मराठी साहित्य सभा: आयोजकों ने साहित्यकार नयनतारा सहगल को कार्यक्रम में आने से मना किया

यवतमाल में 11 जनवरी से शुरू होने वाले इस कार्यक्रम का उद्घाटन अंग्रेज़ी की प्रख्यात लेखिका नयनतारा सहगल को करना था. रविवार को आयोजकों ने 'अपरिहार्य कारणों' का हवाला देते हुए उनका आमंत्रण वापस ले लिया.

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साहित्यकार नयनतारा सहगल (फाइल फोटो: Wikimedia Commons)

यवतमाल में 11 जनवरी से शुरू होने वाले इस कार्यक्रम का उद्घाटन अंग्रेज़ी की प्रख्यात लेखिका नयनतारा सहगल को करना था. रविवार को आयोजकों ने ‘अपरिहार्य कारणों’ का हवाला देते हुए उनका आमंत्रण वापस ले लिया.

साहित्यकार नयनतारा सहगल (फाइल फोटो: Wikimedia Commons)
साहित्यकार नयनतारा सहगल (फाइल फोटो: Wikimedia Commons)

यवतमाल: अखिल भारतीय मराठी साहित्य सभा के आयोजकों ने कुछ लोगों द्वारा कार्यक्रम में बाधा डालने की धमकी के बाद उद्घाटन अवसर में शामिल होने के लिए अंग्रेजी भाषा की जानी-मानी लेखिका नयनतारा सहगल को भेजा गया आमंत्रण वापस ले लिया है.

यह आयोजन 11 से 13 जनवरी तक होना है. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक करीब एक महीने पहले सहगल को इस कार्यक्रम का उद्घाटन करने का निमंत्रण भेजा था.

रविवार को आयोजकों ने 91 वर्षीय लेखिका को कार्यक्रम में आने से मना करते हुए कहा कि यह फैसला उनके नाम को लेकर उठे विवाद के चलते किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए लिया गया है. उन्होंने यह भी बताया कि एक राजनीतिक संगठन के कार्यक्रम में बाधा डालने की धमकी भी दी गयी थी.

यह कार्यक्रम अखिल भारतीय मराठी साहित्य महामंडल और यवतमाल के डॉ. वीबी कोलते संशोधन केंद्र अणि वाचनालय द्वारा आयोजित करवाया जा रहा है.

रविवार को सहगल ने आयोजक समिति के कार्यवाहक अध्यक्ष रमाकांत कोलते को जवाब देते हुए कहा, ‘मैं समझ सकती हूं कि वर्तमान तनावपूर्ण परिस्थिति में आपको यह आमंत्रण रद्द करना पड़ रहा है. मुझे दुख है कि ऐसा हुआ.’

91 साल की नयनतारा सहगल नेहरू-गांधी परिवार से आती हैं. वे पंडित मोतीलाल नेहरू की बेटी विजयलक्ष्मी पंडित की बेटी हैं.

साहित्य अकादमी प्राप्त नयनतारा सहगल ने 2015 में नरेंद्र मोदी सरकार में बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ चलाए गए अवॉर्ड वापसी अभियान के समय उन्हें मिला साहित्य अकादमी सम्मान लौटा दिया था.

मुंबई मिरर से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वे आयोजकों के इस फैसले से हैरान हैं और आयोजकों द्वारा उन्हें इसकी कोई वजह भी नहीं बताई गयी. उन्होंने कहा, ‘आयोजकों ने मुझे बहुत गर्मजोशी से आमंत्रित किया था और मेरे रहने, आने-जाने की व्यवस्था की. शायद उन पर बहुत दबाव रहा होगा, इसलिए उन्होंने यह फैसला लिया.

बीबीसी के मुताबिक उनके इस सम्मेलन में शामिल होने पर पहली बार महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने आपत्ति जताई थी. मनसे ने कहा था कि कार्यक्रम का उद्घाटन किसी मराठी साहित्यकार द्वारा ही किया जाना चाहिए जबकि नयनतारा अंग्रेज़ी की लेखिका हैं.

