इस संबंध में केरल यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार राजेंद्र पिलंकट्टा ने दो सितंबर को सर्कुलर जारी किया. यह क़दम राजनीतिक विज्ञान के सहायक प्रोफेसर गिल्बर्ट सेबेस्टियन के निलंबन के बाद आया है. गिल्बर्ट ने दक्षिणपंथी संगठन आरएसएस और नरेंद्र मोदी सरकार के तहत संगठनों को फासीवाद की ओर अग्रसर बताया था.
देश के 15 राज्यों में लगभग 1400 बच्चों के बीच कराए गए एक सर्वे से पता चला है कि ग्रामीण क्षेत्रों के 37 फ़ीसदी बच्चे बिल्कुल भी नहीं पढ़ पा रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि वे न केवल पढ़ने के अधिकार बल्कि स्कूल जाने से मिलने वाले दूसरे फ़ायदों जैसे कि सुरक्षित माहौल, बढ़िया पोषण और स्वस्थ सामाजिक जीवन से भी वंचित हो गए.
दिल्ली विश्वविद्यालय शैक्षणिक परिषद ने पिछले महीने बीए के अंग्रेज़ी ऑनर्स पाठ्यक्रम में बदलावों को मंज़ूरी देते हुए महाश्वेता देवी की लघुकथा ‘द्रौपदी’ सहित दो दलित महिला लेखकों बामा और सुकीरथरिणी की कृतियों को हटा दिया था. इन्हें पाठ्यक्रम में वापस शामिल करने की मांग के साथ 1,150 से अधिक शिक्षाविदों, लेखकों और संगठनों ने संयुक्त बयान जारी किया है.
वीडियो: प्रधानमंत्री विशेष छात्रवृत्ति योजना के तहत दी जाने वाली स्कॉलरशिप जम्मू कश्मीर और लद्दाख के कई विद्यार्थियों तक पूरी नहीं पहुंच रही है. कोरोना महामारी के बाद इस स्कॉलरशिप के न मिलने की वजह से छात्र पढ़ाई छूट जाने के डर के साथ जी रहे हैं. द वायर ने इस मुद्दे पर छात्रों और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के सहायक निदेशक राकेश कुमार से बात की.
मध्य प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सत्तारूढ़ भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह जनसंघ व आरएसएस के संस्थापकों के सिद्धांतों एवं जीवन दर्शन के बारे में एमबीबीएस छात्रों को पढ़ा कर अपनी विचारधारा को लोगों पर थोपना चाहती है, जबकि भाजपा ने कांग्रेस पर इतिहास को मिटाने और दबाने का काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि देश और समाज के लिए जो आदर्श हैं, उनके बारे में सभी को जानने की ज़रूरत है.
केंद्र सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश में नियुक्त किए गए 21,000 से अधिक मदरसा शिक्षकों को चार साल से अधिक समय से वेतन नहीं मिला है. ग्रेजुएट शिक्षकों को प्रति महीने 6,000 रुपये और पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षकों को प्रति माह 12,000 रुपये का मानदेय दिया जाता है.
मिज़ोरम सरकार ने 31 अगस्त के अपने पत्र में राज्य के शिक्षा अधिकारियों को म्यांमार शरणार्थियों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में प्रवेश देने का निर्देश दिया है. इस साल फरवरी में म्यांमार में सैन्य तख़्तापलट के बाद इन्हें भागने को मजबूर होना पड़ा था. सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, मिज़ोरम आए इन शरणार्थियों की संख्या 9,450 है.
बीते 17 अगस्त को जेएनयू की अकादमिक परिषद द्वारा तीन नए पाठ्यक्रमों को मंज़ूरी दी गई, जिसमें एक आतंकवाद रोधी पाठ्यक्रम है. जेएनयू के शिक्षकों और छात्रों के एक वर्ग ने पाठ्यक्रम शुरू करने पर आपत्ति जताते हुए आरोप लगाया है कि इसमें बताया गया है कि ‘जिहादी आतंकवाद’, ‘कट्टरपंथी-धार्मिक आतंकवाद’ का एकमात्र रूप है.
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने बीते 23 अगस्त को साथी छात्रा से बलात्कार के आरोपी आईआईटी-गुवाहाटी के एक छात्र को ‘राज्य की भावी संपत्ति’ बताते हुए ज़मानत दी थी. आरोप है कि छात्र ने 28 मार्च की रात को अपनी एक साथी छात्रा से बलात्कार किया था. पुलिस ने आरोपी को तीन अप्रैल को गिरफ़्तार किया था.
विश्वविद्यालय परिसर को ऐसा होना ही चाहिए जहां भय न हो, आत्मविश्वास हो, ज्ञान की मुक्ति हो और जहां विवेक की धारा कभी सूखने न पाए. तमाम सीमाओं के बावजूद भारतीय विश्वविद्यालय कुछ हद तक ऐसा माहौल बनाने में सफल हुए थे. पर पिछले पांच-सात वर्षों से कभी सुधार, तो कभी ‘देशभक्ति’ के नाम पर ‘विश्वविद्यालय के विचार’ का हनन लगातार जारी है.
दिल्ली यूनिवर्सिटी शैक्षणिक परिषद ने मंगलवार को 12 घंटे चली बैठक में सदस्यों की असहमति को ख़ारिज करते हुए 2022-23 सत्र से राष्ट्रीय शिक्षा नीति और चार साल के स्नातक के क्रियान्वयन को मंज़ूरी दे दी. शैक्षणिक परिषद के सदस्य ने बताया कि दो दलित लेखकों बामा और सुकीरथरिणी को भी सिलेबस से हटाया गया है.
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी परिसर का मामला. छात्रा का आरोप है कि वे 16 अगस्त की शाम को अपने एक दोस्त के साथ यूनिवर्सिटी के गेस्ट हाउस के चौराहे के पास खाना खा रही थी कि तभी नशे में धुत्त तीन लोगों ने उनके साथ छेड़छाड़ और मारपीट की. छात्रा का कहना है कि आरोपियों ने उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी.
सरकार को सवाल पूछने, अधिकारों की बात करने और उसके लिए संघर्ष करने वाले हर इंसान से डर लगता है. इसलिए वो मौक़ा देखते ही हमें फ़र्ज़ी आरोपों में फंसाकर जेलों में डाल देती है.
पुस्तक समीक्षा: जेएनयू स्टोरीज़- द फर्स्ट फिफ्टी ईयर्स इस संस्थान से ताल्लुक़ रखने वाले कई लेखकों के लघु निबंधों का संग्रह है, जिसे पढ़ने पर साफ पता चलेगा कि विश्वविद्यालय भी सांस लेते जीवंत संस्थान हैं और उनका भी गला घोंटा जा सकता है.
वीडियो: पूर्वांचल का एकमात्र बनारस स्थित हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय एक साल पहले नौवीं कक्षा से ऊपर के लिए बंद कर दिया गया था. अब छात्र क्रमबद्ध विरोध प्रदर्शनों के माध्यम से यह मुद्दा उठा रहे हैं. इसे सरकार और ट्रस्ट मिलकर चलाते हैं. पिछले साल ही ट्रस्ट के सदस्यों ने इसे बंद करने की बात कही थी. मात्र 250 छात्र वाले इस संस्थान को चलाने में जो ट्रस्टी सहयोग करते हैं, उनका कहना है सरकार अब इतनी मदद