भीमा कोरेगांव हिंसा के पीछे बताए जा रहे कथित नक्सल कनेक्शन के चलते ग़ैर-क़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) क़ानून के तहत गिरफ़्तार किए गए पांचों लोगों के प्रति पुलिस और प्रशासन का यह रवैया नया नहीं है.
पुणे पुलिस ने माओवादियों से जुड़ाव का आरोप लगाते हुए तीन अलग-अलग शहरों से पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया और दलितों के साथ हुई हिंसा का ज़िम्मेदार बताया.
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) द्वारा कथित रूप से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि गढ़चिरौली की इंद्रावती नदी में 'एनकाउंटर' के बाद मिले 40 शवों में से केवल 22 शव इस समूह के लोगों के हैं.
गढ़चिरौली में बीते दिनों हुए 'एनकाउंटर' में कसनसुर गांव के लोग बच तो गए लेकिन उनके चेहरों पर चिंता साफ़ दिखती है. वे दशकों से जिस भंवरजाल में फंसे हैं, वहां हमेशा एक तरफ पुलिस का ख़तरा बना रहता है तो दूसरी ओर नक्सलियों का.
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में सी-60 कमांडो और नक्सलियों के बीच कथित मुठभेड़ में 40 लोगों की मौत हो जाने के बाद, एक गांव अपने मृतकों की पहचान करने का इंतज़ार कर रहा है.
2003 में महाराष्ट्र सरकार ने नक्सल-विरोधी अभियान के तहत गांवों को 'नक्सल-मुक्त' बनाने के लिए इनाम देना शुरू किया. इस प्रक्रिया में आम गांव वालों को नक्सली बताकर फ़र्ज़ी आत्मसमर्पण करवाया जा रहा है.