शंभू बॉर्डर पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान मज़दूर मोर्चा ने कहा है कि अगर केंद्र सरकार किसानों के विरोध का समाधान करना चाहती है तो उसे तुरंत एक अध्यादेश जारी करना चाहिए, चर्चा इसके बाद भी की जा सकती है. इस बीच, केंद्र ने पंजाब के 20 थाना क्षेत्रों में इंटरनेट पर प्रतिबंध 24 फरवरी तक बढ़ा दिया है.
विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के लिए सरकार के 24,000 करोड़ रुपये के ‘पीएम-जनमन’ पैकेज के कार्यान्वयन के लिए जनसंख्या की जानकारी महत्वपूर्ण है. हालांकि सरकार पिछले तीन महीनों में कुल पीवीटीजी आबादी के लिए तीन भिन्न अनुमानों पर पहुंची है. अधिकारियों का कहना है कि ये आंकड़े अंतिम नहीं हैं.
इस डॉक्यूमेंट्री-सीरीज़ का का नाम ‘द इंद्राणी मुखर्जी स्टोरी: द बरीड ट्रुथ’ है. यह 25 वर्षीय शीना बोरा के लापता होने की कहानी बताती है और इसका प्रीमियर 23 फरवरी को स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर होने वाला है. 2012 में इंद्राणी, उनके तत्कालीन ड्राइवर श्यामवर राय और पूर्व पति संजीव खन्ना ने एक कार में शीना की कथित तौर पर गला घोंटकर हत्या कर दी थी.
यह 1965 से भारतीय साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रतिवर्ष दिए जाने वाले ज्ञानपीठ पुरस्कार का 58वां संस्करण है. यह भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रदान किया जाता है, जिसकी स्थापना 1944 में हुई थी. यह पुरस्कार दूसरी बार संस्कृत के लिए और पांचवीं बार उर्दू के लिए दिया जा रहा है.
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के एक वर्किंग पेपर में कहा गया है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की शुरुआत और विस्तार से न्यूनतम वेतन नियमों के अनुपालन की दर में वृद्धि हुई, औपचारिक वेतनभोगी श्रमिकों और आकस्मिक श्रमिकों के बीच ग्रामीण मजदूरी में अंतर कम हो गया और ग्रामीण क्षेत्रों में लैंगिक वेतन अंतर में भी गिरावट आई.
मुंबई के मीरा रोड स्थित नयानगर इलाके में 21 जनवरी की रात सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी, जिसके बाद भाजपा विधायक नितेश राणे ने 23 जनवरी को क्षेत्र का दौरा किया. दौरे के बाद उन्होंने पुलिस कमिश्नर कार्यालय में बैठकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने मुस्लिम समुदाय को खुली धमकी दी. कुछ ही घंटों बाद ही इलाके में दूसरे दौर की हिंसा भड़क उठी थी.
बीते जनवरी में जारी एक परिपत्र में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने अपने सभी 26 क्षेत्रीय कार्यालयों को पत्र लिखकर प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत खाद्यान्न वितरित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सांकेतिक लोगो के साथ बुने हुए लैमिनेटेड बैग की ख़रीद के लिए टेंडर जारी करने को कहा है.
महाराष्ट्र स्कूल शिक्षा विभाग ने एक गजट अधिसूचना में कहा है कि ऐसे निजी स्कूल जो सरकारी या सहायता प्राप्त स्कूल के एक किलोमीटर के दायरे में आते हैं, वे वंचित समूह और कमज़ोर वर्ग के छात्रों को शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कोटे के तहत एडमिशन देने के लिए बाध्य नहीं होंगे. कुछ लोगों ने नियमों में इस बदलाव के लिए राज्य सरकार पर सवाल उठाए हैं.
पंजाब के गुरदासपुर ज़िले के रहने वाले मृतक ज्ञान सिंह दो दिन पहले किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च में भाग लेने के लिए शंभू सीमा पर आए थे. इस मार्च का उद्देश्य फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की क़ानूनी गारंटी सहित उनकी मांगों को स्वीकार करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव डालना है.
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सुप्रीम कोर्ट में पेश किए आंकड़ों के अनुसार, कुल अज्ञात आय - यानी 20,000 रुपये से कम की दान राशि, कूपन की बिक्री आदि - में कमी नहीं देखी गई है. 2014-2015 से 2016-2017 के दौरान यह 2,550 करोड़ रुपये थी, जो 2018-19 से 2021-2022 के दौरान बढ़कर 8,489 करोड़ रुपये हो गई.
किसानों के वर्तमान प्रदर्शन को देखते हुए केंद्र सरकार ने पटियाला, एसएएस नगर, बठिंडा, श्री मुक्तसर साहिब, मनसा, संगरूर और फतेहगढ़ साहिब में 20 थाना क्षेत्रों में इंटरनेट निलंबित कर दिया है. किसानों का समर्थन करने वाले सोशल साइट एक्स और फेसबुक पर एक दर्जन से अधिक एकाउंट सरकार के अनुरोध पर बंद कर दिए गए हैं.
नरेंद्र मोदी सरकार से फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर क़ानूनी गारंटी और ऋण माफ़ी सहित अन्य मांगों की अपील के साथ सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारी किसान पंजाब और हरियाणा के बीच अंबाला के पास शंभू सीमा पर एकत्र हुए हैं. साल 2020 के आंदोलन को दोहराते हुए उन्होंने बीते 13 फरवरी को ‘दिल्ली चलो मार्च’ का आह्वान किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताने वाले अपने फैसले में और भी कई महत्वपूर्ण टिप्पणी कीं, जिनमें से एक में कहा गया कि राजनीतिक फंडिंग के बारे में जानकारी एक मतदाता को यह आकलन करने में सक्षम बनाएगी कि क्या नीति निर्धारण और वित्तीय योगदान के बीच कोई संबंध है.
पंजाब-हरियाणा सीमा स्थित शंभू बैरियर का दृश्य 2020 में दिल्ली की सीमाओं पर हुए किसान आंदोलन की सटीक पुनरावृत्ति है. किसानों ने कहा कि पिछले आंदोलन के समय हमें एमएसपी पर क़ानून बनाने का आश्वासन दिया था, तो केंद्र सरकार क़रीब तीन साल तक क्यों बैठी रही. मोदी सरकार निश्चित रूप से अपने अहंकार के चरम पर है.