बीएसएफ की गोली से श्रीनगर में शनिवार को एक युवक सज्जाद हसन की मौत को लेकर घाटी में तनाव.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 'आधिकारिक भाषाओं पर बनी संसदीय समिति' की छह साल पहले की गई सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है.
शरई कारणों के बिना तीन तलाक़ देने वाले पुरुषों का सामाजिक बहिष्कार करने के पर्सनल लॉ बोर्ड के बयान पर गीतकार और पूर्व सांसद ने सवाल उठाए.
राजस्थान के नीम का थाना क्षेत्र में पांच अप्रैल की घटना, प्रशासन पर सवर्ण आरोपियों को बचाने का आरोप.
उत्तर प्रदेश समेत अलग-अलग राज्यों में अवैध बूचड़खानों के ख़िलाफ़ मुहिम शुरू किए जाने के बीच आरटीआई से पता चला है कि देश में केवल 1,707 बूचड़खाने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत पंजीकृत हैं.
राष्ट्रीय सामाजिक एवं शैक्षणिक पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन से क्या होगा यह सिर्फ मोदी जानते हैं. लेकिन यह तय है कि जाति विषमता पर कुछ करना है तो सिर्फ नाम बदलने से काम नहीं चलेगा.
भारतीय सेना पर एफआईआर की जानकारी जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अपने फेसबुक वाल पर दी है.
पूरे उत्तर प्रदेश में तथाकथित ‘अवैध बूचड़खाने’ वास्तव में सार्वजनिक म्युनिसिपल बूचड़चाने हैं, जो भीषण उपेक्षा के कारण बदहाली का शिकार हैं.
‘राष्ट्रवादी पाकिस्तानी वकीलों’ को लगता है कि यही वह अवसर है जब वे अपने देश से अपने वास्तविक प्रेम का इज़हार कर दें और कुलभूषण जाधव का मुक़दमा कोई वकील न लड़ पाए. दक्षिण एशिया में ऐसी न्यायिक देशभक्ति नई नहीं है.
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर से पुलिस ने आईएसआई के दो कथित एजेंटों को गिरफ्तार करने का दावा किया है.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि बिना शरई कारणों के तीन तलाक देने वाले मर्दों का सामाजिक बहिष्कार किया जाना चाहिए.
मुस्लिमों को यह कहना होगा कि वे यहां हैं और यहीं रहेंगे. उन्हें यह कहना होगा कि किसी को भी उन्हें इस देश को छोड़ कर जाने के लिए कहने का हक़ नहीं है. उन्हें यह कहना होगा कि वे यहां अपने मुस्लिमपन के साथ वैसे ही रहेंगे जैसे हिंदू अपने हिंदूपन के साथ रहते हैं.
सोशल मीडिया पर वायरल हुए कश्मीर के वीडियो में दिख रहे फ़ारूक़ अहमद डार ने बताया कि उन्हें बंदूक के बट से पीटा गया और सेना द्वारा 5 घंटे तक जीप पर बांधकर घुमाया गया.
श्रीनगर लोकसभा उपचुनाव में मात्र 6.5 फ़ीसदी वोट पड़े. तीन साल पहले तक चुनावों में हुर्रियत के बहिष्कार की अपील को ठुकरा कर बड़ी संख्या में मतदान करने वाले लोग आज जनाज़ों के पीछे भारत-विरोधी नारों के साथ क्यों हैं?
फ़ारूक़ ने कहा, घाटी के खराब हालातों के बावजूद लोग बाहर आए और वोट किया जो ये साबित करता है कि उनका नेशनल कांफ्रेस पर भरोसा है.