नागरिकता विधेयक के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों के बीच मणिपुर की राजधानी इम्फाल में कर्फ्यू

नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर उत्तर-पूर्व के विभिन्न राज्यों में विरोध जारी. मणिपुर के दो ज़िलों में धारा 144 लागू. पूरे राज्य में 16 फरवरी तक मोबाइल इंटरनेट सेवा निलंबित ​की गई. स्थानीय चैनलों पर विरोध प्रदर्शन से जुड़ी ख़बरों के प्रसारण पर रोक लगी.

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Guwahati: Activists of Left Democratic Manch (LDMA), a joint platform of 11 political parties protest against the Citizenship (Amendment) Bill, 2016, in Guwahati on Monday, June 11, 2018. (PTI Photo) (PTI6_11_2018_000047B)
Guwahati: Activists of Left Democratic Manch (LDMA), a joint platform of 11 political parties protest against the Citizenship (Amendment) Bill, 2016, in Guwahati on Monday, June 11, 2018. (PTI Photo) (PTI6_11_2018_000047B)

नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर उत्तर-पूर्व के विभिन्न राज्यों में विरोध जारी. मणिपुर के दो ज़िलों में धारा 144 लागू. पूरे राज्य में 16 फरवरी तक मोबाइल इंटरनेट सेवा निलंबित की गई. स्थानीय चैनलों पर विरोध प्रदर्शन से जुड़ी ख़बरों के प्रसारण पर रोक लगी.

Guwahati: Activists of Left Democratic Manch (LDMA), a joint platform of 11 political parties protest against the Citizenship (Amendment) Bill, 2016, in Guwahati on Monday, June 11, 2018. (PTI Photo) (PTI6_11_2018_000047B)
(फाइल फोटो: पीटीआई)

इम्फाल/आइज़ोल: मणिपुर की राजधानी इम्फाल में बीते मंगलवार को अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगाते हुए पूरे राज्य की मोबाइल इंटरनेट सेवा 16 फरवरी तक के लिए निलंबित कर दी गई.

नागरिकता (संशोधन) विधेयक के ख़िलाफ़ राज्य में हो रहे लगातार विरोध प्रदर्शन के बाद यह कदम उठाया गया है.

ऐसी खबर थी कि यह विवादास्पद विधेयक मंगलवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा, जिसके बाद पूरे राज्य में कर्फ्यू लगा दिया गया. हालांकि यह विधेयक संसद के ऊपरी सदन में पेश नहीं हुआ.

अधिकारियों ने बताया कि मुख्मयंत्री एन. बीरेन सिंह सहित विधायकों और मंत्रियों के आवासों पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. पुलिसकर्मी लाउडस्पीकर लेकर कर्फ्यू लगने और लोगों को घरों के अंदर ही रहने की सूचना देते हुए दिखे.

सुरक्षा बलों ने मुख्य मार्गों पर अवरोधक भी लगाए हैं. अधिकारियों ने बताया कि बाजार, स्कूल, कॉलेज और कार्यालय सभी बंद हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इम्फाल पश्चिम ज़िले के ज़िला मजिस्ट्रेट नॉरेम प्रवीण सिंह ने स्थानीय केबल ऑपरेटरों पर विधेयक के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों का प्रसारण करने पर प्रतिबंध लगा दिया है.

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में मणिपुर के मुख्य सचिव जे. सुरेश बाबू ने कहा, ‘यह निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि विधेयक के संबंध में चैनलों से बहुत सारी अफ़वाहों का भी प्रसारण हो रहा है. राज्य के युवा भावुक हैं और स्थितियां बिगड़ने से रोकने की ज़िम्मेदारी हमारी है. हमें हिंसा को रोकना होगा और लोगों को घायल होने से बचाना होगा. हर ख़बर पर पाबंदी नहीं लगाई गई हैं. पाबंदी केवल भड़काऊ ख़बरों पर लागू होगी.’

इम्फाल फ्री प्रेस अख़बार के संपादक प्रदीप फनजॉबम ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, ‘सरकार पागलपन की शिकार है. वह विरोध की हर आवाज़ दबा रही है. मुझे लगता है कि सरकार चिढ़ी हुई है और जो भी विरोध कर रहा है उसे गिरफ़्तार किया जा रहा है.’

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया, ‘16 फरवरी तक मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. अगर स्थितियां सुधरती हैं तो इस रोक की समीक्षा की जाएगी. इस बीच 36 घंटे का बंद लागू किया गया है, यह अवधि 12 फरवरी की शाम को ख़त्म हो रही थी लेकिन इसे 24 घंटे के लिए और बढ़ा दिया गया है.’

भाजपा के सहयोगियों सहित राजनीतिक पार्टियां लोकसभा में आठ जनवरी को पारित हुए इस विधेयक का विरोध कर रही हैं. केंद्र सरकार ने कहा था कि वह बजट सत्र में राज्यसभा में इस विधेयक को पारित कराने की कोशिश करेगी.

