मणिपुर में रहने वाले एक पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल ने ट्वीट किया था कि राज्य 'स्टेटलेस' स्थिति में हैं, जहां कोई भी कभी भी किसी की ज़िंदगी और संपत्ति को नुकसान पहुंचा सकता है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व सेना प्रमुख (रिटायर्ड) जनरल वेद प्रकाश मलिक ने कहा कि वहां क़ानून-व्यवस्था पर तत्काल ध्यान दिया जाना चाहिए.
पुलिस और सेना के सूत्रों ने बताया है कि शुक्रवार को मणिपुर के बिष्णुपुर ज़िले के क्वाकटा और चूड़ाचांदपुर ज़िले के कांगवई से स्वचालित हथियारों से गोलीबारी की गई. उधर, असम राइफल्स को हालिया हिंसा का ज़िम्मेदार बताने वाला लेख लिखने के लिए मेईतेई संगठन के एक नेता पर राजद्रोह का केस दर्ज किया गया है.
मणिपुर में पिछले लगभग डेढ़ महीने से जारी जातीय हिंसा के बीच इंटरनेट पर प्रतिबंध 20 जून तक बढ़ा दिया गया है. अपना घर जलाए जाने पर केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री राजकुमार रंजन सिंह ने कहा कि राज्य में क़ानून व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह से विफल हो चुकी है. इस बीच कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हिंसा को लेकर चुप्पी तोड़ने की अपील की है.
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, राज्य में बाढ़ की स्थिति गुरुवार को बिगड़ गई है. लगातार बारिश के कारण राज्य के तीन ज़िले धेमाजी, डिब्रूगढ़ और लखीमपुर बाढ़ की चपेट में हैं. वहीं, भारी बारिश के कारण मिज़ोरम को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-6 पर भूस्खलन हुआ है.
एक विद्रोही कुकी संगठन के अध्यक्ष द्वारा 2019 में गृह मंत्री अमित शाह को लिखे गए पत्र में दावा किया गया था कि 2017 में भाजपा नेता हिमंता बिस्वा शर्मा और राम माधव ने मणिपुर विधानसभा चुनाव जीतने के लिए उनसे मदद ली थी. कांग्रेस ने पत्र का हवाला देते हुए शर्मा और माधव के ख़िलाफ़ एनआईए जांच की मांग की है.
ये विवादास्पद ग़ैर न्यायिक हत्याएं 1998 और 2001 के बीच असम में तब हुई थीं, जब प्रफुल्ल कुमार महंत राज्य के मुख्यमंत्री थे और गृह विभाग भी संभाल रहे थे. इन हत्याओं को गुप्त हत्या के नाम से जाना जाता है. इनमें प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन उल्फा से जुड़े लोगों के रिश्तेदारों सहित क़रीबी सहयोगियों को गोली मार दी जाती थी.
मणिपुर की एकमात्र महिला मंत्री नेमचा किपगेन के इंफाल पश्चिम ज़िले के लाम्फेल इलाके में स्थित आधिकारिक आवास को बुधवार शाम को जला दिया गया. घटना के समय वह घर पर नहीं थीं. भाजपा से संबद्ध किपगेन उन 10 कुकी विधायकों में से एक हैं, जिन्होंने हिंसा शुरू होने के बाद अलग प्रशासन की मांग उठाई है.
मणिपुर के एक जनजातीय समूह इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने राज्यपाल अनुसुइया उइके को पत्र लिखकर कहा है कि राज्य में जारी हिंसा का एकमात्र समाधान मेईतेई और कुकी-जो समुदायों को पूरी तरह से अलग करना है क्योंकि दोनों समुदायों के बीच 'जातीय मतभेद और अविश्वास' समझौते से परे जा चुका है.
बीते क़रीब डेढ़ महीने से मणिपुर में जातीय संघर्ष जारी है. पुलिस के अनुसार, मंगलवार को कांगपोकपी ज़िले के ऐगिजंग गांव में देर रात हुई फायरिंग में नौ लोगों की मौत हुई है. ये सभी मेईतेई समुदाय से हैं.
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट बताती है कि एक विद्रोही कुकी संगठन के अध्यक्ष द्वारा 2019 में गृह मंत्री अमित शाह को लिखे गए पत्र में दावा किया गया था कि 2017 में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा और भाजपा नेता राम माधव ने मणिपुर विधानसभा चुनाव जीतने के लिए उनसे मदद ली थी.
कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि पार्टी मांग करती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए और प्रशासन में विश्वास बहाल करने तथा राज्य में सामान्य स्थिति लाने के लिए सभी प्रयास करने के लिए जल्द से जल्द मणिपुर का दौरा करना चाहिए.
पुलिस ने बताया कि मणिपुर के चुराचांदपुर ज़िले के लैलोईफाई इलाके में बीते सोमवार को हुई गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हुई है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य के विभिन्न जातीय समूहों के बीच शांति स्थापित करने के लिए शांति समिति का गठन किया है. हालांकि मुख्यमंत्री के इसमें शामिल किए जाने का विरोध हो रहा है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मणिपुर में विभिन्न जातीय समूहों के बीच शांति स्थापित करने के लिए एक समिति का गठन किया था. राज्यपाल अनुसुइया उइके इसकी अध्यक्षता करेंगी, जिसमें मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह भी शामिल हैं. कुकी नेताओं ने कहा कि वे इसका बहिष्कार करेंगे, क्योंकि इसमें मुख्यमंत्री और उनके समर्थक शामिल हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित करते हुए कहा कि 3 मई को मणिपुर में हिंसा भड़कने के बाद आपको केंद्रीय गृह मंत्री को वहां भेजने में लगभग एक महीना लग गया. गृह मंत्री के वहां से लौटने के 8 दिन बाद भी हिंसा जारी है. बतौर प्रधानमंत्री आप कम से कम शांति की अपील कर सकते थे.
मणिपुर में बीते महीने शुरू हुई हिंसा के दौरान थानों और सरकारी शस्त्रागारों से बड़ी संख्या में हथियार और गोला-बारूद लूटे जाने की घटनाएं देखी गई थीं. अब भाजपा विधायक एल. सुसिंद्रो ने इंफाल में अपने घर के बाहर एक 'ड्रॉप बॉक्स' रखते हुए नागरिकों से इन हथियारों को लौटाने की अपील की है.