हादसे के मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए गए. ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में विशेष कार्य अधिकारी को हटाया गया. छह मंज़िला निर्माणाधीन इमारत के गिरने से बगल की दूसरी इमारत भी गिरी. इमारत का निर्माण अवैध तरीके से हुआ होना बताया जा रहा है.
नोएडा: ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी गांव में मंगलवार को दो इमारतों के ढहने की घटना में बुधवार रात तक तीन और शव मिलने के साथ ही इस हादसे में मरने वालों की संख्या आठ तक पहुंच गई है.
इस घटना के संबंध में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ़्तार किया है, जबकि 18 अन्य के ख़िलाफ़ गैर इरादतन हत्या और आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत एक मामला दर्ज किया है. हादसे की मजिस्ट्रेट जांच का आदेश दिया गया है.
हादसे के बाद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) विभा चहल को पद से हटा दिया गया है.
बचाव टीम ने मलबे में दबी एक महिला समेत आठ लोगों के शवों को बाहर निकाला है. बचाव व राहत कार्य अभी भी जारी है. आशंका है कि अभी भी इमारत के मलबे में दर्जन भर लोग और दबे हैं.
मेरठ जोन के पुलिस महानिरीक्षक राम कुमार ने बताया कि बिसरख थाना क्षेत्र के शाहबेरी गांव में बीती रात एक निर्माणाधीन इमारत गिर गई. उसकी चपेट में आकर पास की एक अन्य इमारत भी ढह गई.
उन्होंने बताया कि बिसरख पुलिस ने इस सिलसिले में करीब 20 लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है.
कुमार ने बताया कि पुलिस ने जमीन के मालिक गंगाशंकर द्विवेदी, दिनेश और संजय को गिरफ्तार कर लिया है. अवैध इमारत बनाने के मामले में 18 अन्य लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है.
पुलिस अन्य आरोपियों की तलाश कर रही है. उन्हें जल्द गिरफ्तार करने का प्रयास किया जा रहा है. घटना की सूचना मिलने पर सुबह ही मौके पर पहुंचे राम कुमार ने बचाव एवं राहत कार्य का जायजा लिया और उसे जल्दी पूरा करने का निर्देश दिया.
मुख्य दमकल अधिकारी अरुण कुमार सिंह ने बताया कि दोनों इमारतों में दर्जनभर लोगों की फंसे होने की आशंका है. उन्होंने बताया कि रात से ही चल रहे बचाव और राहत कार्य में देर रात को दो लोगों के शवों को बाहर निकाला गया था, जबकि बुधवार सुबह एक व्यक्ति के शव को बाहर निकाला गया है. उन्होंने बताया कि बुधवार शाम छह बजे के करीब एक पुरुष और एक महिला के शव को बाहर निकाला गया.
उन्होंने बताया कि देर रात एक महिला राजकुमारी (50) और 14 महीने की एक बालिका पंखुडी के शव बरामद किए गए. एक अन्य शख़्स शिव त्रिवेदी का शव बरामद किया गया.
इससे पूर्व मिली खबरों के अनुसार, दमकल अधिकारी ने बताया कि पांच शवों में से तीन की शिनाख्त हो पाई है. महिला का नाम प्रियंका है जबकि देर रात मिले दो शवों की पहचान रंजीत तथा शमशाद के रूप में हुई है. उन्होंने बताया कि प्रियंका के परिवार के तीन लोग अभी मलबे में फंसे हैं, जिसकी पुष्टि उनके परिजनों ने की है.
अधिकारी ने बताया कि बचाव कार्य में 12 जेसीबी और दो पोकलेन मशीनें लगाई गई हैं. आसपास के जनपदों से भी दमकल विभाग की गाड़ियों तथा एनडीआरएफ बल के जवानों को बुलाया गया है. उन्होंने कहा, हमारा प्रयास मलबे में दबे लोगों को जल्द से जल्द बाहर निकालने का है.
दमकल विभाग के प्रमुख (सीएफओ) अरुण कुमार सिंह ने बताया कि घटना के समय इमारत में कम से कम 12 मजदूर मौजूद थे और उन सभी के फंसे होने की आशंका है. दोनों इमारतों में करीब 30 लोगों के फंसे होने की आशंका है.
उन्होंने बताया कि रात से ही बचाव एवं राहत कार्य जारी है. देर रात को दो लोगों के शव बाहर निकाले गए थे जबकि एक अन्य व्यक्ति का शव बुधवार सुबह बाहर निकाला गया है.
दमकल विभाग के अधिकारी ने बताया कि शवों की शिनाख्त अभी नहीं हो पाई है. उन्होंने बताया कि गाजियाबाद से आए एनडीआरएफ के दो दल रात से ही बचाव कार्य में जुटे हैं.
एनडीआरएफ, दमकल विभाग पुलिस, जिला पुलिस तथा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी बचाव कार्य में जुटे हुए हैं.
सीएफओ ने बताया कि जहां पर ये इमारतें बनी थी वहां गलियां बहुत ही संकरी है, जिससे बचाव कार्य में कठिनाई आ रही है. घटनास्थल पर भारी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ गई थी, जिसकी वजह से भी बचाव कार्य दल को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. रात को बिजली कटने की वजह से भी राहत कार्य में कठिनाई आई.
उन्होंने बताया कि प्रथमदृष्टया ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इमारत के निर्माण में घटिया सामग्री एवं कमजोर सरियों का इस्तेमाल किया गया था, जिससे यह हादसा हुआ.
मंगलवार को सुबह कुछ देर के लिए बचाव कार्य रुका था, लेकिन आधे घंटे बाद इसे फिर शुरू कर दिया गया. पुलिस ने अवरोधक लगाकर घटनास्थल पर आम लोगों को जाने से रोक दिया.
इस घटना से लोगों में भारी रोष है. कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि प्राधिकरण अधिकारी एवं पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से क्षेत्र में इस तरह की कई अवैध इमारतें बन रही हैं.
एक सामाजिक कार्यकर्ता संदीप दुबे ने बताया कि उन्होंने 25 अगस्त 2017 को आरटीआई के माध्यम से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से पूछा था कि उक्त इमारत का नक्शा पास कराए बिना निर्माण कैसे हो रहा है. लेकिन, एक साल बीत जाने के बावजूद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने उनकी आरटीआई का कोई जवाब नहीं दिया.
उन्होंने प्राधिकरण में डाली गई आरटीआई की कॉपी भी मीडिया कर्मियों को उपलब्ध कराई है. बहरहाल, बचाव कार्य अभी जारी है और शाम तक ही पूरी स्थिति स्पष्ट हो पाएगी.
इस बीच, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हादसे पर दुख व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजन को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने के निर्देश दिए हैं. योगी ने इस मामले की जांच मंडलायुक्त मेरठ द्वारा किये जाने के निर्देश दिए है. इसके अलावा अवैध निर्माण करवाने वालों के खिलाफ एफआईआर कराकर दोषी लोगों को गिरफ्तार करने के निर्देश दिये है.
(समाचार एजेेसी भाषा से इनपुट के साथ)