आप राष्ट्रवाद में धर्म को क्यों लाते हैं फिर उन लोगों का क्या जो हिंदू नहीं हैं: प्रकाश राज

अभिनेता प्रकाश राज ने भाजपा नेता अनंत कुमार हेगड़े को आड़े हाथों लेते हुए उनकी राजनीति पर सवाल उठाए.

अफ़राज़ुल की हत्या हमारे सामाजिक पतन की दास्तान है

सिर्फ ये कहना कि ये किसी पार्टी विशेष की सरकार के कारण हुआ, समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों से बचना है. सरकार की ज़िम्मेदारी है पर यह समझना भी ज़रूरी है कि हम ख़ुद अपने घरों में क्या बात कर रहे हैं.

‘ये विद्रोही भी क्या तगड़ा कवि था!’

पुण्यतिथि विशेष: विद्रोही अभी ज़िंदा हैं. सारे बड़े-बड़े लोग पहले मर लेंगे, सारे तानाशाह और ज़ुल्मी मर जाएंगे, उसके बाद विद्रोही मरेंगे आराम से, वसंत ऋतु में.

राजस्थान में लव जिहाद के नाम पर मुस्लिम श्रमिक को ज़िंदा जलाने वाला आरोपी गिरफ्तार

राजस्थान के राजसमंद ज़िले में पश्चिम बंगाल निवासी इफराज़ुल की हत्या कर उन्हें ज़िंदा जलाने और उनका वीडियो वायरल करने के आरोप में शंभू लाल रैगर को गिरफ्तार कर लिया गया है.

वायु प्रदूषण से 1.22 करोड़ बच्चों के मानसिक विकास पर असर पड़ सकता है: रिपोर्ट

भारत में यूनिसेफ की संचार प्रमुख एलेक्जैंड्रा वेस्टरबीक ने कहा, वायु प्रदूषण के संकट से लाखों भारतीय बच्चे प्रभावित हो रहे हैं.

संप्रदायवादियों की दिलचस्पी धर्म में नहीं, उसके राजनीतिक इस्तेमाल में है: बिपन चंद्र

अयोध्या मंदिर-मस्जिद विवाद वास्तविक मुद्दा नहीं हैं, क्योंकि जनता इस मुद्दे को लेकर शांतिपूर्ण रह रही है. वास्तविक मुद्दा सांप्रदायिकता का विकास और सांप्रदायिक संगठनों द्वारा सांप्रदायिक तनाव को हवा देना है.

अयोध्या एक शहर का नाम है जिसमें इंसान रहते हैं

यह वह अयोध्या नहीं है जिसको सार्वजनिक कल्पना में विहिप और भाजपा या दिल्ली के तथाकथित लिबरल्स व मार्क्सवादी बुद्धिजीवियों ने स्थापित किया है. यह एक सामान्य शहर है.

छह दिसंबर हिंदुओं के लिए पश्चाताप, क्षमायाचना और आत्मचिंतन का दिन होना चाहिए

26 साल पहले आज ही के दिन स्वयं को रामभक्तों की सेना कहने वालों ने एक ऐसा जघन्य कृत्य किया था जिसके कारण पूरी दुनिया के सामने हिंदू धर्म का सिर हमेशा के लिए कुछ नीचे हो गया.

पद्मावती के नाम पर तलवारें भांजने वाले सूरमा आत्मदाह करने वाली महिला की मौत पर चुप क्यों हैं?

फिल्म पद्मावती पर भावनाएं आहत हो जाती हैं लेकिन आत्मदाह से एक महिला की मौत पर वही भावनाएं मुर्दा सन्नाटे से भर जाती हैं.

‘नाना-परनाना की बजाय ये क्यों नहीं बताते कितने घर, रोज़गार, स्कूल-अस्पताल दिए?’

सोशल मीडिया: गुजरात चुनाव प्रचार में विकास की जगह राहुल के परनाना ने ले ली तो फेसबुक और ​ट्विटर पर लोगों ने प्रधानमंत्री की भाषा और ग़लतबयानियों पर जमकर चुटकी ली.

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