दिल्ली हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में ग़ैर-फिल्मी गीतों के टीवी, ऐप या सोशल मीडिया मंचों के ज़रिये सार्वजनिक रिलीज़ से पहले समीक्षा के लिए सेंसर बोर्ड के बनाने की मांग की गई थी. कोर्ट ने इसे ख़ारिज करते हुए कहा कि इसके लिए पहले से अधिनियम मौजूद हैं और यह कोई अन्य क़ानून नहीं बना सकता.
डीयू के साथ आंबेडकर विश्वविद्यालय में भी छात्र संगठनों ने गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी की भूमिका से संबंधित बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की घोषणा की थी. छात्रों का कहना है कि इसे रोकने के लिए पुलिस बुलवाई गई और बिजली काट दी गई. वहीं, महाराष्ट्र में टिस ने विद्यार्थियों को डॉक्यूमेंट्री दिखाने से मना किया है.
पुणे के हडपसर स्थित उन्नति नगर मस्जिद के बाहर 2 जून 2014 को एक 24 वर्षीय तकनीकी विशेषज्ञ मोहसिन शेख़ की उस समय हत्या कर दी गई थी, जब वह नमाज़ पढ़कर लौट रहे थे. सभी 21 आरोपी हिंदू राष्ट्र सेना नामक एक कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी संगठन का हिस्सा थे.
विश्व भारती विश्वविद्यालय ने बीते 24 जनवरी को एक पत्र भेजकर नोबेल विजेता अमर्त्य सेन से शांति निकेतन में कथित तौर पर ‘अनधिकृत रूप से क़ब्ज़ाया गया’ भूखंड को सौंपने को कहा था. इस पर सेन का कहना था कि आरोपों के समर्थन में साक्ष्य भी पेश किए जाने चाहिए.
एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि किसी ने ग़लत किया है, तो उसे नतीजे भुगतने होंगे. लेकिन क्या सभी मामलों में सीबीआई जांच की ज़रूरत होती है? सीबीआई को बड़े डिफॉल्ट मामलों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. यदि सभी मामलों में सीबीआई पर बोझ डालते हैं तो कुछ हासिल नहीं होगा.
गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी की भूमिका से संबंधित बीबीसी डॉक्यूमेंट्री का भारत में प्रसारण रोकने के लिए केंद्र सरकार हर संभव प्रयास कर रही है, बावजूद इसके गुरुवार को देश में कम से कम तीन जगह- तिरुवनंतपुरम में कांग्रेस और कोलकाता एवं हैदराबाद में स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया ने इसकी स्क्रीनिंग आयोजित की.
तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदराराजन ने तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति सरकार द्वारा परंपराओं के निर्वहन में उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा कि गणतंत्र दिवस समारोह के लिए राज्य के राज्यपाल को आमंत्रित नहीं करना तेलंगाना सरकार द्वारा संविधान का घोर उल्लंघन है.
बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' में यूके सरकार की गुजरात दंगों की एक अप्रकाशित जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए नरेंद्र मोदी को सीधे तौर पर हिंसा के लिए ज़िम्मेदार बताया गया है. रिपोर्ट कहती है कि हिंसा योजनाबद्ध थी और गोधरा कांड ने बस एक बहाना दे दिया. अगर ऐसा न होता तो कोई और बहाना मिल जाता.
जब संविधान के 'बुनियादी ढांचे के सिद्धांत' पर विवाद छिड़ा हुआ है, तो ऐसे में ज़रूरी मालूम होता है कि इसकी मूल भावना और उसके उद्देश्य को आम लोगों तक ले जाया जाए क्योंकि जब तक 'गण' हमारे संविधान को नहीं समझेगा हमारा लोकतंत्र सिर्फ एक 'तंत्र' बनकर रह जाएगा.
वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग का कहना है कि उसके दो साल के शोध के बाद पता चला है कि 17,800 अरब रुपये मूल्य वाले अडानी समूह के नियंत्रण वाली मुखौटा कंपनियां कैरेबियाई और मॉरीशस से लेकर यूएई तक में हैं, जिनका इस्तेमाल भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और कर चोरी को अंजाम देने के लिए किया गया. समूह ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है.
कुछ साल पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लिए लॉन्च पैड बनाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (एचईसी) के कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि इस स्थिति के कारण, वे अपने बच्चों के स्कूल की फीस का भुगतान नहीं कर पा रहे, परिवार के बीमार सदस्यों का इलाज नहीं करा पा रहे हैं. साथ ही कुछ ने फल या चाय बेचना शुरू कर दिया है, जिनमें अधिकारी भी शामिल हैं.
अक्टूबर 2021 में हुए लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आठ लोगों की मौत हो गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्रा को ज़मानत देने के अलावा इस संबंध में दर्ज एक अन्य एफ़आईआर के संबंध में क़ैद चार किसानों को भी अंतरिम ज़मानत का लाभ दिया. आशीष मिश्रा पांच लोगों की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी हैं, जिन्हें कथित तौर पर वाहन से कुचल दिया गया था.
बीबीसी की ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ नाम की एक डॉक्यूमेंट्री में बताया गया है कि ब्रिटेन सरकार द्वारा करवाई गई गुजरात दंगों की जांच में नरेंद्र मोदी को सीधे तौर पर हिंसा के लिए ज़िम्मेदार पाया गया था. सोशल मीडिया पर डॉक्यूमेंट्री से संबंधित पोस्ट हटाने का निर्देश देने पर कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार की आलोचना की है.
भारत के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जब आगे का रास्ता जटिल होता है तो भारतीय संविधान की मूल संरचना अपने व्याख्याताओं और कार्यान्वयन करने वालों को मार्गदर्शन और निश्चित दिशा दिखाती है. बीते दिनों उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा था कि 1973 में केशवानंद भारती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मूलभूत ढांचे में संसद द्वारा बदलाव न किए जाने की ग़लत परंपरा रखी थी.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हमारी सभ्यता आरंभ से ही प्रश्नवाचक रही है और उसकी प्रश्नवाचकता-असहमति-वाद-विवाद, संवाद का भारत में पुनर्वास करने की ज़रूरत है. इस समय जो धार्मिक और बौद्धिक, राजनीतिक और बाज़ारू ठगी हमें दिग्भ्रमित कर रही है, उससे अलग कोई रास्ता कौन तलाश करेगा यह हमारे समय का एक यक्षप्रश्न है.