झारखंड में गोमांस रखने के शक में हुई अलीमुद्दीन अंसारी की हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए 8 अभियुक्त पिछले हफ़्ते जब ज़मानत पर जेल से बाहर निकले तो केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद जयंत सिन्हा ने माला पहनाकर उनका स्वागत किया था.
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नई दिल्ली: झारखंड में गोमांस के शक में एक व्यक्ति की की पीट-पीटकर हत्या करने के दोषियों को माला पहनाने को लेकर निशाने पर आए केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा की उनके पिता यशवंत सिन्हा ने भी आलोचना की है.
बीते शनिवार को यशवंत सिन्हा ने कहा कि पहले वे ‘लायक’ बेटे के ‘नालायक’ बाप थे लेकिन अब स्थिति उलट गई है. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह अपने बेटे जयंत सिन्हा की करतूत को गलत ठहराया है.
Earlier I was the Nalayak Baap of a Layak Beta. Now the roles are reversed. That is twitter. I do not approve of my son's action. But I know even this will lead to further abuse. You can never win.
— Yashwant Sinha (@YashwantSinha) July 7, 2018
सिन्हा ने अपने ट्वीट में कहा, ‘पहले मैं लायक बेटे का नालायक बाप था. अब भूमिका बदल गई है. यह ट्विटर है. मैं अपने बेटे की करतूत को सही नहीं ठहराता. लेकिन मैं जानता हूं कि इससे और गाली-गलौच होगी. आप कभी नहीं जीत सकते.’
गौरतलब है कि बीते साल 29 जून को झारखंड के रामगढ़ में मांस कारोबारी अलीमुद्दीन अंसारी की कथित तौर पर गोमांस ले जाने के शक में पीट-पीटकर हत्या कर दी गयी थी.
मार्च महीने में स्थानीय अदालत ने भाजपा नेता नित्यानंद महतो समेत 11 आरोपी ‘गो-रक्षकों’ को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी. 30 जून को इनमें से 8 दोषियों को झारखंड हाईकोर्ट से ज़मानत मिली.
इन आरोपियों में गोरक्षा समिति के छोटू वर्मा, दीपक मिश्रा, छोटू राणा, संतोष सिंह, भाजपा जिला मीडिया प्रभारी नित्यानंद महतो, विक्की साव, सिकंदर राम, रोहित ठाकुर, विक्रम प्रसाद, राजू कुमार, कपिल ठाकुर, छोटू राणा हैं. कुल 12 आरोपियों में से 11 को ही दोषी करार दिया गया था.
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लेकिन, बुधवार को जब ये आरोपी हजारीबाग की जय प्रकाश नारायण सेंट्रल जेल से बाहर निकले तो इनका स्वागत करने यशवंत सिन्हा के बेटे जयंत सिन्हा पहुंचे.
मालूम हो कि जयंत हजारीबाग से सांसद हैं. इन अभियुक्तों में एक स्थानीय भाजपा नेता नित्यानंद महतो समेत अन्य सात लोग भी शामिल थे, जिन्हें जयंत ने फूल-मालाएं और मिठाई दीं, साथ ही ऊपरी अदालत में उनका केस लड़ने का भी आश्वासन दिया.
इससे पहले 30 जून को इन कथित ‘गोरक्षकों’ को ज़मानत मिलने पर भाजपा के पूर्व विधायक शंकर लाल चौधरी ने खुशी जताते हुए अभियुक्तों के परिजनों को मिठाई बांटी थी और कहा था कि इन सभी लोगों को जमानत मिल जाने के बाद शहर में विजय जुलूस निकाला जाएगा.
हालांकि शंकर चौधरी ने जयंत सिन्हा पर इन ‘गोरक्षकों’ की मदद न करने का आरोप लगाया और यहां तक कहा कि इस मामले सबसे शर्मनाक भूमिका जयंत सिन्हा की ही रही.
मालूम हो कि इन अभियुक्तों को स्थानीय कोर्ट से उम्रकैद की सज़ा मिलने के बाद स्थानीय भाजपा नेता इनके समर्थन में खुलकर सामने आये थे और भाजपा के कई स्थानीय नेताओं और संगठनों ने आंदोलन छेड़ दिया था.
इन नेताओं और संगठनों का कहना था कि अलीमुद्दीन अंसारी हत्याकांड की जांच सीबीआई या एनएआई से कराई जाए क्योंकि पुलिस की पूरी कार्रवाई एकतरफा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)