मणिपुर के दो ज़िलों में निषेधाज्ञा लागू, नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध जारी

इधर, नागरिकता संशोधन विधेयक के ख़िलाफ़ लगातार हो रहे प्रदर्शनों के मद्देनजर मणिपुर के इम्फाल पूर्वी और इम्फाल पश्चिमी ज़िलों में अनिश्चितकाल के लिए धारा 144 लागू कर दी है.

मणिपुर की राजधानी इम्फाल का कुछ हिस्सा इम्फाल पूर्वी और इम्फाल पश्चिमी दोनों ज़िलों में आता है.

अधिकारियों ने बताया कि इन दोनों ज़िलों में बीते 11 फरवरी की रात सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू की गई.

बता दें कि पूर्वोत्तर में नागरिकता संशोधन विधेयक का बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है. भाजपा के कई सहयोगी दलों ने भी इस विधेयक का विरोध किया है.

बीते आठ जनवरी को लोकसभा में इसे पारित किया गया था. इस विधेयक में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्रदान किए जाने का प्रावधान है.

इस विधेयक में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत में शरण लेने वाले गैर मुस्लिम समुदाय के लोगों को नागरिकता पाने के लिए 12 वर्ष भारत में रहने की अनिवार्यता की जगह छह साल में नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है. इस विधेयक को राज्यसभा में पेश किया जाना अभी बाकी है.

पूर्वोत्तर में कई संगठनों ने इस विधेयक का यह दावा करते हुए विरोध किया है कि वह क्षेत्र के मूलनिवासियों के अधिकारों को कमतर कर देगा.

पूर्वोत्तर क्षेत्र के जनजातीय समुदाय के लोगों को डर है कि यह विधेयक क़ानून में तब्दील हो जाने के बाद क्षेत्र की जनांकिकी पर नकारात्मक असर पड़ेगा और उनकी पहचान एवं जिंदगी खतरे में पड़ जाएगी.

इस बीच, मणिपुर के ज़िरीबाम ज़िले में नागरिकता विधेयक के विरोध में बुलाया गया 36 घंटे का बंद अभी भी जारी है जिससे सोमवार की सुबह पांच बजे से ही आम जनजीवन प्रभावित है.

कई संगठनों की संयुक्त इकाई पीपुल्स अलायंस मणिपुर (पीएएम) ने यह बंद बुलाया है.

राजधानी इम्फाल में नागरिकता विधेयक के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच 13 फरवरी को दूसरे दिन भी निषेधाज्ञा लागू है. अधिकारियों ने इस बात की जानकारी दी है.

अधिकारियों ने कहा कि राजधानी के सभी वीआईपी इलाकों में सुरक्षा अवरोधक लगाए गए हैं. पुलिस व्यस्त इलाकों में वाहनों और राहगीरों की तलाशी ले रही है.

उन्होंने कहा कि प्रदर्शनों के मद्देनज़र राज्य में शनिवार तक सभी मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं.

अधिकारियों ने बताया कि शहर के काइमागेई और ताखेल लेईकाई इलाकों में विधेयक को रद्द करने की मांग को लेकर नारेबाज़ी करने वाले प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिये पुलिस को मंगलवार रात आंसू गैस के गोलों और धुएं के बमों का इस्तेमाल करना पड़ा.

अस्पताल सूत्रों और प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक मंगलवार से अब तक शहर के अलग-अलग इलाकों में प्रदर्शनों के दौरान 10 से ज़्यादा लोग घायल हो चुके हैं.

अधिकारियों ने बताया कि इस दौरान बाजार, स्कूल, कॉलेज और दफ्तर बंद रहे.

मिज़ोरम के मंत्रिमंडल ने नागरिकता विधेयक का किया विरोध

मिज़ोरम के मंत्रिमंडल ने बीते 12 फरवरी को नागरिकता (संशोधन) विधेयक का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि वह इस विवादास्पद विधेयक को राज्सभा में पारित नहीं होने देंगे.

एक आधिकारिक विज्ञप्ति में बताया गया है कि इस मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री जोरमथंगा ने की. सरकार और मिज़ोरम के लोग इस विधेयक का प्रबल तरीके से विरोध करते हैं.

मिजोरम में मिज़ो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) की सरकार है. यह नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस (एनईडीए) में भाजपा के सहयोगी दल हैं.

राज्य मंत्रिमंडल ने पिछले साल 18 दिसंबर को भी इस विधेयक का विरोध किया था. इस विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यक को भारत में छह साल रहने के बाद बिना किसी दस्तावेज़ के भी नागरिकता मुहैया कराने का वादा किया गया है. इससे पहले यह समय सीमा 12 साल थी.

ऐसी ख़बर थी कि यह विधेयक बीते 12 फरवरी को राज्य सभा में चर्चा के लिए सूचीबद्ध था. इसको लेकर नागरिक संगठनों और छात्र संगठनों ने आइज़ोल में और मिज़ोरम के अन्य शहरों में विरोध प्रदर्शन किया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)