जिंदल विश्वविद्यालय: राम मंदिर पर चर्चा के लिए निलंबित किए गए दो छात्रों को बहाल करने की मांग

बीते 7 फरवरी को हरियाणा की ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के कुछ छात्रों ने अयोध्या के ‘राम मंदिर’ को लेकर एक चर्चा का आयोजन किया था, जिसे विश्वविद्यालय प्रशासन ने संस्थान की आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए दो छात्रों को पूरे सेमेस्टर के लिए निलंबित कर दिया था. दोनों पर कार्यक्रम के दौरान ‘अपमानजनक और भड़काऊ बयान’ देने का आरोप है.

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ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन करते छात्र. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

बीते 7 फरवरी को हरियाणा की ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के कुछ छात्रों ने अयोध्या के ‘राम मंदिर’ को लेकर एक चर्चा का आयोजन किया था, जिसे विश्वविद्यालय प्रशासन ने संस्थान की आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए दो छात्रों को पूरे सेमेस्टर के लिए निलंबित कर दिया था. दोनों पर कार्यक्रम के दौरान ‘अपमानजनक और भड़काऊ बयान’ देने का आरोप है.

ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन करते छात्र. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

नई दिल्ली: बीते 10 फरवरी को हरियाणा के सोनीपत ​शहर स्थित ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के दो छात्रों को अयोध्या के राम मंदिर पर केंद्रित एक कैंपस कार्यक्रम के दौरान ‘अपमानजनक और भड़काऊ बयान’ देने के लिए निलंबन का सामना करना पड़ा था.

दोनों निलंबित छात्रों की उम्र 20 और 21 वर्ष है और वे कानून के छात्र हैं, जिन्हें पूरे सेमेस्टर के लिए निलंबित कर दिया गया है.

विश्वविद्यालय के मुख्य प्रॉक्टर और छात्र अनुशासन समिति (यूएसडीसी) के अध्यक्ष की ओर से निलंबित छात्रों को दिए गए कारण बताओ नोटिस में कहा गया है कि दोनों ने जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी की आचार संहिता का उल्लंघन किया है.

इसके अलावा नोटिस में 7 फरवरी 2024 की एक हालिया घटना का संदर्भ दिया गया है, जहां छात्र विश्वविद्यालय की अखंडता और शांति को हानिकारक रूप से प्रभावित करने के उद्देश्य से कथित तौर पर पोस्टर लगाने और बेहद ‘अपमानजनक और भड़काऊ बयान’ वाली बातचीत में शामिल थे.

प्रशासन ने दावा किया कि इस तरह की कार्रवाइयों के पीछे कथित मंशा विपरीत मान्यताओं वाले व्यक्तियों को उकसाना था, जिससे विश्वविद्यालय की नकारात्मक छवि बने.

घटना के बारे में द वायर से बात करते हुए निलंबित छात्रों में से एक ने कहा, ‘(दूसरी निलंबित छात्रा और) मुझे चार अन्य छात्रों के साथ 9 फरवरी को रात 10 बजे के आसपास कारण बताओ नोटिस मिला. अगले दिन 10 फरवरी को शाम करीब 6 बजे हम दोनों को पूरे सेमेस्टर के लिए निलंबित कर दिया गया.’

निलंबित छात्रा ने जोर देकर कहा कि उन्हें सुबह 10:34 बजे सुनवाई का नोटिस दिया गया था, जिसमें कारण बताओ नोटिस के बारे में उनकी सुनवाई का समय निर्धारित किया गया था. छात्रा के लिए सुबह 11:30 और छात्र के लिए सुबह 11:45 का समय निर्धारित किया गया था.

छात्रा ने कहा, ‘सुनवाई में पर्याप्त तैयारी के साथ उपस्थित होने के लिए यह आवंटित समय हमारे लिए अपर्याप्त था. हमें विश्वविद्यालय द्वारा पर्याप्त समय नहीं दिया गया.’

कार्यक्रम का एक पोस्टर. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

7 फरवरी की घटना की बात करें तो उस दिन विश्वविद्यालय में मार्क्सवादी समूह रिवोल्यूशनरी स्टूडेंट्स लीग (आरएसएल) द्वारा ‘राम मंदिर: ब्राह्मणवादी हिंदुत्व फासीवाद की एक हास्यास्पद परियोजना’ नामक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. निलंबित दो छात्रों के साथ-साथ आठ अन्य छात्रों ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया था.

