ग्राउंड रिपोर्ट: ज़िले के विभिन्न गांवों में रहने वाले आदिवासियों का कहना है कि उनकी ज़िंदगियों से विकास कोसों दूर है.
ग्राउंड रिपोर्ट: आदिवासी ज़िले नर्मदा में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के निर्माण का काम ज़ोर-शोर से चल रहा है लेकिन इस पूरे ज़िले के किसी भी अस्पताल में आईसीयू की व्यवस्था नहीं है.
ग्राउंड रिपोर्ट: प्रदेश के ज़्यादातर मुसलमान ऐसी पार्टी को वोट देना चाहते हैं जो उनकी सुरक्षा व विकास की गारंटी दे.
ग्राउंड रिपोर्ट: सूरत के कपड़ा व्यापारियों की सारी नाराज़गी जीएसटी लागू करने में केंद्र सरकार के घमंडी रवैये को लेकर है. उनका गुस्सा प्रधानमंत्री के बजाय वित्त मंत्री पर है.
दिसंबर तक राहुल गांधी का कांग्रेस अध्यक्ष बनना लगभग तय है. क़रीब दो दशक बाद कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व में उस समय बदलाव हो रहा है जब वह अपने सबसे बुरे दौर से गुज़र रही है.
ग्राउंड रिपोर्ट: इस साल जुलाई में शिमला से 80 किमी दूर कोटखाई में एक स्कूली छात्रा की गैंगरेप के बाद निर्मम हत्या कर दी गई थी.
ग्राउंड रिपोर्ट: पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम के भ्रष्टाचार की कहानी भले ही पूरे देश में चर्चा का विषय रही है लेकिन छोटी काशी के नाम से मशहूर मंडी में उनके विरोधी भी उन्हें भ्रष्ट कहने से बचते नज़र आते हैं.
ग्राउंड रिपोर्ट: भाजपा जहां सत्ता विरोधी भावना को भुनाने के लिए तकनीक का भरपूर इस्तेमाल कर रही है, वहीं कांग्रेस वीरभद्र सिंह को आगे कर परंपरागत तरीके से प्रचार करके ये चुनावी बाज़ी जीतने की कोशिश में है.
तमाम योजनाओं के ऐलान और बहुत सारे वादों के बावजूद देश में भूख व कुपोषण से प्रभावित लोगों की संख्या बढ़ रही है.
ट्रोलिंग पर विशेष सीरीज़: जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व उपाध्यक्ष शहला राशिद से अमित सिंह की बातचीत.
वीडियो: राजधानी दिल्ली के कालिंदी कुंज इलाके में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों से अमित सिंह की बातचीत.
जब आतंकवाद के चलते कश्मीर से बड़ी संख्या में हिंदू पलायन कर रहे थे तब भी कुछ परिवारों ने घाटी में रहने का फैसला किया था.
साक्षात्कार: एनकाउंटर में मारे गए आतंकी संगठन हिज़बुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी के पिता मुज़फ़्फ़र अहमद वानी से बातचीत.
असाधारण जीवन की तरह असाधारण मृत्यु ने नेताजी के इर्द-गिर्द रहस्यों का जाल-सा बुन दिया है. दुखद यह है कि जांच आयोगों के भंवरजाल में नेताजी किसी जासूसी कथा के नायक बन गए हैं.
कश्मीरी पुलिसकर्मी अपने पेशे के चलते आतंकियों के लिए घृणा का पात्र बन जाते हैं वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय स्तर पर भी उनकी फिक्र करता कोई नहीं दिखता.