कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: बुद्धि-ज्ञान-विचार-सृजन के लिए यह कठिन समय है और यह सोचना काफ़ी नहीं है कि जैसे हर समय अंततः बीत जाता है यह भी बीत जाएगा. इसका अभी सजग प्रतिकार ज़रूरी है. गीता हरिहरन की ‘दिस टू इज़ इंडिया’ यही करती है.
यूपी उपचुनाव के नतीजों के समय याद रखना चाहिए कि मतदान के दिन कई जगह पुलिसकर्मी नापसंद मतदाताओं को मतदान से वंचित करने के लिए उनके पहचान पत्र चेक करते, राह रोकते, उन पर रिवॉल्वर तक तानते दिखे थे. सत्ता तंत्र इस तरह चुनाव कराने लगेगा तो लोकतंत्र का भविष्य क्या होगा.
छत्तीसगढ़ में कोयला खदानों के प्रति आदिवासियों के प्रतिरोध को थामने के लिए अडानी समूह ने उनके ही इलाके के निवासी कोऑर्डिनेटर बतौर नियुक्त किए हैं. वे गांवों में कंपनी का पक्ष रखते हैं, ग्रामीणों को बिना विरोध मुआवज़ा लेने और आंदोलन से दूर रहने के लिए राजी करते हैं. इसने आदिवासी समाज को विभाजित कर दिया है.
मणिपुर के भाजपा विधायक पाओलीनलाल हाओकिप ने एक इंटरव्यू में सीएम बीरेन सिंह को हिंसा रोकने में विफल क़रार देते हुए कहा कि अगर सदन में विश्वासमत की जरूरत पड़ी, तो वे और उनके साथी अन्य छह भाजपा कुकी विधायक भी बीरेन सिंह सरकार का समर्थन नहीं करेंगे.
छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने आदिवासी क्षेत्रों सुरक्षा बलों के कैंप की ख़िलाफ़त करने वाले बस्तर के 'मूलवासी बचाओ मंच' पर पाबंदी लगाई है. आदिवासी नेताओं ने इस प्रतिबंध का विरोध करते हुए कहा कि सरकार को मंच के साथ संवाद करना चाहिए.
मुंबई के मूल निवासी माने जाने वाले कोली समुदाय की महिलाएं कई पीढ़ियों से शहर के सौ से ज़्यादा बाज़ारों में मछली बेचने का काम करती रही हैं. हालांकि, अब शहरी विकास के नाम पर मछली बाज़ारों को शिफ्ट करने या गिराने की कवायद ने उनकी आजीविका संकट में ला दी है.
लौंडा नर्तक की अस्मिता सिर्फ नाच और आर्थिक पेशे से संबद्ध नहीं है. यह पुरुष के मन में औरत बनने की दबी आकांक्षा का साहसिक प्रकटीकरण है. एक लौंडा नर्तक अपने नाम, वेश-विन्यास, भाव और भंगिमाओं में पुरुष, औरत और किन्नर, तीनों लैंगिक पहचानों को एक साथ जीता है.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: 2024 मूर्धन्य चित्रकारों सूज़ा, रामकुमार, वासुदेव गायतोंडे और केजी सुब्रमण्यन का जन्मशती वर्ष हैं. उन्हें याद करना, उनके प्रति आलोचनात्म्क कृतज्ञता व्यक्त करना हमारी कलात्मक-नैतिक ज़िम्मेदारी है.
दुमंजिला पंचायत भवन के निर्माण में जब सरकारी राशि पूरी खर्च हो गई और छत पर बने कमरों तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां बनाने का पैसा नहीं बचा, तो लकड़ी की नसैनी टिका दी गई. बंगनामा स्तंभ की चौदहवीं क़िस्त.
कुपोषण से जूझ रहे ओडिशा में सरकार ने 2018 में एक योजना के तहत महिलाओं को घर के पास के तालाबों की सफाई के लिए सब्सिडी देते हुए मछली पालन में प्रशिक्षण दिया और मछली के बीज उपलब्ध कराए. आज वे महिलाएं मछली पालन से आजीविका के साथ-साथ पोषण का लाभ भी ले रही हैं.
आठ महीने पहले यूपी के बरेली में नगर निगम व ज़िला प्रशासन द्वारा शहर को 'स्मार्ट' बनाने के लिए पुनर्स्थापित करने के वादे पर जवाहरलाल नेहरू की एक प्रतिमा को उसकी जगह से उखाड़ा गया, जो पिछले दिनों मिशन अस्पताल परिसर में कूड़े के ढेर में मिली.
हार्वे ने सृष्टि की असाधारण सुंदरता और वैचित्र्य से प्रभावित होकर यह उपन्यास रचा है. हार्वे चाहती थीं कि उनके इस उपन्यास को सुंदरता और प्रेम के साथ किसी नायाब चीज पर लिखी गयी किताब के रूप में पढ़ा जाए. बुकर समिति ने उनकी इस आकांक्षा को साकार कर दिया है.
महाराष्ट्र: धारावी पुनर्विकास बना मुख्य चुनावी मुद्दा, विपक्ष ने अडानी के ‘ज़मीन हड़पने’ पर उठाए सवाल
मुंबई के धारावी में स्थानीय लोगों का दावा है कि पुनर्विकास योजना के बारे में जानकारी और पारदर्शिता की कमी के कारण सत्तारूढ़ और विपक्षी, दोनों दल उनका शोषण कर रहे हैं.
नासिरा शर्मा ने कई फ़िलिस्तीनी रचनाकारों का अनुवाद किया है. उनकी हालिया किताब, फ़िलिस्तीन: एक नया कर्बला, में उनके अनुवादों के साथ इस विषय पर राजनीतिक निबंध भी शामिल हैं. वे इस लेख में अनुवाद प्रक्रिया से जुड़े अपने अनुभव साझा कर रही हैं. उनके अनुसार ये रचनाएं समय की छाती पर लिखी इबारतें हैं जो हथियारों के सामने तनकर खड़ी हैं.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी : कलाविद् शनय झावेरी के 'भारत का कल्पना-संस्थान’ नाम के संचयन से स्पष्ट होता है कि हमारी समकालीन कला में रंगबोध, संयोजन, दृष्टि, शैली, सामग्री आदि की अपार और अदम्य बहुलता है.