केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की बेटी वीणा विजयन और उनकी आईटी कंपनी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज किया है. एनडीटीवी के मुताबिक, यह मामला एक खनिज कंपनी द्वारा वीणा विजयन की फर्म को कथित अवैध भुगतान से संबंधित है. ईडी ने गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) में दर्ज शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया है. एसएफआईओ को केंद्र ने मामले की जांच करने के लिए कहा था. वीणा विजयन पर आरोप है कि कोच्चि स्थित एक निजी कंपनी कोचीन मिनरल्स एंड रूटाइल लिमिटेड (सीएमआरएल) ने 2017 और 2018 के बीच वीणा विजयन के स्वामित्व वाली एक्सलॉजिक सॉल्यूशंस को 1.72 करोड़ रुपये का भुगतान किया था, जिसके बदले कोई सेवा प्रदान नहीं की गई थी. एक्सलॉजिक ने एसएफआईओ की जांच के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट का रुख किया था. पिछले महीने, अदालत ने याचिका खारिज कर दी थी और कहा था कि वह इस तरह के कामों में केंद्र सरकार पर बंधन नहीं लगा सकती.
प्रवर्तन निदेशालय ने कहा है कि बुधवार को उसने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता और निष्कासित लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) उल्लंघन मामले में नया समन जारी किया. वहीं, टीएमसी नेता और व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी को 28 मार्च को जांच एजेंसी के सामने पेश होने के लिए कहा गया है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एजेंसी इस मामले में अनिवासी बाहरी (एनआरई) खाते से जुड़े लेनदेन की जांच कर रही है. साथ ही, विदेश से भेजे गए अन्य फंड ट्रांसफर की भी जांच कर रही है.
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने मंगलवार को कहा कि यह मान लेना गलत है कि सरकार बेरोजगारी जैसी सभी सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का समाधान कर सकती है. गौरतलब है कि यह बात उन्होंने अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और मानव विकास संस्थान द्वारा सह-लिखित ‘भारत रोजगार रिपोर्ट 2024: युवा, रोजगार, शिक्षा और कौशल’ के अनावरण पर बोलते हुए कही. द हिंदू के अनुसार, नागेश्वरन ने कहा कि सरकार रोजगार के मोर्चे पर अधिक नियुक्तियां करने के अलावा क्या कर सकती है. उन्होंने दावा किया कि सामान्य जगत में वाणिज्यिक क्षेत्र को नियुक्तियां करने की जरूरत होती है.
चुनाव आयोग ने हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट से भाजपा की उम्मीदवार अभिनेत्री कंगना रनौत और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ ‘अपमानजनक’ टिप्पणी पर कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत और भाजपा के दिलीप घोष को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. एनडीटीवी के मुताबिक, चुनाव आयोग ने कहा कि सावधानीपूर्वक जांच करने पर टिप्पणियां अमर्यादित और गलत पाई गईं, और प्रथम दृष्टया आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन हैं. श्रीनेत और घोष को शुक्रवार शाम 5 बजे तक यह बताने का समय दिया गया है कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए. ईसीआई ने कहा कि कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने की स्थिति में यह माना जाएगा कि आपके पास कहने के लिए कुछ नहीं है.
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और मानव विकास संस्थान (आईएचडी) द्वारा मंगलवार (26 मार्च) को जारी एम्प्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024 बताती है कि भारत के बेरोजगारों में लगभग 83 प्रतिशत युवा हैं और कुल बेरोजगार युवाओं में माध्यमिक या उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं की हिस्सेदारी में भारी बढ़ोत्तरी देखी गई है. द हिंदू के मुताबिक, रिपोर्ट बताती है कि साल 2000 से 2019 के बीच युवा रोजगार और अल्परोजगार में वृद्धि हुई, लेकिन महामारी के वर्षों के दौरान इसमें गिरावट आई. शिक्षित युवाओं ने इस अवधि के दौरान देश में बेरोजगारी के उच्च स्तर का अनुभव किया है. देश के कुल बेरोजगार युवाओं में पढ़े-लिखे बेरोजगारों की संख्या भी साल 2000 के मुकाबले अब दोगुनी हो चुकी है. साल 2000 में पढ़े-लिखे युवा बेरोजगारों की संख्या कुल युवा बेरोजगारों में 35.2 प्रतिशत थी. वहीं साल 2022 में ये बढ़कर 65.7 प्रतिशत हो गई है. इसमें उन ही पढ़े-लिखे युवाओं को शामिल किया गया है जिनकी कम से कम 10वीं तक की शिक्षा हुई है.