जब से किसानों ने कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन शुरू किया था, तब ही से भाजपा नेताओं से लेकर केंद्रीय मंत्रियों तक ने किसानों को धमकाने और उन्हें आतंकी, खालिस्तानी, नक्सली, आंदोलनजीवी, उपद्रवी जैसे संबोधन देकर उन्हें बदनाम करने में कोई कसर बाक़ी नहीं रखी थी.
शेतकारी संगठन के अध्यक्ष और विवादित कृषि क़ानूनों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति के एक सदस्य अनिल जे. घानवत ने कहा कि यह प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उठाया गया सबसे प्रतिगामी क़दम है, क्योंकि उन्होंने किसानों की बेहतरी के बजाय राजनीति को चुना. समिति सदस्यों ने यह भी कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट उनके द्वारा मार्च में सौंपी गई रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करता है तो वे कर देंगे.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद जी-23 का हिस्सा हैं- इस समूह ने पिछले साल पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर दल के ढांचे में व्यापक बदलाव की मांग की थी. अब पांच सदस्यीय नई अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति का पुनर्गठन कर दोबारा इसकी ज़िम्मेदारी पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी को ही सौंपी गई है.
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि क़ानून वापस लिए जाने के निर्णय को वोट के लिए लिया गया फ़ैसला बताया और कहा कि सैकड़ों किसानों की मौत के आगे झूठ की माफ़ी नहीं चलेगी.
तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लिए जाने का विभिन्न किसान नेताओं और राजनीतिक नेताओं ने स्वागत किया है. भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि संसद में क़ानून को निरस्त होने के बाद ही वे आंदोलन वापस लेंगे. वहीं, कांग्रेस ने भाजपा पर हमला करते हुए पूछा कि क़ानूनों के चलते सैकड़ों लोगों की जान जाने की ज़िम्मेदारी कौन लेगा.
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने इसे 'राजनीतिक प्रतिशोध' बताते हुए कहा कि जब भी वो किसी ग़लत काम के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाती हैं, कोई न कोई समन उनके परिवार के किसी सदस्य का इंतज़ार कर रहा होता है.
बीते 15 नवंबर को श्रीनगर के हैदरपोरा इलाके में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान दो संदिग्ध आतंकियों के साथ ही दो नागरिकों की भी मौत हुई थी. पुलिस ने आतंकियों का सहयोगी बताया था, वहीं इनके परिवारों का कहना है कि वे आम नागरिक थे. चार में से तीन के परिजनों द्वारा प्रदर्शनों के बीच मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं.
पंजाब के बाद पश्चिम बंगाल दूसरा राज्य है, जहां विधानसभा में बीएसएफ का अधिकारक्षेत्र बढ़ाने के केंद्र के फ़ैसले के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित किया गया. प्रस्ताव में कहा गया है कि बीएसएफ का अधिकारक्षेत्र बढ़ाना देश के संघीय ढांचे के खिलाफ़ है क्योंकि क़ानून व्यवस्था राज्य सूची का विषय है.
कांग्रेस की जम्मू कश्मीर इकाई के सात प्रमुख नेताओं समेत क़रीब 20 नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना त्यागपत्र भेजा. नेतृत्व बदलाव की मांग के साथ उन्होंने कहा कि सूबे में उन्हें पार्टी संबंधित मामलों पर अपनी बात रखने का मौक़ा नहीं दिया गया. इन नेताओं में चार पूर्व मंत्री और तीन पूर्व विधायक भी शामिल हैं.
आईआरएस कैडर के 1984 बैच के अधिकारी संजय कुमार मिश्रा का ईडी के निदेशक के बतौर पहले से विस्तारित कार्यकाल गुरुवार को समाप्त होना था. 2020 में मिश्रा को मिले सेवा विस्तार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जहां अदालत ने केंद्र का निर्णय बरक़रार रखते हुए कहा था कि उन्हें आगे कोई विस्तार नहीं दिया जा सकता.
बीते सप्ताह नरेंद्र मोदी सरकार के दो ज़िम्मेदार नामों- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और डिफेंस स्टाफ प्रमुख जनरल बिपिन रावत- ने व्यापक राष्ट्रहित के नाम पर क़ानून के शासन के उल्लंघन को जायज़ ठहराने के लिए नए सिद्धांतों को गढ़ने की कोशिश की है.
केरल के पलक्कड़ ज़िले में बीते 15 नवंबर को एक 27 वर्षीय आरएसएस कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई थी. भाजपा ने आरोप लगाया है कि दिनदहाड़े की गई इस हत्या के पीछे इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की राजनीतिक शाखा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के कार्यकर्ताओं का हाथ है और उन्हें राज्य की सरकार का समर्थन हासिल है.
केंद्र सरकार ने रविवार को दो अध्यादेश जारी किए जिससे सीबीआई और ईडी के निदेशकों का कार्यकाल मौजूदा दो वर्ष की जगह अधिकतम पांच साल तक हो सकता है. विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करने के लिए संसद की अनदेखी कर रही, संविधान में तोड़-मरोड़ कर रही और ‘अध्यादेश राज’ का सहारा ले रही है.
अंबाला की सेंट्रल जेल में 15 नवंबर 1949 को महात्मा गांधी की हत्या के अपराध में नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को फांसी दी गई थी. हिंदू महासभा ने कहा कि इस जेल की मिट्टी से बनी प्रतिमा को उनके ग्वालियर कार्यालय में स्थापित किया जाएगा और वे देशभर में गोडसे के 'बलिदान धाम' बनाएंगे.
अमरावती में 13 नवंबर को भाजपा द्वारा बुलाए गए बंद में जगह-जगह भीड़ ने पथराव किया था, जिसके बाद वहां तनाव की स्थिति बढ़ने पर कर्फ्यू लगा दिया गया था. इस मामले में बोंडे के अलावा शहर के मेयर सहित कई स्थानीय भाजपा नेताओं को गिरफ़्तार किया गया था, जिन्हें बाद में ज़मानत मिलने पर छोड़ा गया.