दिल्ली उच्च न्यायालय ने वकीलों के समूह की याचिका ख़ारिज करते हुए उस पर 2 लाख 75 हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कालिखो पुल के सुसाइड नोट में लगाए गए आरोपों पर प्राथमिकी दर्ज करने की मांग वाली वकीलों के एक समूह की याचिका ख़ारिज की. साथ ही याचिकाकर्ताओं पर कुल 2.75 लाख रुपये का जुर्माना लगाया.
सोमवार को उच्च न्यायालय ने कहा कि वकीलों के समूह नेशनल लॉयर्स कैंपेन फॉर ज्युडीशियल ट्रांसपेरेंसी एंड रिफॉर्म, कुछ अन्य वकीलों और एक विधि छात्र द्वारा दायर याचिका सुसाइड नोट की सत्यता की गारंटी नहीं देती है.
न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने हरेक पर 25-25 हजार रुपये का कुल 2.75 लाख रुपये का जुर्माना लगाया और कहा कि याचिकाकर्ता अंधाधुंध आरोप लगाने वाली व्यस्त संस्थाएं हैं.
हालांकि अदालत ने याचिकाकर्ताओं के ख़िलाफ़ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू नहीं की. सीबीआई ने यह मांग की थी.
न्यायाधीश ने याचिका ख़ारिज करते हुए कहा कि यह केवल सुनी सुनाई बात पर आधारित है क्योंकि 11 में से किसी भी याचिकाकर्ता ने याचिका में किसी भी कथित तथ्य का अनुमोदन नहीं किया है.
पिछले साल नौ अगस्त को ईटानगर में अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कालिखो पुल के फांसी लगाकर आत्महत्या करने की ख़बर आई थी.
खुदकुशी करने के एक दिन पहले कालिखो पुल ने 60 पेज का एक सुसाइड नोट लिखा जिसमें उन्होंने संवैधानिक पदों पर बैठे विभिन्न लोगों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. इसमें अरुणाचल प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री पेमा खांडू, उपमुख्यमंत्री चोवना मेन समेत प्रदेश के प्रमुख नेता भी शामिल हैं. उनके कथित सुसाइड नोट को सबसे पहले द वायर ने प्रकाशित किया था.
60 पन्नों के इस सुसाइड लेटर में कालिखो पुल ने प्रदेश के कई नेताओं सहित वरिष्ठ जजों और संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगाए. जिन जजों पर पुल ने आरोप लगाए हैं उनमें कुछ सेवानिवृत्त जज भी हैं.
पुल ने सुसाइड नोट में एक जज पर आरोप लगाते हुए यह कहा गया है कि उस जज के रिश्तेदार ने किसी व्यक्ति के ज़रिये राष्ट्रपति शासन मामले में फैसला पुल के पक्ष में देने के लिए 86 करोड़ रुपये की रकम की मांग की थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)