वीडियो: मणिपुर में 3 मई को बहुसंख्यक मेईतेई और आदिवासी कुकी समुदाय के बीच शुरू हुई जातीय हिंसा जारी है. अब तक करीब 200 लोगों की जान जा चुकी है और लगभग 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं जो 350 राहत शिविरों में रह रहे हैं.
ख़बर थी कि हिंसाग्रस्त मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह शुक्रवार को राज्यपाल से मुलाकात करने वाले हैं. इसके बाद उनके इस्तीफ़े की अटकलें तेज़ हो गई थीं. मई की शुरुआत से राज्य में शुरू हुई जातीय हिंसा से निपटने के अपने तरीके को लेकर मुख्यमंत्री को काफी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.
मिज़ोरम ने हिंसा प्रभावित मणिपुर से भागकर आ रहे हज़ारों लोगों को अपने यहां शरण देने के लिए केंद्र से मदद मांगी है. अधिकारियों ने कहा है कि अगर मदद नहीं दी गई तो उनके यहां जल्द ही संसाधनों की कमी हो गई है. इस बीच मणिपुर पहुंचे कांग्रेस नेता राहुल गांधी का क़ाफ़िला बिष्णुपुर में रोक दिया गया है.
वीडियो: 26 जून को भारतीय सेना के स्पीयर कॉर्प्स के ट्विटर हैंडल से जारी एक वीडियो में कहा गया कि मणिपुर में महिला प्रदर्शनकारी ‘सशस्त्र दंगाइयों’ को सहयोग और समर्थन दे रही है और राज्य में सुरक्षा बलों के अभियानों में दख़ल दे रही हैं. उन्होंने सहयोग की अपील भी की थी.
मणिपुर में हिंसा के बीच सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी एक सर्कुलर में कहा गया है कि उन सभी कर्मचारियों पर 'काम नहीं, वेतन नहीं' नियम लागू किया जा सकता है जो अधिकृत अवकाश के बिना अपनी आधिकारिक ड्यूटी पर नहीं पहुंच रहे हैं.
मणिपुर के प्रभावशाली आदिवासी संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने कहा है कि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक के बाद हितधारकों तक पहुंचने का विचार बहुत देर से व्यक्त किया, जब इतने सारे निर्दोष जीवन और संपत्तियों का नुकसान हो गया और कुकी-ज़ो आदिवासियों को कठिन दौर से गुज़रना पड़ा.
मणिपुर में बीते 3 मई को मेईतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा शुरू होने के बाद से कम से कम 4,000 हथियार लूटे गए हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों को पुलिस थानों और शस्त्रागारों से लूटे गए हथियारों और गोला-बारूद की सही संख्या का पता नहीं है, क्योंकि रिकॉर्ड रखने वाले रजिस्टर या तो नष्ट कर दिए गए हैं या किसी के द्वारा ले लिए गए हैं.
अधिकारियों ने बताया कि मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स ज़िले में बीते 25 जून की रात को एक सीमा चौकी पर ग्रामीणों ने हमला कर दिया था. बीएसएफ ने कहा कि उसने पिछले कुछ दिनों में बांग्लादेश में तस्करी के लिए ले जाई जाने वाली कई वस्तुओं को पकड़ा है. इसका बदला लेने के लिए तस्करों ने चौकी पर हमला करवाया.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 24 जून को नई दिल्ली में मणिपुर के हालात पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें राज्य की ओर से एकमात्र प्रतिनिधि पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह थे. उनका कहना है कि हिंसाग्रस्त राज्य में शांति लाने के बारे में अपना मत रखने के लिए उन्हें गृहमंत्री द्वारा पर्याप्त वक़्त नहीं दिया गया.
गौहाटी हाईकोर्ट ने असम कुश्ती संघ की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें मांग की गई है कि चुनाव प्रक्रिया तब तक रोक दी जानी चाहिए, जब तक कि उनकी संस्था को भारतीय कुश्ती महासंघ से मान्यता नहीं मिलती और वे मतदाता सूची के लिए अपने प्रतिनिधि को नामांकित नहीं कर देते.
भारतीय सेना ने प्रतिबंधित मेईतेई विद्रोही समूह कांगलेई यावोल कन्ना लुप के 12 कैडरों को शनिवार दोपहर मणिपुर के इंफाल पूर्वी ज़िले के एक गांव में पकड़ा था. इनमें स्वयंभू लेफ्टिनेंट कर्नल मोइरांगथेम तंबा उर्फ उत्तम भी शामिल था, जो 2015 में 6 डोगरा रेजिमेंट के क़ाफ़िले पर घात लगाकर किए गए हमले का मास्टरमाइंड था, जिसमें 18 जवानों की मौत हो गई थी,
भारतीय निर्वाचन आयोग ने असम में लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन का मसौदा प्रकाशित किया है, जिसमें राज्य में सीट संख्या तो समान रखी गई है, लेकिन कुछ निर्वाचन क्षेत्रों का नाम बदलने का प्रस्ताव है और कथित तौर पर मुस्लिम मतदाताओं की शक्ति को कम करने के लिए कई क्षेत्रों की सीमाओं को फिर से निर्धारित किया गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीते 22 जून को ह्वाइट हाउस पहुंचे थे. इस दौरान नॉर्थ अमेरिकन मणिपुर ट्राइबल एसोसिएशन के सदस्यों ने प्रदर्शन कर राज्य में चल रही जातीय हिंसा पर सरकार की कथित उदासीनता और उसके द्वारा मेईतेई समुदाय का कथित तौर पर समर्थन करने का मुद्दा उठाया.
मणिपुर में पचास दिनों से जारी हिंसा के बीच पांगेई गांव में मणिपुर पुलिस प्रशिक्षण कॉलेज के शस्त्रागार से हथियार और गोला-बारूद लूटने का मामला दर्ज किया था. हालांकि, इसकी पड़ताल के लिए पहुंची सीबीआई की टीम को ग्रामीणों ने परिसर में नहीं जाने दिया.
मणिपुर की स्थिति को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा 24 जून को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है. विपक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस बैठक से अनुपस्थिति इस विषय पर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की गंभीरता की कमी को दर्शाती है, जबकि मणिपुर में छह सप्ताह से अधिक समय से भड़की जातीय हिंसा जारी है.