मधु लिमये याद दिलाते हैं कि लोकतंत्र बिना बुद्धि के सशक्त नहीं हो सकता

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: अमृतकाल में बुद्धि अभद्र शब्द बन गया है. बुद्धिजीवियों का लगभग रोज़ अपमान किया जाता है. अपनी बुद्धिहीनता को नेता आभूषण की तरह पहनकर रौब जमाते हैं. राजनीति में बुद्धि नहीं तिकड़म और हिकमत से सब काम चल रहा है. मधु लिमये इसके बरक़स, एक बुद्धिशील राजनीतिज्ञ थे. 

किसी पुराने सिनेमाघर के बंद होने पर उसके साथ हज़ारों यादें भी दफ़्न हो जाती हैं

मुंबई के सबसे बड़े थिएटरों में से एक इरोज़ को मल्टीप्लेक्स और रिटेल आउटलेट में तब्दील किए जाने की सूचना है और इस बात से इसके चाहने वाले ख़ुश नहीं हैं.

भारतीय उपमहाद्वीप में हर दूसरे रोज़ आहत हो रही भावनाओं पर बात करने का हक़ किसे है?

पाकिस्तान से लेकर बांग्लादेश तक भारतीय उपमहाद्वीप में आए दिन किसी न किसी की आहत भावनाओं की बात होती रहती है और उसकी स्वाभाविक प्रतिकिया के तौर पर उत्पाती समूहों द्वारा इसका बदला लेने के लिए की गई हिंसा की ख़बर आती रहती है, लेकिन सवाल है कि आख़िर किसकी भावनाएं आहत होती हैं?

क्या दिल्ली विश्वविद्यालय, जेएनयू जैसे कैंपस हिंदुत्व के प्रशिक्षण केंद्र में शेष हो जाएंगे

कुछ वक़्त पहले तक कहा जा रहा था कि विश्वविद्यालयों को राष्ट्रवादी भावना का प्रसार करना है. उस दौर में परिसर में राष्ट्रध्वज लगाना और वीरता दीवार बनाना ज़रूरी था. अब राष्ट्रवाद का चोला उतार फेंका गया है और बिना संकोच के हिंदुत्व का प्रचार किया जा रहा है.

एआई-निर्मित तस्वीर के आधार पर भारतीय टीवी चैनलों ने पेंटागन के पास ‘विस्फोट’ की झूठी ख़बर चलाई

बीते 22 मई को एक तस्वीर के माध्यम से कई भारतीय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चैनलों ने अमेरिका में वाशिंगटन​ स्थित रक्षा विभाग का मुख्यालय पेंटागन के पास एक कथित विस्फोट की रिपोर्ट प्रसारित की थी. बाद में पता चला कि ये तस्वीर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से तैयार एक बनावटी छवि थी.

मणिपुर: स्वदेशी और धार्मिक पहचान का जटिल मिश्रण उत्तर-पूर्व में शांति को चुनौती दे रहा है

उत्तर-पूर्व में जातीय संघर्ष की लंबी सामाजिक और सांस्कृतिक जड़ें हैं. मणिपुर में जारी वर्तमान अराजकता जातीय राजनीतिक आकांक्षाओं से जुड़ी हुई है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उत्तर-पूर्व भारत में दशकों पुराने उग्रवादी अलगाववादी आंदोलनों के बीच जातीय विभाजन को मजबूत करने में धर्म ने एक बढ़ती हुई भूमिका निभानी शुरू कर दी है.

मोदी-शाह की जोड़ी ‘अजेय चुनावी मशीन’ है, यह मीडिया का फुलाया गुब्बारा है

पिछले वर्षों में मीडिया के ज़रिये जनता के दिमाग में यह बात घुसाने की कोशिश की गई कि मोदी-शाह की जोड़ी ऐसी अजेय चुनावी मशीन है, जिसे कोई पार्टी हरा नहीं सकती, लेकिन हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक की आम जनता ने साबित किया कि लोकतंत्र में एक व्यक्ति का चेहरा नहीं, बल्कि आम जनता का हित सबसे बड़ा है.

