जीएसटी के फायदे और नुकसान पर आर्थिक मामलों के जानकार और द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु से अमित सिंह की बातचीत.
मानसिक स्वास्थ्य विधेयक पर एम्स के मनोचिकित्सा विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. सुधीर खंडेलवाल से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर योगी आदित्यनाथ की नियुक्ति इस बात का स्पष्ट संकेत है कि भाजपा और इसके पालक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एजेंडा सिर्फ़ चुनावी जीत हासिल करने तक सीमित नहीं है. वे इससे बहुत आगे की सोच रहे हैं.
सरकारी विज्ञापन में हुआ केजरीवाल का प्रचार, उपराज्यपाल अनिल बैजल ने मुख्य सचिव को तीस दिन में पार्टी से पैसे वसूलने का आदेश दिया.
वित्त विधेयक 2017 पर आर्थिक मामलों के जानकार और द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु के साथ अमित सिंह की बातचीत.
'केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा और एमएलसी बृजेश सिंह दोनों मिलकर मेरी हत्या की साज़िश रच रहे हैं, जिनमें उनका साथ केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह दे रहे हैं.'
जन की बात की 25वीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ जन लोकपाल की नियुक्ति न हो पाने और मानसिक स्वास्थ्य विधेयक के पास होने पर चर्चा कर रहे हैं.
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर कहा, हाईकोर्ट के कार्यक्रम में योगी को न आमंत्रित करें.
लोकपाल बिल पारित होने के बाद भी लोकपाल की नियुक्ति में हो रही देरी से संबंधित एक याचिका की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने साफ कह दिया कि इस सत्र में नियुक्ति संभव नहीं है.
आधार कार्ड में बायोमेट्रिक डेटा के अचूक और सुरक्षित होने का दावा सच नहीं है.
जन की बात की 24वीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अवैध स्लॉटर हाउसों पर रोक और वित्त विधेयक पर चर्चा कर रहे हैं.
आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर सरकार की हड़बड़ी पर आईआईटी दिल्ली की प्रोफेसर अर्थशास्त्री रीतिका खेड़ा के साथ चर्चा कर रहे हैं द वायर के अमित सिंह.
योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने की बधाई के हकदार उनके ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज न करने वाले पुलिस अधिकारी, ख़बरों को दबाने वाले पत्रकार, मुलायम सिंह यादव, मायावती और अखिलेश यादव भी हैं. बिना इनके सहयोग के योगी आज माननीय मुख्यमंत्री न बन पाते.
उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार से किसानों की आत्महत्या के गंभीर मुद्दे से निपटने के लिए राज्यों द्वारा उठाए जाने वाले प्रस्तावित कदमों की जानकारी देने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है.
कार्यक्रम में कहा गया कि शैक्षिक संस्थानों में संस्कृति के नाम पर जो हो रहा है वह हमारी असल संस्कृति पर हमला है- चाहे वो कल्चरल इवनिंग जैसे कार्यक्रम हों या विरोध की संस्कृति से जुड़े आयोजन. इससे नौजवानों का दिमाग और शैक्षणिक संस्थानों का माहौल बुरी तरह प्रभावित हो रहा है.