असम के जमुगुरीहाट में एक कार्यक्रम के दौरान गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि राज्य में हिंसा का कोई स्थान नहीं है. यहां क़ानून-व्यवस्था की स्थिति सुधरी है.
गुवाहाटी: असम सरकार ने राज्य में सशस्त्र बल विशेषाधिकार क़ानून (आफ्सपा) की अवधि अगले छह महीने के लिए बढ़ाने की घोषणा की है.
एक आधिकारिक बयान के मुताबिक असम के गृह और राजनीतिक विभाग ने 28 फरवरी को जारी अधिसूचना के ज़रिये सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) क़ानून, 1958 के तहत समूचे राज्य को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित किया है.
क़ानून को छह महीने के लिए बढ़ाया गया है या जब तक कि इसे वापस ना ले लिया जाए. यह क़ानून सुरक्षा बलों को अशांत क्षेत्रों में विभिन्न अभियान चलाने के लिए विशेष अधिकार और छूट देता है.
इसके तहत अशांत क्षेत्रों में तैनात सेना को गिरफ़्तारी, किसी परिसर की तलाशी लेने और बग़ैर किसी वारंट के किसी को गोली मारने की शक्ति प्राप्त होगी.
उधर, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा था कि असम में क़ानून-व्यवस्था की स्थिति सुधरी है और हिंसा का दौर बीत चुका है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र चर्चा से चलता है न कि बंदूकों से.
उन्होंने जमुगुरीहाट में एक कार्यक्रम में कहा था, ‘दिसंबर 2014 में मैंने कहा था कि असम में हिंसा का कोई स्थान नहीं है. मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि असम में कानून-व्यवस्था की स्थिति सुधरी है. हिंसा का दौर बीत चुका है.’
मालूम हो कि इससे पहले बीते एक सितंबर को असम सरकार ने पिछले तीन दशक में पहली बार आफ्सपा लागू किया था. तब छह महीने के लिए समूचे राज्य को अशांत क्षेत्र घोषित कर दिया है.
असम को पहली बार 1990 में अशांत क्षेत्र घोषित किया गया था. उस समय राज्य में प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन उल्फा की बड़े पैमाने पर हिंसा देखी गई थी. उसी समय प्रफुल्ल कुमार महंता के नेतृत्व वाली तत्कालीन एजीपी सरकार को बर्ख़ास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाया गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)