दो हज़ार रुपये के नोट और आंशिक नोटबंदी के पीछे का रहस्य

भारतीय रिज़र्व बैंक की तरफ से दो हज़ार रुपये मूल्यवर्ग के नोट को वापस लेने के निर्णय को सही ठहराने के लिए जो भी तर्क दिए गए हैं, उनमें से कोई भी मान्य नहीं है.

हरिशंकर तिवारी: ‘बाहुबली’ से ‘ब्राह्मण शिरोमणि’ तक का सफ़र

उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल के बाहुबली नेता पंडित हरिशंकर तिवारी का बीते 16 मई को निधन हो गया. अस्थिर सरकारों के दौर में तिवारी 1996 से 2007 तक लगातार कैबिनेट मंत्री रहे थे.

कर्नाटक: महिलाओं ने चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया, फिर भी राजनीति में जगह बनाना दूर का सपना है

कर्नाटक विधानसभा चुनावों के 1978 से अब तक के पिछले 45 वर्षों के आंकड़े दिखाते हैं कि महिलाओं की भागीदारी में मामूली वृद्धि हुई है और कुछ जीती भी हैं, लेकिन वृद्धि दर बहुत धीमी है. इस बार के चुनावों में 10 महिलाओं ने जीत दर्ज की है. इनमें से तीन भाजपा से, चार कांग्रेस से, दो जेडी (एस) से और एक निर्दलीय प्रत्याशी हैं.

शीतला सिंह: ‘मुझे इस बात का संतोष है कि सारी उम्र जनाधिकारों की चौकसी करता रहा’

स्मृति शेष: वरिष्ठ पत्रकार शीतला सिंह नहीं रहे. पत्रकारिता में सात दशकों की सक्रियता में उन्होंने देश-विदेश में अजातशत्रु की-सी छवि व शोहरत पाई और अपनी पत्रकारिता को इतना वस्तुनिष्ठ रखा कि उनके दिए तथ्यों की पवित्रता पर उनके विरोधी मत वाले भी संदेह नहीं जताते थे.

बात-बात में पाकिस्तान का हाथ देखने वालों की प्रदीप कुरुलकर की गिरफ़्तारी पर चुप्पी हैरतअंगेज़ है

भारत के रक्षा मंत्रालय के अनुसंधान विभाग अर्थात डीआरडीओ के निदेशक स्तर के वैज्ञानिक प्रोफेसर प्रदीप कुरुलकर की पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में हुई गिरफ़्तारी को लेकर हिंदुत्ववादी संगठनों को क्यों सांप सूंघ गया है?

कर्नाटक चुनाव: भाजपा के हिंदुत्व की गुदगुदी अब हंसाने के बजाय रुलाने लगी है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह कर्नाटक विधानसभा चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़कर समूचे प्रचार में अपने पद की गरिमा तक से समझौता किए रखा और मतदाताओं ने जिस तरह उनकी बातों की अनसुनी की, उसका साफ़ संदेश है कि भाजपा के ‘मोदी नाम केवलम्’ वाले सुनहरे दिन बीत गए हैं.

हसरत मोहानी: दरवेशी ओ इंक़िलाब है मसलक मेरा

पुण्यतिथि विशेष: ‘मुकम्मल आज़ादी’ और ‘इंक़लाब जिंदाबाद’ का नारा बुलंद करने वाले हसरत मोहानी के बारे में डाॅ. आंबेडकर कहते थे कि वही एकमात्र ऐसे नेता हैं जो समानता का ढोंग करने के बजाय अपने हर आचरण में उसे बरतते हैं.

अवध के पूर्वी द्वार की ‘कभी ज़मीं, कभी आसमां नहीं मिलता’ वाली नियति कब बदलेगी?

अवध की बलरामपुर रियासत गंगा-जमुनी तहज़ीब का पूर्वी द्वार कही जाती थी. 1997 में कुछ क्षेत्रों को मिलाकर इसे ज़िला बनाया गया तो रहवासियों ने विकास के सपने देखे. पर अब हाल यह है कि 2021 में नीति आयोग द्वारा जारी राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक में यह देश का सबसे बुरा प्रदर्शन करने वाला चौथा ज़िला रहा.

1 22 23 24 25 26 489