बीएचयू मामले में अपराध शाखा ने पूर्व चीफ प्रॉक्टर सहित 20 सदस्यों को थमाया नोटिस, हो सकती है पूछताछ.
मुंबई में एल्फिंस्टन रोड और परेल उपनगरीय रेलवे स्टेशनों को जोड़ने वाले फुटओवर ब्रिज पर हुए हादसे में 20 से ज़्यादा लोग घायल.
क्या वाइस चांसलर, पुलिस प्रशासन और देश की सरकारें उन लड़कियों को देशद्रोही मानती हैं जो यह शिकायत करें कि उनके साथ छेड़खानी और अभद्र हरकतें हो रही हैं?
अरुण जेटली ने सिन्हा का नाम नहीं लिया, लेकिन कहा कि उनके पास पूर्व वित्त मंत्री होने का सौभाग्य नहीं है, न ही ऐसा पूर्व वित्त मंत्री होने का सौभाग्य है जो आज स्तंभकार बन चुका है.
हम भी भारत की दूसरी कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति पर भारतीय मज़दूर संघ के पवन कुमार और एटक की अमरजीत कौर के साथ चर्चा कर रही हैं.
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, हमें उम्मीद थी कि जब हमारी सरकार बनेगी तो अर्थव्यवस्था में सुधार की दिशा में आगे बढ़ेंगे लेकिन जिस गति से योजनाओं पर काम होना था वो नहीं हुआ.
जन गण मन की बात की 126वीं कड़ी में विनोद दुआ ईशा फाउंडेशन के जग्गी महाराज और न्यायाधीश जयंत पटेल के इस्तीफे पर चर्चा कर रहे हैं.
नवंबर 2013 में गोवा में आयोजित एक समारोह में तहलका पत्रिका के संपादक तरुण तेजपाल पर उसी पत्रिका में काम करने वाली एक महिला पत्रकार ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था.
भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाईवी रेड्डी ने कहाकि वर्ष 2008 का वित्त आर्थिक संकट अभी तक टला नहीं है.
कहा, यशवंत सिन्हा सच्चे अर्थों में राजनेता हैं, जिसने खुद को साबित किया है और जो देश के सबसे सफल वित्त मंत्रियों में से एक हैं.
मेरे एक दोस्त ने मुझे प्रार्थना करने को कहा. जब मैंने उसे नास्तिक होने की बात बताई तो उसने कहा, ‘अपने अंतिम दिनों में तुम विश्वास करने लगोगे.’ मैंने कहा, ‘नहीं, प्यारे दोस्त, ऐसा नहीं होगा. मैं इसे अपने लिए अपमानजनक तथा भ्रष्ट होने की बात समझता हूं. स्वार्थी कारणों से मैं प्रार्थना नहीं करूंगा.’
पंकज त्रिपाठी जब बिहार के छोटे से गांव से पटना पहुंचे तो उन्हें डॉक्टर बनना था, लेकिन वह छात्र राजनीति में कूद पड़े. राजनीति से रंगमंच के रास्ते उनका सफर मुंबई तक पहुंच गया है.
ईशा फाउंडेशन के जग्गी वासुदेव के योग आश्रम से अपनी ज़मीन वापस लेने के लिए कोयंबटूर की मुताम्मा लंबे समय से लड़ाई लड़ रही हैं.
डॉलर की भारी मांग के चलते रुपये को झटका, 14 मार्च के बाद रुपये में सबसे बड़ी गिरावट.
2019 के चुनावों से 18 महीने पहले, भारत की राजनीतिक अर्थव्यवस्था पूरी तरह से लड़खड़ाई हुई दिखाई दे रही है, लेकिन नरेंद्र मोदी द्वारा लगातार 2022 तक पूरे किए जाने वाले नामुमकिन वादों की झड़ी लगाने का सिलसिला जारी है.