महाराष्ट्र: प्रकाश आंबेडकर ने भी राम मंदिर समारोह का निमंत्रण ठुकराया, शरद पवार भी नहीं जाएंगे

वंचित बहुजन अघाड़ी के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर ने कहा कि इस आयोजन को भाजपा और आरएसएस ने हड़प लिया है. एक धार्मिक आयोजन को चुनावी लाभ के लिए राजनीतिक अभियान में बदल दिया गया है. एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को पत्र लिखकर समारोह में शामिल होने में असमर्थता जताई है.

शरद पवार और प्रकाश आंबेडकर. (फोटो साभार: फेसबुक)

वंचित बहुजन अघाड़ी के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर ने कहा कि इस आयोजन को भाजपा और आरएसएस ने हड़प लिया है. एक धार्मिक आयोजन को चुनावी लाभ के लिए राजनीतिक अभियान में बदल दिया गया है. एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को पत्र लिखकर समारोह में शामिल होने में असमर्थता जताई है.

प्रकाश आबंडेकर. (फोटो साभार: फेसबुक/Adv.Prakash Ambedkar)

नई दिल्ली: वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर ने बीते बुधवार को 22 जनवरी को अयोध्या में नए राम मंदिर के ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह के लिए राम मंदिर ट्रस्ट के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया.

आंबेडकर के अलावा इस निमंत्रण को अस्वीकार करने वाले विपक्षी दलों के नेताओं की सूची में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार भी शामिल हो गए हैं.

आमंत्रण के लिए धन्यवाद देते हुए ट्रस्ट को लिखे एक पत्र में उन्होंने कहा, ‘कथित समारोह में मैं शामिल नहीं होऊंगा. मेरे शामिल ने होने का कारण ये है कि भाजपा और आरएसएस ने इस समारोह को हथिया लिया है. एक धार्मिक समारोह चुनावी फायदे के लिए राजनीतिक अभियान बन गया है.’

हिंदी में लिखे इस पत्र को उन्होंने सोशल साइट एक्स पर साझा किया है.

उन्होंने आगे कहा, ​‘मेरे दादा डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर ने चेताया था कि ​‘अगर राजनीतिक पार्टियां धर्म और पंथ को देश से ऊपर रखेंगी तो हमारी आजादी दूसरी बार खतरे में आ जाएगी और इस बार शायद हम उसे हमेशा के लिए खो देंगे​’, आज ये डर सही साबित हो गया है. धर्म-पंथ को देश से ऊपर रखने वाली भाजपा-आरएसएस अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस समारोह को हड़प चुकी है.​’

दूसरी ओर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को पत्र लिखकर समारोह में शामिल होने में असमर्थता जताई.

अन्य विपक्षी नेताओं की तरह भाजपा और आरएसएस द्वारा कार्यक्रम के राजनीतिकरण का जिक्र किए बिना पवार ने कहा कि वह ‘दर्शन’ करने के लिए बाद की तारीख में अयोध्या जाएंगे.

पवार ने एक बयान में कहा, ​‘अयोध्या में होने वाले कार्यक्रम को लेकर राम भक्तों में जबरदस्त उत्साह है और वे बड़ी संख्या में वहां पहुंच रहे हैं. इस ऐतिहासिक घटना का आनंद उनके माध्यम से मुझ तक पहुंचेगा. 22 जनवरी के समारोह के बाद दर्शन प्राप्त करना आसान हो जाएगा.​’

हालांकि उन्होंने इस बात पर भी चर्चा की कि मंदिर का निर्माण अभी पूरा नहीं हुआ है, जबकि विपक्ष ने मंदिर के निर्माणाधीन होने की बात को रेखांकित करते हुए भाजपा की आलोचना की है कि इस कार्यक्रम की योजना केवल आगामी आम चुनावों के मद्देनजर भाजपा को उसकी चुनावी संभावनाओं में मदद करने के लिए बनाई गई है.

पवार ने कहा कि वह अपनी आगामी अयोध्या यात्रा के दौरान रामलला से प्रार्थना करेंगे. उन्होंने कहा, ​‘तब तक राम मंदिर का निर्माण भी पूरा हो जाएगा.​’

मालूम हो कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई)कांग्रेस और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) जैसे दलों ने राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लेने से इनकार कर दिया है. वहीं कुछ राजनेताओं ने 22 जनवरी के बाद राम ​मंदिर जाने की बात कही है.

इन दलों का कहना है कि यह एक सरकार-प्रायोजित राजनीतिक कार्यक्रम है, जो लोकसभा चुनावों से पहले चुनावी विचारों के लिए भाजपा और आरएसएस गठबंधन द्वारा आयोजित किया जा रहा है.

दलों का आरोप है कि भाजपा और आरएसएस ने मिलकर इसे अपने चुनावी लाभ के लिए एक राजनीतिक कार्यक्रम बना दिया है.

इसके अलावा चारों शंकराचार्यों ने 22 जनवरी को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होने का फैसला किया है.