मनसे के साथ ही किसानों के लिए काम करने वाले शेतकरी न्याय आंदोलन समिति ने भी इस बात का समर्थन किया था. संगठन के देवानंद पवार ने बीबीसी को बताया कि उनकी भूमिका सिर्फ़ इतनी ही थी कि उनका मानना था कि अंग्रेज़ी लेखक के हाथ से उद्घाटन नहीं होना चाहिए लेकिन सहगल की अवमानना उनका उद्देश्य नहीं था. आयोजकों को इस पर पहले ही विचार करना चाहिए था और इस तरह सहगल को ऐन मौक़े पर मना करने के लिए माफ़ी मांगनी चाहिए.

वहीं अखिल भारतीय मराठी महामंडल के अध्यक्ष श्रीपाद जोशी ने कहा कि आमंत्रण के रद्द होने का महामंडल से कोई लेना-देना नहीं है. इसे स्थानीय आयोजकों द्वारा रद्द किया गया है, जिन्हें कार्यक्रम के शांतिपूर्ण ढंग से आयोजन में मुश्किल नज़र आ रही थी. महामंडल का इससे कोई संबंध नहीं है.’

‘धर्म के नाम पर नफ़रत के बीज बोए जा रहे हैं’

इस साहित्य सभा में सहगल जो भाषण देने वाली थीं, उसमें उन्होंने देश की धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता, मॉब लिंचिंग, इतिहास के पुनर्लेखन, संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता आदि जैसे मुद्दों पर जमकर हिंदुत्व विचारधारा की आलोचना की है.

बीबीसी मराठी को मिली उस भाषण की प्रति में उन्होंने अपने माता-पिता के स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका का ज़िक्र करते हुए कहा है कि उन्होंने हज़ारों स्वतंत्रता सेनानियों के साथ देश के लिए लड़ाई लड़ी क्योंकि उनमें आज़ादी को लेकर जुनून था लेकिन क्या वह जुनून आज भी है.

उन्होंने लिखा है, ‘क्या हम उन पुरुष-महिलाओं का सम्मान करते हैं जो हमसे पहले चले गए हैं, जिनमें से कइयों ने लड़ते हुए जानें दी हैं ताकि भविष्य के भारतीय स्वतंत्र जी सकें. मैं यह सवाल इसलिए पूछ रही हैं क्योंकि हमारी स्वतंत्रता खतरे में है.’

उन्होंने यह भी लिखा, कि लोग क्या खा रहे हैं, पहन रहे हैं और उनकी क्या विचारधारा है, आज सब पर सवाल किए जा रहे हैं और धर्म के नाम पर नफ़रत के बीज बोए जा रहे हैं. नेहरू मेमोरियल म्यूज़ियम एंड लाइब्रेरी और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय जैसे उच्च संस्थान हिंदुत्व की नफ़रत का शिकार हो रहे हैं.

नयनतारा ने कहा कि हिंदू होने और उनका सनातन धर्म में विश्वास रखने के बावजोड़ वह हिंदुत्व को कभी स्वीकार नहीं कर सकती.

राज ठाकरे ने मांगी माफ़ी

सहगल के आने पर मनसे के विरोध की ख़बरों पर मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने स्पष्टीकरण जारी किया है.

ट्विटर पर मनसे का आधिकारिक बयान साझा करते हुए लिखा कि नयनतारा सहगल के कार्यक्रम को लेकर मेरे कुछ पार्टी सहयोगियों द्वारा प्रतिरोध जाहिर किया गया, हालांकि पार्टी अध्यक्ष होते हुए मुझे इस बात पर कोई आपत्ति नहीं है.

उन्होंने आगे लिखा, ‘मेरे सहयोगोयों के विरोध की वजह यह मानना है कि मराठी भाषा को बचाया जाना चाहिए. हालांकि उनका ऐसा सोचना सही है लेकिन यह भी सोचना होगा कि नयनतारा सहगल जैसी वरिष्ठ और जानी-मानी लेखिका इस साहित्य सभा में मौजूद होंगी तो उनकी मौजूदगी में हमारी संस्कृति और परंपराओं को दुनिया भर में पहुंचाने का माध्यम बन सकती है.’

ठाकरे ने स्पष्ट किया कि उन्हें या उनकी पार्टी को नयनतारा सहगल को लेकर कोई आपत्ति नहीं है और वे पूरे दिल से उनका स्वागत करते हैं. उन्होंने आगे आयोजकों को हुई असुविधा पर खेद जाहिर करते हुए माफ़ी भी मांगी है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)