नई दिल्ली के संसद मार्ग पर हुए प्रदर्शन के दौरान पत्रकारों ने यौन उत्पीड़न के आरोपियों के ख़िलाफ़ तत्काल कार्रवाई करने की मांग की.
नई दिल्ली: देश में ‘मी टू’ अभियान के ज़ोर पकड़ने के साथ शनिवार को पत्रकारों के एक समूह ने यौन शोषण की घटनाएं उजागर करने वाली अपनी महिला सहकर्मियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए नई दिल्ली के संसद मार्ग विरोध प्रदर्शन किया.
पत्रकारों ने कार्यस्थल पर गरिमा सुनिश्चित करने के लिए यौन शोषण रोकथाम अधिनियम के उचित कार्यान्वयन की मांग को लेकर एक प्रस्ताव भी पारित किया.
प्रदर्शनकारी पत्रकारों ने यौन उत्पीड़न के आरोपियों के ख़िलाफ़ तत्काल कार्रवाई करने की मांग की.
उन्होंने कई महिला पत्रकारों द्वारा लगाए गए यौन शोषण के आरोपों से घिरे केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर को पद से हटाने की भी मांग की.
अकबर पूर्व पत्रकार हैं और कई अख़बारों के संपादक रह चुके हैं. उन्होंने अख़बारों में शीर्ष पदों पर रहते हुए कथित रूप से महिला सहकर्मियों का यौन शोषण किया.
पत्रकार हाथों में तख़्तियां लिए हुए थे जिस पर लिखा था कि कार्यस्थल पर यौन शोषण स्वीकार्य नहीं है और जवाबदेही शीर्ष से शुरू होती है.
पत्रकारों ने अकबर को हटाने के लिए नारेबाज़ी की.
वरिष्ठ पत्रकार और महिला पत्रकारों के संगठन इंडियन वीमेंस प्रेस कॉर्प्स (आईडब्ल्यूपीसी) की अध्यक्ष टीआर राजलक्ष्मी ने कहा, ‘कार्यस्थल पर यौन शोषण स्वीकार्य नहीं है. हम उन महिलाओं को सलाम करते हैं जिन्होंने सामने आते हुए अपनी आपबीती बयां की. ऐसा करना आसान नहीं है और इस तरह की घटनाओं के बारे में बात करने के लिए बहुत हिम्मत चाहिए.’
आईडब्ल्यूपीसी की सदस्यों के अलावा प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार संसद मार्ग पर स्थित फ्री स्कूल चर्च के सामने जमा हुए और कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन प्रताड़ना (रोकथाम, निषेध और सुधार) अधिनियम के उचित कार्यान्वयन की मांग को लेकर नारेबाज़ी की.
पत्रकारों द्वारा प्रदर्शन के दौरान पारित प्रस्ताव में कहा गया है, ‘हम उन सभी लोगों के साथ एकजुट हैं जो कार्यस्थल पर अपने सहकर्मियों और वरिष्ठ द्वारा प्रताड़ित किए जाने के ख़िलाफ़ खड़े हुए.’
टीआर राजलक्ष्मी ने कहा कि इस तरफ की घटनाओं का इंटरनल कम्प्लेंट्स कमेटी (आईसीसी) द्वारा नज़र रखने की ज़रूरत है. इस तरह की घटनाएं बताती हैं कि मीडिया संगठनों में या तो आईसीसी है ही नहीं या फिर प्रभावी नहीं है.
केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी बीते शुक्रवार को यौन प्रताड़ना के ख़िलाफ़ खड़ी हुई महिलाओं को मज़बूती के साथ समर्थन किया था.
गौरतलब है कि ‘मीटू अभियान’ के तहत सोशल मीडिया पर कई महिला पत्रकारों ने विभिन्न संस्थान में अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न की घटनाओं को साझा किया है. मालूम हो कि केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री और पूर्व पत्रकार एमजे अकबर पर अब तक तकरीबन आठ महिला पत्रकार यौन उत्पीड़न का आरोप लगा चुकी हैं.
बिज़नेस स्टैंडर्ड के पत्रकार रहे मयंक जैन पर भी कुछ महिला पत्रकारों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए, जिसके बाद उन्होंने अख़बार से इस्तीफा दे दिया. टाइम्स आॅफ इंडिया के संपादक केआर श्रीनिवास पर भी छह से सात महिला पत्रकारों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है, जिसके बाद प्रबंधन ने उन्हें छुट्टी पर भेज दिया है.
टाइम्स आॅफ इंडिया कार्यकारी संपादक और डीएनए के संस्थापक संपादक रह चुके गौतम अधिकारी पर भी कई महिला पत्रकारों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. वर्तमान में अधिकारी सेंटर फॉर अमेरिकन प्रोग्रेस में सीनियर फेलो थे. आरोपों के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
इसके अलावा यौन उत्पीड़न के आरोप लगने के बाद हिंदुस्तान टाइम्स के राजनीतिक संपादक और ब्यूरो चीफ प्रशांत झा ने भी पद से इस्तीफा दे दिया है.
बीते दिनों ‘मीटू’ अभियान के तहत यौन उत्पीड़न के रोज़ नए आ रहे आरोपों के बीच एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी यौन उत्पीड़न की शिकार महिला पत्रकारों का समर्थन करते हुए मीडिया संस्थानों से ऐसे सभी मामलों में बिना भेदभाव के जांच करने को कहा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)