आईआईटी गुवाहाटी आत्महत्या: छात्रों के विरोध के बीच अकादमिक मामलों के डीन ने इस्तीफ़ा दिया

आईआईटी गुवाहाटी के शैक्षणिक मामलों के डीन ने 9 सितंबर को बीटेक के तीसरे वर्ष के एक छात्र की मौत के बाद कैंपस में छात्रों के विरोध के मद्देनज़र इस्तीफा दे दिया है. यह इस साल कैंपस में किसी छात्र की तीसरी और एक महीने में दूसरी मौत थी.

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आईआईटी गुवाहाटी. (फोटो साभार: iitg.ac.in)

नई दिल्ली: आईआईटी गुवाहाटी के शैक्षणिक मामलों के डीन ने 9 सितंबर को बीटेक के तीसरे वर्ष के छात्र की मौत के बाद कैंपस में छात्रों के विरोध के मद्देनजर अपना इस्तीफा सौंप दिया है.

उत्तर प्रदेश के 21 वर्षीय छात्र बिमलेश कुमार ब्रह्मपुत्र छात्रावास में अपने कमरे में मृत पाए गए थे. यह इस साल कैंपस में किसी छात्र की तीसरी और एक महीने में दूसरी मौत थी, जिसके बाद छात्रों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, आईआईटी गुवाहाटी प्रशासन ने एक बयान में पुष्टि की कि उन्हें शैक्षणिक मामलों के डीन प्रोफेसर वीके कृष्णा का इस्तीफा मिल गया है.

बयान में कहा गया है, ‘संस्थान के अधिकारियों को उनका इस्तीफा मिल गया है और हम इस पर आंतरिक रूप से चर्चा कर रहे हैं. जल्द ही कोई निर्णय लिया जाएगा.’

बीते 9 अगस्त को उत्तर प्रदेश की 23 वर्षीय एमटेक छात्रा सौम्या कुमार दिसांग छात्रावास में अपने कमरे में मृत पाई गई थी. कथित तौर पर उन्होंने भी आत्महत्या की थी.

इससे पहले अप्रैल में बिहार के 20 वर्षीय बीटेक छात्र सौरव कुमार ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी. वे भी अपने छात्रावास के कमरे में मृत पाए गए थे. परिवार ने आरोप लगाया था कि उसकी रैगिंग कर हत्या कर दी गई और मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की थी.

सोमवार को जब छात्रों को हालिया घटना के बारे में पता चला, तो सैकड़ों लोग प्रशासनिक भवन के बाहर विरोध प्रदर्शन करने के लिए एकत्र हुए, उनका आरोप था कि शैक्षणिक और प्रशासनिक दबाव के कारण बिमलेश कुमार की मौत हुई है. ये विरोध प्रदर्शन बुधवार शाम तक जारी रहे.

प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि उन्हें निदेशक देवेंद्र जलिहाल ने आश्वासन दिया कि चार वरिष्ठ प्रशासक ‘एक सप्ताह के भीतर इस्तीफा दे देंगे’. हालांकि, संस्थान ने इस बात की पुष्टि नहीं की है कि ऐसा हुआ है. विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद संस्थान के प्रशासन ने सोमवार शाम और मंगलवार को निदेशक प्रोफेसर जलिहाल – जिन्होंने इस साल मई में संस्थान का कार्यभार संभाला था – के नेतृत्व में प्रशासकों और छात्रों के वरिष्ठ सदस्यों के साथ ‘ओपन हाउस’ (खुली चर्चा) आयोजित की थी.

एक छात्र के अनुसार, उनकी प्रमुख मांगों में अकादमिक मामलों के डीन सहित कुछ वरिष्ठ प्रशासनिक सदस्यों का इस्तीफा, तथा उपस्थिति नीति में ढील देना शामिल था, जिसके अनुसार अंतिम परीक्षा में आवेदन करने के लिए किसी पाठ्यक्रम में 75% उपस्थिति अनिवार्य है.

एक छात्र प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘हमने लगा कि नए निदेशक हमारी मांगों के प्रति खुले और सहानुभूतिपूर्ण हैं, इसलिए यह तय हुआ कि विरोध प्रदर्शन को समाप्त करना और प्रशासन के अगले कदम की प्रतीक्षा करना ठीक है.’ प्रदर्शनकारियों ने दावा किया है कि कुमार उन दर्जनों छात्रों में से एक हैं, जिन्हें पिछले शीतकाल में उपस्थिति की अनिवार्यता पूरी न कर पाने के कारण पाठ्यक्रम में फेल कर दिया गया था और परिणामस्वरूप उन्हें इंटर्नशिप से भी वंचित कर दिया गया था. उन्होंने इसे परेशानी का कारण बताया.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, कृष्णा को अकादमिक मामलों के डीन के पद से इस्तीफा देने के लिए कहने के अलावा छात्रों ने प्रशासन के तीन अन्य सदस्यों – छात्रावास मामलों के बोर्ड के उपाध्यक्ष राजकुमार थुम्मर, छात्र मामलों के एसोसिएट डीन बिथिया ग्रेस जगन्नाथन और बायोसाइंसेज और बायोइंजीनियरिंग की राखी चतुर्वेदी- के इस्तीफे की मांग की, जिन पर कथित तौर पर अपने अधिकार का दुरुपयोग करने का आरोप है.