नीट-यूजी: विवादित प्रश्न की समीक्षा के लिए कोर्ट के आदेश पर गठित आईआईटी समिति ने रिपोर्ट सौंपी

नीट-यूजी 2024 में भौतिकी के एक विवादित प्रश्न की समीक्षा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (22 जुलाई) को आईआईटी, दिल्ली के निदेशक को एक तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश दिया था. उक्त प्रश्न के कई सही उत्तर होने के चलते एनटीए ने छात्रों को ग्रेस अंक दिए थे.

(फोटो साभार: Wikimedia Commons)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (22 जुलाई) को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली के निदेशक को राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट-यूजी), 2024 के एक विवादित भौतिकी के प्रश्न की समीक्षा करने के लिए तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश दिया था. समिति ने आज मंगलवार (23 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी रिपोर्ट सौंपी है. 

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की पीठ को सूचित किया गया था कि विवादास्पद प्रश्न के कई सही उत्तर हैं, जिसके समाधान के रूप में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को कुछ छात्रों को ग्रेस अंक देना पड़ा.  

कोर्ट को यह भी बताया गया था कि प्रोविजनल आंसर की में सही उत्तर दिया गया था, लेकिन बाद में एनटीए ने अपना रुख बदल लिया और दूसरे विकल्प के लिए भी अंक देने का फैसला किया. 

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर विशेषज्ञों की राय मंगलवार (23 जुलाई) दोपहर 12 बजे तक पेश करने का आदेश दिया था. 

सीजीआई चंद्रचूड़ ने कहा था, ‘आप दोनों उत्तरों को सही नहीं मान सकते थे, आपको कोई भी एक विकल्प को सही मानना चाहिए था. दो सही उत्तर एक साथ अस्तित्व में नहीं रह सकते.’ 

इसके बाद अदालत ने आईआईटी दिल्ली के निदेशक को उस विवादित प्रश्न की समीक्षा करने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन करने का निर्देश दिया था.

आईआईटी दिल्ली ने भौतिकी के उस विवादित प्रश्न की समीक्षा करके रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी है.

लाइव लॉ के अनुसार सीजेआई ने कहा, ‘हमें आईआईटी दिल्ली की रिपोर्ट मिल गई है. निदेशक प्रोफेसर बैनर्जी ने भौतिकी विभाग की एक समिति गठित की. तीन विशेषज्ञों की एक टीम ने प्रश्न की जांच की, और उनका कहना है कि विकल्प 4 सही उत्तर है.’ 

सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणियां, कथित पेपर लीक और कदाचार के कारण नीट यूजी 2024 की परीक्षा रद्द करने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए की है. 

मामले की सुनवाई फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में जारी है.  

सीजेआई चंद्रचूड़ के अलावा, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. एनटीए और केंद्र सरकार परीक्षा रद्द करने के विरोध में है. 

केंद्र और एनटीए का तर्क है कि परीक्षा रद्द करने से लाखों निर्दोष छात्रों को नुकसान होगा, क्योंकि परीक्षा में बड़े स्तर पर हुई धांधली का कोई सबूत नहीं है. 

अदालत ने इसके पहले एनटीए को संभावित अनियमितता की पहचान करने के लिए परीक्षा केंद्र के अनुसार परिणाम प्रकाशित करने का निर्देश दिया था. 

अदालत के निर्देश पर डेटा जारी करने के बाद यह सामने आया कि हरियाणा के रेवाड़ी स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) परीक्षा केंद्र के 22% उम्मीदवारों ने 600 से अधिक अंक प्राप्त किए. 

वहीं, इस डेटा के माध्यम से यह भी सामने आया की परीक्षा में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले देश भर के 50 परीक्षा केंद्रों में से 37 परीक्षा केंद्र राजस्थान के सीकर के थे. 

इसके अलावा भी परिणामों में अनियमितता के कई मामले सामने आए. 

5 मई 2024 को देश भर के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए ली गई नीट-यूजी परीक्षा शुरुआत से ही विवादों के घेरे में रही है. इस पर पेपर लीक से लेकर अन्य अनियमितताओं तथा कदाचार के आरोप लगते रहे हैं. परीक्षा के परिणाम आने के बाद टॉपरों की संख्या में हुई भारी वृद्धि ने भी इस परीक्षा पर सवाल खड़े किए. कुछ छात्रों को दिए गए ग्रेस अंक ने भी परिणामों की निष्पक्षता पर सवाल उठाए.  

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, सीजेआई चंद्रचूड़ ने माना कि 4 मई से पहले पेपर लीक की घटना हुई थी. इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि 4 मई की शाम को कुछ छात्रों को पेपर याद करने के लिए कहा गया था, इन्हीं सबूतों के आधार पर सीजेआई ने यह स्वीकारा है. 

बिहार के पटना और झारखंड के हज़ारीबाग़ में कथित तौर पर हुए पेपर लीक मामले की जांच फिलहाल सीबीआई कर रही है.