द वायर से बात करते हुए एक निलंबित छात्र की मित्र ने कहा, ‘7 फरवरी को रात करीब 8 बजे यूनिवर्सिटी कैंपस में इस चर्चा का आयोजन किया गया था. इसमें अभिनव भारत (एक दक्षिणपंथी गुट) के लगभग 25 से 30 लोग शामिल हो गए. चूंकि यह कार्यक्रम एक खुली चर्चा थी, इसलिए कोई भी छात्र भाग ले सकता था. हालांकि, कुछ समय बाद उनमें से कुछ ने ‘जय श्री राम’ का नारा लगाना शुरू कर दिया, जबकि अन्य वीडियो बनाने लगे. जवाब में आरएसएल ने भी ‘इंकलाब जिंदाबाद’ और ‘जय भीम’ के नारे लगाए.’

उन्होंने आगे बताया, ‘अभिनव भारत के कुछ लोगों द्वारा अपने नारों से कार्यक्रम को बाधित करने के प्रयासों के बावजूद आरएसएल ने अपनी चर्चा जारी रखी. बाद में उन्होंने आरोप लगाया कि अभिनव भारत के कुछ छात्रों ने उनकी चर्चा का एक वीडियो रिकॉर्ड किया, कुछ हिस्सों को चुनिंदा रूप से संपादित किया और इसे सोशल मीडिया पर डाल दिया. इसके बाद विश्वविद्यालय प्रॉक्टर के पास शिकायत दर्ज कराई गई, जिसके परिणामस्वरूप निलंबन हुआ.’

छात्रों का आरोप है कि उनके साथ मारपीट की गई और उन्हें कैंपस से बाहर निकाल दिया गया.

10 फरवरी को निलंबन के अगले दिन यानी 11 फरवरी को दोनों छात्रों को आधी रात में 2 बजे विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा छात्रावास छोड़ने के लिए मजबूर किया गया. साथ ही, दोनों के साथ मौजूद छात्रों का कहना है कि आधी रात में उनके कमरों की तलाशी ली गई.

छात्रों को कथित तौर पर रात 2 बजे उनके छात्रावास के कमरों में प्रवेश से रोक दिया गया और उसी समय उनके माता-पिता को फोन किया. छात्रों को उनके माता-पिता के आने तक पैरेंस लाउंज में इंतजार करने के लिए कहा गया था.

इस बारे में विस्तार से बताते हुए एक छात्र ने कहा, ‘आधी रात को हमें जबरदस्ती हॉस्टल से बाहर निकाल दिया गया और सुरक्षा गार्डों ने हमारे साथ दुर्व्यवहार किया. साथ ही मेरे साथ कमरे में मौजूद मेरे दोस्तों की भी तलाशी ली गई, जो सरासर गलत था. जब मैंने रात 2:30 बजे अपने माता-पिता के साथ जाने से इनकार कर दिया, तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने मुझे अपने माता-पिता के साथ जाने के लिए मजबूर किया.’

ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन करते छात्र. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

7 फरवरी की घटना के बाद से दोनों निलंबित छात्रों को सोशल मीडिया पर बलात्कार और जान से मारने तक की धमकियां मिल रही हैं.

निलंबित छात्रा ने बताया कि उनके पिता को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जान से मारने की धमकी मिली है. इसके अलावा, जब से अभिनव भारत ने दूसरे छात्र का मोबाइल नंबर सार्वजनिक किया है, उसे धमकी भरे कॉल और मैसेज मिल रहे हैं.

उनके एक मित्र ने कहा, ‘विश्वविद्यालय परिसर में घूमते समय हमें दक्षिणपंथी लोगों से डर लगता है. हमें रोका जाता है. हमारे सड़कों पर निकलते ही वे दक्षिणपंथी लोग हमारे ऊपर चुटकुले बनाते हैं और हम पर जोर-जोर से हंसते हैं. प्रॉक्टर यह सब जानते हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं करते, क्योंकि वह लिखित शिकायत मांगते हैं.’

जिंदल यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र संघ ने कुलपति को पत्र लिखकर छात्रों के साथ किए गए व्यवहार पर नाराजगी जताई है.

पत्र में कहा गया है, ‘राम मंदिर’ को लेकर चर्चा करने पर दो छात्रों का निलंबन छात्रों की अभिव्यक्ति को दबाने की चिंताजनक प्रवृत्ति को दर्शाता है, जो कानूनी रूप से अनुचित और लोकतांत्रिक चर्चा के लिए हानिकारक है.’

निलंबित छात्रों के समर्थन में 15 फरवरी को विश्वविद्यालय परिसर में विरोध प्रदर्शन किया गया था. इसमें 100 से ज्यादा छात्र शामिल हुए और मांग की कि छात्रों का निलंबन रद्द किया जाए.

द वायर ने विश्वविद्यालय प्रशासन के सदस्यों से संपर्क किया है. उनके जवाब देने पर रिपोर्ट में जोड़ा जाएगा.

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

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