नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने छात्र कार्यकर्ता देवांगना कलीता की याचिका के जवाब में नोटिस जारी किया है. देवांगना को 2020 के दिल्ली दंगों की ‘साजिश’ मामले में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था.
जून 2021 में तिहाड़ जेल से जमानत पर रिहा हुईं कलीता केस डायरी को सुरक्षित रखने की मांग कर रही हैं. कलीता के वकील ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने केस डायरी में ‘पूर्ववर्ती’ बयान जोड़े हैं – जिसका मतलब है कि पुलिस ने कथित तौर पर बयानों को दर्ज की गई वास्तविक तारीख के बजाय पहले की तारीख दी है. कलीता ने आरोप लगाया कि पुलिस ने सबूतों से छेड़छाड़ की है.
14 नवंबर को हाईकोर्ट में कलीता के वकील आदित पुजारी ने केस डायरियों में छेड़छाड़ के आरोपों से शुरुआत की, जिसे कलीता ने पहले प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट (जेएमएफसी) की अदालत के समक्ष पेश किया था और अनुरोध किया कि अदालत संबंधित केस डायरियों से संबंधित पूरी बुकलेट सुरक्षित रखे.
यह बुकलेट फरवरी 2020 में दिल्ली के जाफराबाद थाने में दर्ज एक एफआईआर की जांच से संबंधित है. पुजारी ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि पुलिस ने पहले बुकलेट हासिल करने के अनुरोध का विरोध किया था क्योंकि इससे जांच में और देरी होगी.
6 नवंबर को जेएमएफसी अदालत ने कहा था कि वह कलीता के आरोपों की सत्यता और सच्चाई की जांच नहीं कर सकती है. इसका कहना था कि आरोपों से ‘जांच एजेंसी के बयान पर संदेह’ पैदा हुआ है और उनसे उचित स्तर पर इस मुद्दे को उठाने को कहा.
हाईकोर्ट में कलीता ने मांग की कि 6 नवंबर के आदेश को रद्द किया जाए.
कलीता ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 161 के तहत गवाहों के बयान पहले ही दर्ज कर लिए थे. इनका इस्तेमाल केस डायरी को मजबूत बनाने के लिए किया जाता है और मामले में मुख्य और पूरक चार्जशीट दोनों के साथ इन्हें दाखिल किया गया था.
14 नवंबर को सुनवाई के अंत में जस्टिस जसमीत सिंह ने कलीता की याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया और उन्हें अपनी स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा तथा मामले को आगे की सुनवाई के लिए 25 नवंबर की तारीख तय की.
मालूम हो कि देवांगना कलीता और ‘पिंजरा तोड़’ की एक अन्य सदस्य नताशा नरवाल को मई 2020 में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा द्वारा गिरफ्तार किया गया था और उनके खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए हैं. जानकारों और अधिकार समूहों का मानना है कि कलीता को 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने के लिए निशाना बनाया गया था.
24 मई 2020 को कलीता को ज़मानत पर रिहा कर दिया गया था. हालांकि, पुलिस ने तुरंत उन्हें अलग-अलग आरोपों के तहत फिर से गिरफ़्तार कर लिया. 29 मई, 2020 को कलीता पर एफआईआर 59/2020 के तहत नए आरोप लगाए गए. उन पर भारतीय दंड संहिता, 1967 शस्त्र अधिनियम और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोप लगाए गए.
हालांकि, 15 जून, 2021 को दिल्ली हाईकोर्ट ने कलीता को ज़मानत दे दी. 17 जून, 2021 को, कलिता को कार्यकर्ता नताशा नरवाल और आसिफ इकबाल तन्हा के साथ तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया.
कलीता और नरवाल छात्रावासों और पीजी आवासीय सुविधाओं को छात्राओं के लिए कम प्रतिबंधित बनाने के उद्देश्य से 2015 में ‘पिंजड़ा तोड़‘ समूह का गठन किया गया था. जेएनयू के सेंटर फॉर वूमेन स्टडीज़ की एमफिल की छात्रा देवांगना कलीता और ऐतिहासिक अध्ययन केंद्र की पीएचडी की छात्रा नताशा नरवाल इसकी संस्थापक सदस्य हैं.
एफआईआर 59/2020 में आरोप लगाया गया है कि दिल्ली दंगे कई प्रमुख कार्यकर्ताओं द्वारा रची गई पूर्व नियोजित साजिश का नतीजा थे. साजिश के मामले में जिन 18 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया है, उनमें से 16 मुस्लिम हैं.
इसी मामले की एक अन्य आरोपी गुलफिशा फातिमा की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर को विचार करने से इनकार कर दिया था.
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