मालदीव ने 15 मार्च तक भारत से अपनी सेना हटाने को कहा

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने नवंबर 2023 में शपथ लेने के अगले ही दिन भारत से अपने सैनिकों को देश से हटाने का अनुरोध किया था. बीते रविवार को दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक के बाद मालदीव की ओर से कहा गया कि भारत मालदीव में तैनात अपने सैन्यकर्मियों की वापसी में तेज़ी लाने पर सहमत हो गया है.

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मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ु. (फोटो साभार: X/@MMuizzu)

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने नवंबर 2023 में शपथ लेने के अगले ही दिन भारत से अपने सैनिकों को देश से हटाने का अनुरोध किया था. बीते रविवार को दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक के बाद मालदीव की ओर से कहा गया कि भारत मालदीव में तैनात अपने सैन्यकर्मियों की वापसी में तेज़ी लाने पर सहमत हो गया है.

मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ु. (फोटो साभार: X/@MMuizzu)

नई दिल्ली: दो महीने की समय सीमा तय करने के बाद मालदीव ने बीते रविवार (14 जनवरी) को कहा कि भारत मुख्य रूप से मानवीय मिशनों में लगे विमानों को संचालित करने के लिए मालदीव में तैनात अपने सैन्यकर्मियों की ​‘फास्ट ट्रैक​’ वापसी पर सहमत हो गया है.

दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मांग पर चर्चा करने के लिए रविवार को माले में मुलाकात के बाद मालदीव सरकार द्वारा समयसीमा की घोषणा की गई थी.

नवंबर 2023 में शपथ लेने के एक दिन बाद मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने औपचारिक रूप से भारत से अपने सैनिकों को देश से हटाने का अनुरोध किया था. यह कोई आश्चर्य की बात नहीं थी, क्योंकि मुइज्जू का चुनावी प्रचार ​‘इंडिया आउट​’ अभियान के इर्द-गिर्द ही था, जिसमें राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को भारत सरकार के साथ उनकी निकटता के लिए निशाना बनाया था.

नवंबर 2023 में सीओपी शिखर सम्मेलन के मौके पर दुबई में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुइज्जू की बैठक के बाद दोनों देशों ने घोषणा की थी कि एक उच्चस्तरीय समूह इस विवादास्पद विषय पर चर्चा करेगा.

रविवार की सुबह पहली बैठक माले में शुरू हुई, जिसमें भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्व भारत के उच्चायुक्त मुनु महावर, विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव पुनीत अग्रवाल और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने किया.

स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, वार्ता मेज पर मालदीव के अधिकारियों में राष्ट्रपति कार्यालय के चीफ ऑफ स्टाफ अब्दुल्ला फैयाज, विदेश मंत्रालय के राजदूत अली नसीर, भारत में मालदीव के राजदूत इब्राहिम शाहीब और रक्षा बल के प्रमुख अब्दुल रहीम अब्दुल लतीफ शामिल थे.

बाद में दिन में राष्ट्रपति कार्यालय में सार्वजनिक नीति सचिव अब्दुल्ला नाज़िम इब्राहिम ने घोषणा की कि राष्ट्रपति मुइज्जू ने आधिकारिक तौर पर 15 मार्च तक भारतीय सैन्यकर्मियों की वापसी का अनुरोध किया है. मालदीव की राजधानी में चल रही बैठक में यह स्पष्ट किया गया था.

मालदीव की सरकारी मीडिया के मुताबिक, इब्राहिम ने कहा कि कैबिनेट को मालदीव में तैनात भारतीय सैन्यकर्मियों के बारे में नवीनतम जानकारी प्राप्त हुई है. कथित तौर पर लगभग 88 भारतीय सैन्यकर्मी मालदीव में हैं.

मालदीव के अधिकारी ने यह भी दावा किया कि दोनों देशों ने ​‘इस मुद्दे पर अब तक 12 बैठकें​’ की हैं.

मालदीव के विदेश मंत्रालय की विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि दोनों पक्ष ​‘भारतीय सैन्यकर्मियों की वापसी में तेजी लाने पर सहमत हुए हैं.​’

रविवार शाम को जारी बैठक की भारतीय विज्ञप्ति में मालदीव द्वारा प्रदान की गई समय सीमा का उल्लेख नहीं किया गया. इसमें यह भी उल्लेख नहीं किया गया कि वह सैन्यकर्मियों को वापस बुलाने के लिए ​‘सहमत​’ हो गया है, बल्कि भारत ने दावा किया कि चर्चा मालदीव में भारतीय विमानों के संचालन को जारी रखने के लिए थी, जो भारतीय सैन्यकर्मियों द्वारा संचालित किए जाते हैं.

विदेश मंत्रालय के प्रेस नोट में कहा गया है कि ​‘मालदीव के लोगों को मानवीय और चिकित्सीय सेवाएं प्रदान करने वाले भारतीय विमानन प्लेटफॉर्म के निरंतर संचालन को सक्षम बनाने के लिए पारस्परिक रूप से व्यावहारिक समाधान खोजने पर चर्चा की.​’

उन्होंने यह भी कहा कि दोनों पक्षों ने चल रही विकास सहयोग परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी लाने पर भी चर्चा की.

उच्चस्तरीय कोर ग्रुप की अगली बैठक पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तिथि पर भारत में आयोजित करने पर सहमति हुई.

इस बीच, केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया लक्षद्वीप यात्रा के बाद पैदा हुए भारत-मालदीव विवाद पर चुप्पी तोड़ी है.

उन्होंने कहा, ​‘राजनीति तो राजनीति होती है. मैं इसकी गारंटी नहीं दे सकता कि हर देश में, हर दिन, हर कोई हमारा समर्थन करेगा या हमसे सहमत होगा.​’

बीते 13 जनवरी को चीन की राजकीय यात्रा से लौटने के बाद, मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू ने अप्रत्यक्ष रूप से यह कहकर भारत की आलोचना की थी कि हमारा देश छोटा हो सकता है, लेकिन यह ‘उन्हें हमें डराने-धमकाने का लाइसेंस नहीं देता’. इसके साथ ही उन्होंने एक ही देश से आवश्यक वस्तुओं की खरीद पर निर्भरता को कम करने के लिए चल रहे प्रयासों पर जोर दिया था.

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