ने दावा किया था कि हाल के महीनों में उनके 20,000 से अधिक सदस्यों को जेल में डाल दिया गया है. इनकी गिरफ्तारी चुनाव से पहले मनगढ़ंत आरोपों के तहत की गई है.

हालांकि सरकारी अधिकारियों ने 20,000 विपक्ष समर्थकों की गिरफ्तारी के आंकड़े को खारिज करते हुए कहा था कि आंकड़ा बहुत कम है और गिरफ्तारियां राजनीतिक संबद्धता के कारण नहीं, बल्कि आगजनी जैसे विशेष आपराधिक आरोपों के तहत की गई हैं.

अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस ने बताया था कि बीते 5 जनवरी को अटॉर्नी जनरल एएम अमीन उद्दीन ने कहा कि 2,000 से 3,000 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. वहीं देश के कानून मंत्री ने बीबीसी को बताया था कि 10,000 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

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