जब से पंजाब पुलिस ने अमृतपाल सिंह की तलाश शुरू की है तमाम पत्रकारों और समाचार पोर्टलों के सोशल मीडिया एकाउंट को निलंबित कर दिया गया है. इस बात की जानकारी नहीं है कि ऐसे कितने एकाउंट पर रोक लगाई गई है. निलंबित किए गए एकाउंट में वकील और अधिकार कार्यकर्ता भी शामिल हैं.
वीडियो: क़रीब तीन महीने पहले तक ज़ी न्यूज़ में बतौर असिस्टेंट न्यूज़ एडिटर काम करने वाले ददन विश्वकर्मा ने नोएडा फिल्मसिटी में कई मीडिया संस्थानों के दफ्तरों के बीच स्टॉल लगाकर पोहा बेचने का काम शुरू किया है और इसे ‘पत्रकार पोहा वाला’ नाम दिया है. उनका कहना है कि काफ़ी समय तक जब किसी ने नौकरी नहीं दी, तब आख़िर में ख़ुद का काम शुरू करने की सोची. उनकी कहानी.
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि प्रेस राज्य की अवधारणा में चौथा स्तंभ है. एक स्वस्थ लोकतंत्र को पत्रकारिता को एक ऐसी संस्था के रूप में प्रोत्साहित करना चाहिए, जो सत्ता से कठिन सवाल पूछ सके. जब प्रेस को ऐसा करने से रोका जाता है तो किसी भी लोकतंत्र की जीवंतता से समझौता किया जाता है.
असम विधानसभा में बीबीसी के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित करते हुए इसकी हालिया डॉक्यूमेंट्री के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की गई. मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मीडिया द्वारा प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना का कभी विरोध नहीं किया लेकिन बीबीसी डॉक्यूमेंट्री देश की न्यायपालिका पर हमला है.
11 मार्च को यूपी की माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी से संभल में हुए एक समारोह में स्थानीय पत्रकार संजय राणा ने उनसे गांव में हुए विकास कार्यों को लेकर सवाल किए थे. इसके बाद राणा को भाजयुमो नेता की शिकायत पर गिरफ़्तार कर लिया गया था.
इसी मामले में जेल में बंद कश्मीरी मानवाधिकार कार्यकर्ता ख़ुर्रम परवेज़ भी आरोपी हैं. 2020 में दर्ज राष्ट्रीय जांच एजेंसी की एफ़आईआर में कश्मीर स्थित कुछ एनजीओ पर भारत विरोधी गतिविधियों को प्रायोजित करने के आरोप लगाए गए हैं.
हरियाणा के रतिया से भाजपा विधायक लक्ष्मण नापा के बेटे सुमित कुमार ने पत्रकार जसपाल सिंह के ख़िलाफ़ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि उन्होंने जुए के एक मामले में उनके पिता के नाम का कथित उल्लेख करते हुए वॉट्सऐप ग्रुप में और फेसबुक पर ख़बर पोस्ट की थी.
भारत के कुछ मीडिया संस्थानों ने बीते दिनों नोबेल पुरस्कार समिति के डिप्टी लीडर एसले टोजे के हवाले से ट्वीट किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नोबेल शांति पुरस्कार के शीर्ष दावेदार हैं. हालांकि टोजे ने ऐसी कोई बात नहीं की थी, फिर भी मीडिया संस्थानों ने ग़लत तरीके से उन्हें कोट किया. बाद में ज़्यादातर ने अपना ट्वीट डिलीट कर लिया.
विशेष रिपोर्ट: बीते दिनों तमिलनाडु में बिहार के श्रमिकों पर कथित हमले की अफ़वाह फैलाने के पीछे ख़ुद को पत्रकार बताने वाले यूट्यूबर मनीष कश्यप का नाम आया है. पड़ताल बताती है कि इस मामले में कई एफआईआर में नामजद मनीष इससे पहले भी कई मामलों में आरोपी हैं और उन्हें भाजपा, संघ नेताओं का समर्थन मिलता रहा है.
नेशनल अलायंस ऑफ जर्नलिस्ट्स और दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स की ओर से कहा गया है कि आरएसएस समर्थित हिंदुस्तान समाचार को आकाशवाणी और दूरदर्शन को समाचारों की आपूर्ति के लिए अनुबंधित किया गया है. यह क़दम सत्ता पक्ष के हिसाब से भारत में ख़बरों का भगवाकरण करेगा और स्वतंत्र पत्रकारिता को ख़त्म कर देगा.
द कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन द्वारा कश्मीर में पत्रकारों की स्थिति पर न्यूयॉर्क टाइम्स में लिखे आलेख को केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने 'शातिर और काल्पनिक बताते हुए दुष्प्रचार' क़रार दिया था. भसीन ने कहा कि मंत्री की प्रतिक्रिया उनकी कही बातों को सही साबित करती है.
घटना संभल के बुद्धनगर खंडवा गांव की है, जहां 11 मार्च को माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी एक शिलान्यास समारोह में पहुंची थीं. यहां एक स्थानीय पत्रकार संजय राणा ने उनसे गांव में हुए विकास कार्यों को लेकर सवाल किए. इसके बाद राणा को एक भाजयुमो नेता की शिकायत पर गिरफ़्तार कर लिया गया.
गुजरात विधानसभा में प्रस्ताव पेश करने के दौरान भाजपा विधायक विपुल पटेल ने कहा कि बीबीसी की ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ शीर्षक वाली विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री विश्व स्तर पर भारत की छवि को ख़राब करने के दुर्भावनापूर्ण प्रयास के तहत 2002 की घटनाओं को ग़लत तरीके से प्रस्तुत करती है.
फैक्ट-चेक करने वाली वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर को धमकियां मिलने का सिलसिला तब से शुरू हुआ, जब उनके संस्थान ने तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मज़दूरों पर हो रहे हमलों संबंधी कथित दावों का पर्दाफाश किया था.
कर्नाटक में बीते दिनों लोकायुक्त पुलिस ने रिश्वतखोरी के एक मामले में भाजपा विधायक के. मदल विरुपक्षप्पा के कार्यालय से 2.02 करोड़ रुपये और उनके बेटे वी. प्रशांत मदल के आवास से 6.10 करोड़ रुपये की बेहिसाब नकदी बरामद की है. इस संबंध में प्रशांत को गिरफ़्तार किया गया है, जबकि उनके पिता को अग्रिम ज़मानत मिल गई है.